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अमेरिकी विदेश मंत्री के कहने पर एनजीओ पर लगी पाबंदी हटी

विवेक कुमार
१८ अक्टूबर २०१६

अमेरिकी विदेश मंत्री के कहने पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने गृह मंत्रालय से सिफारिश की और एक एनजीओ पर पाबंदी हट गई.

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Indien Neu Delhi Treffen Kerry Swaraj
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Tyagi

भारत सरकार ने अमेरिकी गैर सरकारी संस्था कंपैशन इंटरनेशनल पर भारत में संस्थाओं को धन देने की पाबंदी हटा ली है. भारतीय मीडिया की खबरों के मुताबिक अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी के प्रभाव में ऐसा किया गया है. विदेश मंत्री जॉन केरी हाल ही में भारत आए थे और तब उन्होंने इस बारे में चिंता जाहिर की थी कि उनके देश की संस्थाओं के साथ ठीक व्यवहार नहीं हो रहा है. अपने सितंबर दौरे में उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से इस बारे में बात की थी. इसके बाद ही सरकार ने कंपैशन इंटरनेशनल पर लगी पाबंदी हटाने का फैसला किया.

मार्च में कंपैशन इंटरनेशनल पर पाबंदी लगाई गई थी. तब भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने ऐसी रिपोर्ट दी थी कि यह संस्था ऐसे भारतीय संस्थाओं को धन दे रही थी जो धर्मांतरण करवा रही हैं. इसके बाद ही सरकार ने इस संस्था को निगरानी सूची में डाल दिया था. इस सूची में 21 विदेशी संस्थाएं हैं. आठ संस्थाओं को पिछली यूपीए सरकार के समय निगरानी सूची में डाला गया था जबकि 13 संस्थाएं एनडीए सरकार के समय इस सूची में आईं.

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द हिंदू अखबार ने 9 सितंबर को एक खबर छापी थी जिसमें कहा गया था कि पहली बार किसी एनजीओ का मुद्दा इतने उच्च स्तर पर उठाया गया है. इसके बाद विदेश मंत्रालय ने भारतीय गृह मंत्रालय को चिट्ठी लिखी और कंपैशन इंटरनेशनल के मुद्दे पर विचार करने को कहा. अब गृह मंत्रालय ने धन बांटने पर लगी पाबंदी हटा ली है. द हिंदू अखबार ने गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के हवाले से लिखा है, "हम कंपैशन इंटरनेशनल को निगरानी सूची से नहीं हटा रहे हैं. हम बस कुछ गैर सरकारी संस्थाओं को उससे फंड लेने की इजाजत दे रहे हैं. धन दिए जाने से पहले हर अर्जी पर गहनता से विचार किया जाएगा."

द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक भारत की 250 गैर सरकारी संस्थाएं कंपैशन इंटरनेशनल से धन लेना चाहती हैं. कंपैशन इंटरनेशनल का मुख्यालय अमेरिका के कॉलराडो में है. कॉलराडो के तीन सांसदों और एक सीनेटर ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में चिट्ठी लिखी थी. मोदी सरकार ने गैर सरकारी संस्थाओं पर काफी सख्ती की है. सत्ता में आने के उसने फॉरन कॉन्ट्रिब्यूशन रेग्युलेशन ऐक्ट (एफसीआरए) के तहत दस हजार गैर सरकारी संस्थाओं के लाइसेंस रद्द किए हैं.

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