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समाज

शोधः महामारी के कारण वैश्विक गरीबी और बढ़ेगी

१२ जून २०२०

एक शोध के मुताबिक कोरोना वायरस के कारण विश्व भर में एक अरब से अधिक लोग अत्यधिक गरीब हो सकते हैं. इस शोध के मुताबिक कोविड-19 के कारण लोगों की आय में कमी आई है.

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Südafrika Essenshilfe für Bedürftige in Johannesburg
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Longari

कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन लगाए गए और सख्त पाबंदियां लगाई गईं. इस वक्त दुनियाभर में 73 लाख से अधिक लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हैं. 210 देशों और क्षेत्रों में वायरस फैल चुका है. इस घातक महामारी के कारण अब तक 4,12,976​ लोगों की मौत हो चुकी है.

इस महामारी के बीच एक शोध का कहना है कि वैश्विक गरीबी की चपेट में एक बार फिर एक अरब से भी ज्यादा लोग आ सकते हैं. कोरोना वायरस महामारी के कारण लोगों की आय कम हो रही है. शुक्रवार को प्रकाशित शोध के मुताबिक विश्व भर के गरीबों की आय रोजाना 50 करोड़ डॉलर कम हो रही है.

किंग्स कॉलेज लंदन और ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के शोध में यह बताया गया है कि मध्यम आय वाले विकासशील देशों में गरीबी का स्तर नाटकीय रूप से बढ़ा है. इन देशों में गरीबी रेखा से ठीक ऊपर लाखों लोग रहते हैं. एशियाई देश जैसे कि बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, पाकिस्तान और फिलीपींस में गरीबी का खतरा हो सकता है क्योंकि महामारी की वजह से लगा लॉकडाउन आर्थिक गतिविधियां को गंभीर रूप से प्रभावित कर चुका है.

किंग्स कॉलेज लंदन में अंतरराष्ट्रीय विकास के प्रोफेसर और शोध के सह-लेखक एंडी समनर कहते हैं, ''विकासशील देशों के लिए महामारी तेजी से आर्थिक संकट बनती जा रही है.'' शोध के मुताबिक लाखों लोग गरीबी रेखा के बिल्कुल ऊपर रहते हैं, महामारी के कारण उनकी आर्थिक स्थिति अनिश्चित है. सबसे खराब परिदृश्य में अत्यंत गरीबी में रहने वालों की संख्या 70 करोड़ से बढ़कर 1.1 अरब हो सकती है. अत्यंत गरीबी में रहने वालों की कमाई 1.9 डॉलर प्रतिदिन परिभाषित है. सुमनर कहते हैं, ''बिना कार्रवाई यह संकट वैश्विक गरीबी पर हुई प्रगति को 20 या 30 साल पीछे धकेल सकता है.''

शोधकर्ताओं ने वैश्विक नेताओं से तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया है. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र भी कह चुका है करीब 4.9 करोड़ लोग कोविड-19 और उसके प्रभावों के कारण अत्यधिक गरीबी का शिकार हो सकते हैं.

एए/सीके (एपी)

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