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ट्रंप की सफाई, मुसलमानों पर बैन नहीं लगाया है

३० जनवरी २०१७

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सफाई दी है कि अमेरिका में कुछ देशों के लोगों के प्रवेश पर लगाई गई रोक मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं है. उन्होंने मीडिया पर गलत रिपोर्टिंग का आरोप भी लगाया है.

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Amtseinführung US Verteidigungsminister
तस्वीर: picture alliance/AP/dpa/AP/S. Walsh

ट्रंप ने पिछले दिनों एक अध्यादेश पर हस्ताक्षर किए जिसके मुताबिक अमेरिका में सात मुस्लिम बहुल देशों इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, सोमालिया, यमन और लीबिया के लोगों के प्रवेश पर 90 दिन का प्रतिबंध लगाया गया है. इस अध्यादेश की चौतरफा आलोचना के बीच ट्रंप ने बयान जारी कर कहा है, "स्पष्ट तौर पर समझा जाना चाहिए कि यह मुसलमानों पर प्रतिबंध नहीं है, जैसा कि मीडिया खबरें चला रहा है.”

ट्रंप ने कहा, "अमेरिका गर्व के साथ प्रवासियों का देश है और आगे भी वह दमन से जान बचाकर भाग रहे लोगों के प्रति दया दिखाता रहेगा. लेकिन हमें अपने लोगों और सीमाओं की रक्षा करनी है.” ट्रंप ने कहा कि उनके अध्यादेश का धर्म से कोई लेना देना नहीं है. उनके मुताबिक, "यह धर्म से जुड़ा नहीं है, बल्कि इसका संबंध आतंकवाद और अपने देश को सुरक्षित रखने से है.”

ये हैं दुनिया के सबसे मुसलमान प्रेमी देश

इस बीच, विश्व नेताओं से बात करने के सिलसिले में ट्रंप ने रविवार को जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल और जापानी प्रधानमंत्री शिजो आबे से टेलीफोन पर बात की. चांसलर मैर्केल के प्रवक्ता स्टेफान जाइबर्ट के अनुसार जर्मन चांसलर ने अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले पर अफसोस जताया और साथ ही ये भी कहा कि चांसलर ने राष्ट्रपति को अंतरराष्ट्रीय शरणार्थी संधि के कर्तव्यों के बारे में बताया. उन्होंने एक बयान में कहा, "चांसलर शरणार्थियों और कुछ देशों के नागरिकों के प्रवेश पर अमेरिकी सरकार के प्रतिबंध पर अफसोस जताती हैं."

दूसरी तरफ, 57 मुसलमान देशों की संस्था ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन ने ट्रंप के कदम की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे चरमपंथियों को ही मजबूती मिलेगी. अध्यादेश में शरणार्थियों के प्रवेश पर भी 120 दिन की रोक लगाई गई है जबकि सीरिया से आने वाले शरणार्थियों को अनिश्चित समय के लिए रोक दिया गया है. ओआईसी का कहना है कि सीरिया में लड़ाई से जान बचाकर भाग रहे लोगों पर इस अध्यादेश का बहुत बुरा असर होगा.

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ओआईसी के बयान में कहा गया है, "इस तरह के चुनिंदा और भेदभाव वाले कदमों से चरमपंथियों को ही मजबूती मिलेगी और हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा.” बयान में अमेरिका से अपील की गई है कि वह अपने इस अध्यादेश पर दोबारा गौर करे और इस मुश्किल समय में दुनिया को नेतृत्व देने अपनी जिम्मेदारी को निभाए. 

संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख जायद बिन राअद जायद अल हुसैन ने भी ट्रंप के कदम की आलोचना की है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा मुस्लिम देशों के लोगों के प्रवेश पर रोक लगाना गैरकानूनी है और यह "दुर्भावना” से प्रेरित है.

ट्रंप को घरेलू स्तर पर भी खासा विरोध झेलना पड़ रहा है. अमेरिका के कई शहरों में रविवार को ट्रंप के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे. व्हाइट हाउस के बाहर भी लोग जमा हुए जबकि कई लोगों ने न्यू यॉर्क में आजादी की प्रतीक स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी के पास जाकर अपना विरोध जताया. वहीं अमेरिकी कांग्रेस में सात डेमोक्रैट सांसदों ने कहा है कि ट्रंप के बैन को रोकने के लिए वे एक बिल पेश करेंगे. लेकिन व्हाइट हाउस की सलाहकार केलीयेन कॉनवे का कहना है कि देश को सुरक्षित रखने के लिए यह बहुत कम कीमत है.

एके/एमजे (एपी, रॉयटर्स, एएफफी)