1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने हिंदी में कहा, धन्यवाद

९ फ़रवरी २०१७

ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने हिंदी समेत नौ भाषाओं में कई देशों के लोगों का शुक्रिया अदा किया है. आखिर क्यों?

https://p.dw.com/p/2XCmv
Taiwanesische Präsidentin Tsai Ing-Wen in Taipeh
तस्वीर: Getty Images/A. Pon

दरअसल ताइवान में पिछले साल रिकॉर्ड विदेशी पर्यटक पहुंचे. इसके लिए ताइवानी राष्ट्रपति साई इंग-वेन ने नौ भाषाओं में धन्यवाद बोलकर विदेशी सैलानियों का आभार जताया है. उन्होंने ट्वीट किया, "2016 में सबसे ज्यादा लोग ताइवान आए." इसके साथ ही उन्होंने अंग्रेजी, जापानी, कोरियन, थाई, इंडोनेशियन, तागालोग, वियतनामी, हिंदी और सरल चीनी भाषा में शुक्रिया कहा.

ताजा आंकड़े बताते हैं कि 2016 में 1.069 करोड़ विदेशी लोग ताइवान पहुंचे. यह संख्या 2015 के मुकाबले 2.4 फीसदी ज्यादा है. साई ने गुरुवार को बताया, "ताइवान अपने पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाएगा. इसके लिए बाजार को विविध बनाया जाएगा और कई नये कदम उठाए जाएंगे."

ये हैं सैलानियों के सबसे पसंदीदा 10 शहर

2016 में थाईलैंड से ताइवान पहुंचने वाले पर्टयकों में 57 फीसदी का इजाफा देखने को मिला. वहीं वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया के पर्यटकों में भी क्रमश: 34.3 प्रतिशत, 23.9 प्रतिशत, 10 प्रतिशत और 6.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

ताइवान के पर्यटन ब्यूरो का कहना है कि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से पयर्टकों की संख्या में वृद्धि का एक कारण वीजा नियमों में ढील देना भी है. वैसे ताइवान जाने वाले लोगों में अब भी सबसे ज्यादा चीन से हैं. 2016 में ताइवान जाने वाले चीनियों की संख्या 35.1 लाख रही जो कुल पर्यटकों का 32.9 प्रतिशत है. हालांकि 2015 से तुलना की जाए तो 2016 में 16.1 प्रतिशत कम चीनियों ने ताइवान का रुख किया.

इस बीच जापान से ताइवान जाने वाले सैलानियों की संख्या में 16.5 प्रतिशत वृद्धि हुई. वहां जाने वाले कुल विदेशी पर्यटकों में 17.7 फीसदी जापान से रहे. इसके बाद 8.3 प्रतिशत के साथ दक्षिण कोरिया का नंबर आता है जिसके 8.8 लाख लोग ताइवान घूमने गए.

देखिए जर्मनी के बेहतरीन होटल

ताइवान जाने वाले चीनियों की संख्या में कमी का एक कारण हाल में उनके बीच संबंधों में आया तनाव हो सकता है. पिछले साल जून में राष्ट्रपति साई ने 'एक चीन' की नीति का समर्थन करने से इनकार कर दिया था. तब से ताइवान और चीन के बीच सरकारी सतह पर संपर्क नहीं है. उसके बाद से चीन ताइवान पर लगातार राजनयिक और आर्थिक दबाव डाल रहा है.

चीन और ताइवान के रिश्ते हमेशा जटिलताओं का शिकार रहे हैं. ताइवान 1950 से एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक देश की हैसियत से अस्तित्व में है. लेकिन चीन उसे अपना एक अलग हुआ हिस्सा समझता है. चीन के मुताबिक ताइवान को एक दिन चीन का हिस्सा बनना है और अगर इसके लिए ताकत का इस्तेमाल भी करना पड़ा, तो चीन हिचकेगा नहीं.

एके/वीके (डीपीए)