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आलोचक मीडिया के खिलाफ ट्रंप ने बजाया बिगुल

१३ जनवरी २०१७

डॉनल्ड ट्रंप ने जिस तरह से शपथ ग्रहण से पहले अपनी पहली प्रेस वार्ता में पत्रकारों पर टिप्पणी की है उसे डॉयचे वेले की इनेस पोल ने आलोचना करने वाली मीडिया के खिलाफ संघर्ष का बिगुल बताया है.

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New York City Trump erste PK als designierter Präsident (Ausschnitt)
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. A. Clary

स्थिति जितनी जटिल हो, उतना ही महत्वपूर्ण होता है एक कदम पीछे जाना ताकि जरूरी चीजें आंखों से ओझल न हों. बुधवार को अमेरिका के भावी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने इस पद पर अपनी तथाकथित पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस की. लोकतंत्र में प्रेस की आजादी मूल्यवान होती है क्योंकि पत्रकार जनता की ओर से शासकों पर नजर रखते हैं. उसका एक पहलू है तहकीकाती रिपोर्टिंग और दूसरा राजनेताओं से बार बार सवाल पूछना. मसलन प्रेस कॉन्फ्रेंसों में.

यह प्रेस कॉन्फ्रेंस लंबे समय से घोषित थी और उसे बार बार स्थगित किया गया. इसमें मुख्य मुद्दा यह होना था कि अरबपति ट्रंप किस तरह इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि बतौर राष्ट्रपति वे अपने कारोबारी हितों से दूर रहें. ट्रंप के मामले में यह सवाल मामूली नहीं है क्योंकि होटलों के चेन वाले ट्रंप को स्पष्ट तौर पर फायदा होगा, यदि राजनीतिज्ञ और लॉबी ग्रुप वहां अपनी बैठकें करें. ट्रंप के अंतरराष्ट्रीय कारोबार में भी लोगों को चिंता है कि वे राजनीतिक और निजी सौदों को मिला सकते हैं. यदि सीधे नहीं तो अप्रत्यक्ष रूप से क्योंकि उनके पास भविष्य में ऐसी सूचनाएं होंगी जिनसे वे अपने प्रतिद्वंद्वियों के मुकाबले लाभ की स्थिति में होंगे.

गंभीर आरोप

प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले सीएनएन जैसे बड़े मीडिया हाउस ने खबर दी कि रूसी खुफिया एजेंसी ने ऐसे मैटीरियल रखे हैं जो भावी राष्ट्रपति को निजी और आर्थिक तौर पर नुकसान पहुंचा सकते हैं. यह जानकारी अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को दी गई और वहां से मीडिया तक पहुंच गई. ट्रंप ने इस पर तुरंत प्रतिक्रिया दी और पत्रकारों को झूठा कहा और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की तुलना नाजी जर्मनी के कारनामों से की. हमेशा की तरह उन्होंने इसके लिए ट्विटर का इस्तेमाल किया.

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ये बहुत गंभीर मामला है और उन खतरनाक हालात को दिखाता है जिनमें अमेरिकी समाज पहुंच गया है. पत्रकारों के साथ प्रमुख राजनीतिज्ञों का रिश्ता स्वभाव से ही जटिल होता है क्योंकि उनके हित एकदम अलग होते हैं. ये बराक ओबामा के समय में भी अलग नहीं थे. हाल के इतिहास में किसी राष्ट्रपति ने प्रेस के सवालों का इतना कम जवाब नहीं दिया है. लेकिन चुनाव अभियान के दौरान हालत इतनी खराब हो गई कि देश के आधार पर ही चोट हो रही है. इसका बहुत कुछ ट्रंप के आक्रामक स्टाइल से लेना देना है. और इस बात से भी कि उन्होंने सोशल मीडिया का इस्तेमाल बिना परखे झूठी खबरों को फैलाने के लिए किया है.

मसलन अपने निजी कर के बारे में या खस्ताहाल होती अमेरिकी अर्थव्यवस्था के बारे में. लेकिन सबसे खतरनाक है पत्रकारों के काम के प्रति सिद्धांत रूप में अविश्वसनीयता, जिसका बीज ट्रंप ने बोया है. आलोचनात्मक रिपोर्ट भले ही कितने भी तथ्यों पर आधारित हो उसे झूठी खबर कह दिया जाता है. इसके साथ सरकार की आलोचनात्मक विवेचना संभव नहीं रह गई है. जो अपने विचारों के अनुकूल नहीं है उसे झूठ बता दिया जाता है. और यह सिर्फ ट्रंप के कैंप पर लागू नहीं होता है. विरोधी पत्र भी ट्रंप की आलोचना को बिना परखे भरोसा करने और फैलाने के लिए तैयार हैं.

नजरअंदाज हुए सवाल

डॉनल्ड ट्रंप ने दुनिया को बुधवार को साफ दिखा दिया है कि वह भविष्य में आलोचनात्मक मीडिया के साथ कैसे पेश आएंगे. सीएनएन के एक रिपोर्टर को उन्होंने यह कहकर जवाब देने से इनकार कर दिया कि आप झूठे हैं. दूसरे पत्रकारों के सख्त सवालों का जवाब उन्होंने गुस्से से दिया. असली महत्वपूर्ण सवालों का उन्होंने जवाब ही नहीं दिया. सिर्फ इतना कि ओबामाकेयर को खत्म कर दिया जाएगा, जल्द ही एक नया स्वास्थ्य बीमा आएगा और मेक्सिको की सीमा पर दीवार बनायी जाएगी, जिसका खर्च कभी न कभी मेक्सिको को देना होगा.

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पहले से तैयार एक बयान में ट्रंप के वकील ने बताया कि भावी राष्ट्रपति अपने निजी हितों और राजनीति को इस तरह अलग अलग रखेंगे कि वे अपना कारोबार अपने बेटों को सौंप रहे हैं और अपने कार्यकाल के अंत तक उसमें हस्तेक्षेप नहीं करेंगे. इसके बारे में भी कोई सवाल पूछने की अनुमति नहीं थी. बुधवार को हुआ आयोजन हकीकत में कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं थी, बल्कि इस बात की नुमाइश थी कि भविष्य में राष्ट्रपति आलोचना करने वाले पत्रकारों के साथ किस तरह का बर्ताव करने की सोच रहे हैं. उनका अंतिम वाक्य अपने बेटों को लक्ष्य कर था कि यदि वे कारोबार को मुनाफे के साथ नहीं चलाते हैं तो उन्हें बर्खास्त कर दिया जाएगा. एक मजाक जिस पर कोई पत्रकार नहीं हंसा.

इनेस पोल/एमजे