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खतरे में चार करोड़ भारतीय, दुनिया चिंतित

प्रभाकर२४ मई २०१६

समुद्र का जलस्तर बढ़ने की वजह से वर्ष 2050 तक चार करोड़ भारतीयों का जीवन खतरे में पड़ सकता है. संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण संबंधी ताजा रिपोर्ट में इस खतरे के प्रति आगाह किया गया है.

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Bangladesch Zyklon Roanu
तस्वीर: Imago/Xinhua

भारत में तेजी से बढ़ते शहरीकरण और आर्थिक विकास की दर तेज होने की वजह से खासकर मुंबई और कोलकाता के लोग तटीय बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं. पर्यावरण संबंधी संयुक्त राष्ट्र की एक ताजा रिपोर्ट में इस खतरे के प्रति आगाह किया गया है.

रिपोर्ट

वैश्विक पर्यावरणीय पूर्वानुमान (जीईओ-6) क्षेत्रीय आकलन शीर्षक इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन का सबसे खराब असर प्रशांत और दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में पड़ने का अंदेशा है. इसके तहत 2050 तक समुद्रतल का स्तर बढ़ने की वजह से पूरी दुनिया में जिन दस देशों की आबादी सबसे ज्यादा प्रभावित होगी उनमें से सात देश एशिया प्रशांत क्षेत्र के ही हैं. इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले देशों की सूची में भारत का नाम सबसे ऊपर है.

इस खतरे के कारण भारत के चार करोड़ लोगों के साथ ही बांग्लादेश के ढाई करोड़, चीन के दो करोड़ और फिलीपींस के लगभग डेढ़ करोड़ लोगों का जीवन खतरे में पड़ने का अंदेशा है. रिपोर्ट के मुताबिक, एशिया में आबादी के बसने के तौर-तरीकों, शहरीकरण और सामाजिक-आर्थिक दर्जे के चलते ग्लोबल वॉर्मिंग के पूर्वानुमान प्रभावित होने का अंदेशा है. इससे संभावित खतरे के प्रति इस क्षेत्र की संवेदनशीलता भी बढ़ गई है. समुद्र के किनारे बसे यानी कई तटीय इलाकों में बढ़ती शहरी बसावट की वजह से जलवायु की चरम परिस्थितियों के मुकाबले की प्राकृतिक तटीय प्रणाली भी प्रभावित हुई है.

Flamingos in Bombay, Indien
तस्वीर: B. Ali

तटीय बाढ़ का खतरा

रिपोर्ट में एशिया प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न तटीय शहरों पर मंडराते बाढ़ के खतरे के प्रति भी आगाह किया है. इसमें अंदेशा जताया गया है कि तेजी से होने वाले शहरीकरण और आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ने के कारण भारत के अलावा उसके आस-पास स्थित चीन और थाईलैंड जैसे कुछ देशों के खासकर शहरीकृत इलाकों की बड़ी आबादी को वर्ष 2070 तक तटीय बाढ़ के गंभीर खतरे से जूझना पड़ सकता है. रिपोर्ट में ऐसे शहरों की सूची में भारत के खासकर दो तटीय शहरों मुंबई और कोलकाता के अलावा बांग्लादेश की राजधानी ढाका, चीन के ग्वांगझू, थाईलैंड की राजधानी बैंकाक, म्यांमार की राजधानी रहे यंगून और वियतनामी शहर हो-ची-मिन्ह सिटी व हाई फोंग को शामिल किया गया है.

Indien Gateway in Mumbai
तस्वीर: picture alliance/Robert Harding World Imagery

इसमें कहा गया है कि उक्त ज्यादातर शहरों को अब भी तटीय बाढ़ के खतरे से जूझना पड़ता है. लेकिन अपनी भौगोलिक परिस्थिति की वजह से ये लोग इस खतरे का असरदार तरीके से मुकाबले करने में सक्षम नहीं हैं.

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इससे पहले वर्ष 2011 में जारी रिपोर्ट में पूरी दुनिया के जिन 10 देशों के जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित होने की बात कही गई थी उनमें से छह इसी क्षेत्र में थे. संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन, आर्थिक संकट और प्राकृतिक विपदाओं से लाखों लोगों की आजीविका पर नकारात्मक असर पड़ेगा. चक्रवात और तूफान झेलने वाले तटीय इलाकों में रहने वाले गरीब तबके के लोगों पर प्राकृतिक विपदाओं का खतरा और बढ़ने का भी अंदेशा जताया गया है.

ग्लोबल वॉर्मिंग के चलते अब तक हुए बदलावों के आधार पर संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि जलवायु परिवर्तन और समुद्र के स्तर में वृद्धि से ज्यादातर विकसित देशों में गरीबी तेजी से बढ़ेगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष तक भारत, चीन, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, फिलीपींस व बांग्लादेश में तूफान से प्रभावित इलाकों का क्षेत्रफल बढ़ेगा और इन देशों की लगभग छह करोड़ आबादी पर अक्सर तूफान की चपेट में आने का खतरा बना रहेगा.

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