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यहां जमा होते हैं दूर दूर से आए एक करोड़ चमगादड़

युर्गेन श्नाइडर
२० जनवरी २०१७

अफ्रीकी देश जाम्बिया का कासान्का नेशनल पार्क अक्टूबर के अंत में अचानक चमगादड़ों से भर जाता है. इस पार्क में इन स्तनपायी जानवरों का पहुंचना दुनिया के सबसे बड़े मैमल ट्रांसफर की मिसाल है.

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तस्वीर: Jürgen Schneider

दुनिया भर में चमगादड़ों के बसेरे धीरे धीरे खत्म होते जा रहे हैं. शायद इसलिए वे दूर दूर से अफ्रीका के उत्तरी हिस्से में स्थित वर्षावन में पहुंचते हैं. ये चमगादड़ कॉन्गो और जाम्बिया के दूसरे हिस्सों से आते हैं. वे यहां इसलिए आते हैं क्योंकि उन दिनों यहां जंगल में बहुत सारे फल पकने लगते हैं. वे यहां स्थानीय मासुकू और मिर्टेन फलों के अलावा आम और केला या कोई भी फल जो उन्हें मिल जाए खाते हैं.

कासान्का नेशनल पार्क के प्रमुख डियॉन स्कॉट बताते हैं, "मैं उन्हें जब भी देखता हूं, अद्भुत लगता है, जब सीजन के शुरू में चमगादड़ यहां आना शुरू करते हैं. हमने यहां आने का फैसला किया कि देखें कितने आए हैं. भले ही वे दस हजार हो या बीस हजार, ये जबरदस्त लगता है.”

डियॉन स्कॉट के लिए चमगादड़ों के आने के साथ ही हाई सीजन शुरू हो जाता है. यह पार्क स्तनपायी जानवरों के लिए दुनिया का सबसे बड़ा अस्थायी बसेरा है. यह किसी को पता नहीं कि यहां के फलों में ऐसा क्या है जो करीब एक करोड़ चमगादड़ों को हर साल जाम्बिया के इस नेशनल पार्क की ओर खींचता है. लेकिन पूरे अफ्रीका में उनके जीवन को खतरा है.

मिलिए बम गिराने वाले चमगादड़ों से

मुख्य चुनौती यह है कि उनके प्राकृतिक बसेरे खत्म होते जा रहे हैं. इसलिए वे जंगलों या अफ्रीका के इस हिस्से के वर्षावनों में रहने आते हैं. चमगादड़ों का जंगल अपने आप में बहुत ही छोटा है. एक किलोमीटर लंबा और करीब 500 मीटर चौड़ा. कासान्का के जंगलों को सबसे बड़ा खतरा आग से है.

डियॉन स्कॉट बताते हैं, "इस साल के शुरू में जंगल के इस हिस्से में बहुत बड़ी आग लगी थी. यहां हर कहीं घास वाली जमीन है, इसलिए आग जमीन के अंदर लगी रहती है और यह पेड़ों की जड़ों को नष्ट करती रहती है. वे अंदर से जल जाते हैं.”

आग आम तौर पर शिकारी लगाते हैं. वे घास को जला देते हैं ताकि वह जल्दी जल्दी बढ़े. चिंकारा और हिरण जैसे जानवर पार्क की खुली जगह पर हरी घास चरने आते हैं और वहां उनका शिकार कर लिया जाता है. इसके रोकने के लिए नियमित गश्त और पार्क के इर्द गिर्द आग के गलियारों का इंतजाम किया गया है. लेकिन पार्क के आसपास बहुत से लोग रहते हैं जो जानवरों को सस्ते में मिलने वाला खाना समझते हैं.

देखिए अनोखे रिकॉर्ड वाले जानवर

पेट्रोलिंग गार्ड मार्ली कातिंता कहते हैं, "जब हम पार्क की ओर जाते पांवों के निशान देखते हैं तब हम या तो जाल बिछाते हैं या उनका पीछा करते हैं. यदि हम गोली चलने की आवाज सुनते हैं तो पता करने की कोशिश करते हैं कि आवाज कहां से आई है और हम उस तरफ जाते हैं. शिकारी रात को टॉर्च जलाते हैं जो दूर से ही दिखती है और हम उनका पता करते हैं."

लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है लोगों को चमगादड़ों के संरक्षण के बारे में बताना. गांव वाले उनसे डरते हैं. वे उन्हें बीमारियों और जादू टोने से जोड़ कर देखते हैं. इसलिए संरक्षण प्रोजेक्ट के कर्मचारी पार्क के बाहर रहने वाले गांव वालों और स्कूली बच्चों को नियमित रूप से चमगादड़ देखने बुलाते हैं.

इस तरह इन भोलेभाले शाकाहारी जीवों के प्रति पूर्वाग्रह कम होते हैं. बच्चों के लिए अक्सर ये पहला मौका होता है जब वे चमगादड़ों के आने की प्राकृतिक घटना को अपने घर के सामने देखते हैं.

ये हैं युद्ध के पक्के साथी जानवर

इको गाइड हिगालीन मुसाका कहते हैं, "जब ये बच्चे चमगादड़ों के बारे में सीख जाएंगे तो वे इस संदेश को अपने माता पिता तक ले जाएंगे. यदि माता पिता चमगादड़ों के बारे में जान जाएंगे तो भविष्य में कासान्का में बहुत सारे चमगादड़ होंगे. यहां गांव में बहुत से लोगों को चमगादड़ों के बारे में गलतफहमी है क्योंकि वे निशाचर जीव हैं. इसलिए कुछ लोगों का कहना है कि चुड़ैलें उनकी मदद लेती हैं. लेकिन उन्हें देखें तो पता चलेगा कि ऐसा नहीं है. वे बस भोले भाले चमगादड़ हैं."

चमगादड़ हमारे इको सिस्टम में भी बहुत अहम भूमिका निभाते हैं. वे बहुत से शिकारी जानवरों के लिए चारा हैं. लेकिन दूसरी ओर वे खुद पेड़ों के फल खाते हैं और उनके बीजों को जंगल में फैलाते हैं. वे हर रात 100 किलोमीटर तक का रास्ता तय करते हैं. जब से यह जंगल संरक्षित है वे कम से कम यहां चैन के दिन गुजार सकते हैं.