बच्चों को घर पर पढ़ाने में परेशानी? जरा रेडियो तो लगाइए!
बोलिविया के ग्रामीण इलाकों में बच्चों को रेडियो से प्यार हो गया है. महामारी की वजह से वो पढ़ाई में पीछे हो रहे थे लेकिन अब रेडियो एस्कुएला की बदौलत उनकी पढ़ाई फिर पटरी पर लौट रही है.
रेडियो एस्कुएला का उभरता सितारा
जोर्डी वर्गास नोगालेस अपने गांव कोलोमी में एक छोटा सा सेलेब्रिटी ही बन गया है. 12 साल का जोर्डी रेडियो एस्कुएला के लिए "रेडियो नवंबर 13" नाम के कार्यक्रम की मेजबानी करता है. बच्चे उसे चिट्ठियां भेजते हैं और थोड़ा संगीत चलाने के बाद वो उनकी टिप्पणियों को रेडियो पर पढ़ता है.
स्कूल रेडियो के हीरो
रेडियो प्रोडक्शन केंद्र (सीईपीआरए) के आर्तुरो कुएवास मोंतानो रेडियो कार्यक्रम बनाने में संयोजन की भूमिका निभाते हैं और वो बच्चों के बीच इसकी लोकप्रियता को देख कर खुश हैं. वो कहते हैं, "ग्रामीण इलाकों में रेडियो के श्रोता आज भी मौजूद हैं. उन (बच्चों) के अपने मनपसंद किरदार हैं और वो आवाजों के पीछे के लोगों से मिलना चाहते हैं. उन्हें एक एक कार्यक्रम के बारे में विस्तार से मालूम है!"
रेडियो क्लासरूम
"किसान की आवाज" नाम के कार्यक्रम के रिकॉर्डिंग के लिए स्टूडियो में आए बच्चों से मिगेल पीना विलारोएल पूछ रहे हैं, "हम पौधों का ख्याल कैसे रख सकते हैं?" मिगेल हर हफ्ते स्कूली बच्चों को उनका कार्यक्रम सुनने के लिए आमंत्रित करते हैं. उन्होंने बताया, "यह कुछ हफ्तों पहले शुरू हुआ. एक टीचर अपनी क्लास के बच्चों को लेकर बस स्टूडियो पहुंच गई और कहा कि वो रेडियो के बारे में और जानना चाहते हैं."
महामारी के बाद भी
जुस्तो कोपा रोजास एक टीचर हैं और रेडियो एस्कुएला के कार्यक्रमों का इस्तेमाल अपनी क्लास में भी करते हैं. वो रेडियो कार्यक्रमों के विषयों से खुश हैं और कहते हैं, "ये ऐसे मुद्दे हैं जो हमारे जीवन पर सीधा असर डालते हैं." बच्चे अब स्कूलों में वापस आ रहे हैं और जुस्तो कहते हैं कि वो आगे भी रेडियो कार्यक्रमों की सामग्री का इस्तेमाल अपनी क्लास में करते रहेंगे.
खुद कर के सीखना
सीईपीआरए में संयोजक हुआन लुई गुटेरेश डालेंस कहते हैं कि बच्चे विषयों के बारे में सिर्फ सुन कर नहीं सीखते हैं बल्कि खुद शामिल हो कर सीखते हैं. उन्हें ग्रामीण इलाकों में स्कूलों में जाना अच्छा लगता है. वो बताते हैं, "बच्चे जब रेडियो कार्यक्रम के बारे में एक दूसरे का साक्षात्कार लेते हैं तो वो मीडिया के कौशल भी सीखते हैं."
रेडियो से पैदा होती है सृजनात्मकता
चौथी कक्षा में पढ़ने वाले फर्नांडो सेबास्टियन रेवोलो रोड्रिगेज का कहना है, "मुझे यह कार्यक्रम पसंद है. मैं बहुत कुछ सीखता हूं और यह मुझे हंसाता भी है. और मुझे पहेलियां भी पसंद हैं." फर्नांडो कहता है कि वो कैसे रहता है, उसके स्कूल, उसके कुत्ते, उसकी मुर्गियों और उसकी बिल्ली ल्यूक के बारे में रेडियो कहानियां लिखना चाहता है.
प्रभावी पढ़ाई
सिल्विया मोंतेनचिनोस गोमेज भी रेडियो सीईपीआरए के साथ सक्रिय हैं. वो नियमित स्कूलों में जाती हैं और रेडियो एस्कुएला सुनने वाले शिक्षकों के साथ बैठती हैं. वो कहती हैं, "हम कार्यक्रम को सुनते हैं और सीखने वाली सामग्री में दिए गए खेलों और अभ्यासों का इस्तेमाल करते हैं. इससे बच्चे उन विषयों के बारे में और जानना चाहते हैं क्योंकि यह उनकी बाकी पढ़ाई के तरीकों से बहुत अलग है."
जिज्ञासा जगाता रेडियो
ग्रेट्जेल युक्रा कमाचो टीचर हैं और रेडियो कापिनोता के साथ जुड़ी हुई हैं. वो कहती हैं, "मैं चाहती थी कि रेडियो के कार्यक्रमों को बच्चों को दिमाग में रख कर डिजाइन किया जाए इसलिए मैंने खुद ही मॉडरेशन शुरू कर दिया." वो माता-पिता से, बच्चों से और उनके अध्यापकों से भी बात करती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि रेडियो एस्कुएला बच्चों में जिज्ञासा को जगाए. (बेनेडिक्ट बोर्चर्स)