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राजनीतिश्रीलंका

सौर ऊर्जा पर जोर दे रहा है श्रीलंका

१८ दिसम्बर २०२३

श्रीलंका की सरकार ने देश में एक नया और अब तक का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र बनाने का फैसला किया है.

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सौर ऊर्जा संयंत्र
सौर ऊर्जा संयंत्रतस्वीर: Schalk van Zuydam/AP Photo/picture alliance

गंभीर बिजली संकट से जूझ रहे श्रीलंका में सरकार ने द्वीप राष्ट्र में एक नया और सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र बनाने का फैसला किया है, जिसकी लागत करीब 1.7 अरब डॉलर होगी और इसका निर्माण एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी द्वारा किया जाएगा.

श्रीलंकाई सरकार ने कहा कि इस विशाल सौर ऊर्जा परियोजना की अनुमानित लागत 1.7 अरब डॉलर होगी और इसे बनाने के लिए एक ऑस्ट्रेलियाई कंपनी का चयन किया गया है.

श्रीलंका को पिछले साल भीषण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था, इस दौरान देश में 13 घंटे की बिजली की कटौती आम बात हो गई थी. ऐसा इसलिए था क्योंकि बिजली जेनरेटर चलाने के लिए पेट्रोल उपलब्ध नहीं था क्योंकि सरकार के पास आयातित ईंधन के भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा भी नहीं थी.

लंदन की यह सड़क अपनी ऊर्जा खुद बनाती है

2022 के संकट के बाद से कोलंबो सरकार ने देश में कई  परियोजनाएं शुरू की हैं, जिसके तहत नवीकरणीय स्रोतों से ऊर्जा के अधिग्रहण को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है.

श्रीलंका के ऊर्जा मंत्री कंचना विजेस्केरा ने कहा कि कोलंबो सरकार ने अब एक बिजली संयंत्र से बिजली खरीदने की मंजूरी दे दी है, जिसकी उत्पादन क्षमता 700 मेगावाट होगी.

उन्होंने कहा कि यह बिजली देश के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र से प्राप्त की जाएगी, जिसका निर्माण ऑस्ट्रेलियाई कंपनी यूनाइटेड सोलर एनर्जी द्वारा किया जाएगा. इस परियोजना की खास बात यह है कि यह श्रीलंका का सबसे बड़ा नवीकरणीय ऊर्जा संयंत्र होगा.

कोलंबो सरकार ने इसी साल फरवरी में 44.2 करोड़ डॉलर की लागत वाली एक और ऐसी परियोजना को भी मंजूरी दी. इस परियोजना के तहत भारत का अडानी समूह उत्तरी श्रीलंका में 350 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाला एक बिजली संयंत्र का निर्माण करेगा.

श्रीलंका के आर्थिक संकट के कारण पिछले साल भोजन, ईंधन और दवाओं की व्यापक कमी हो गई थी जब देश में आयात के भुगतान के लिए विदेशी मुद्रा खत्म हो गई थी.

श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने भारी विरोध प्रदर्शन के बाद पद संभाला था और देश को आर्थिक संकट से निकालने का वादा किया था.

साल 2022 में जब श्रीलंका में आर्थिक संकट चरम पर था, उस दौरान श्रीलंका के लोग शासन में बदलाव और भ्रष्टाचार को समाप्त करने की मांग करते हुए सड़कों पर उतर आए थे. श्रीलंकाई थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी ऑल्टरनेटिव्स की मानवाधिकार वकील और रिसर्चर भवानी फोन्सेका कहती हैं, "एक साल बाद भी, इन मांगों को अभी तक पूरी तरह से समझा नहीं गया है और समाज के वर्गों में निराशा है. आईएमएफ कार्यक्रम में कुछ महीने लगने के बावजूद, चुनौतियां लगातार बनी हुई हैं.”

एए/वीके (एएफपी, रॉयटर्स)