हैती में गैंगवार की कीमत चुकातीं महिलाएं और बच्चे
यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक हैती की राजधानी पोर्ट ओ प्रिंस में हथियारबंद गुटों में हिंसक झड़पों के बाद से 8,500 महिलाओं और बच्चों को मजबूरन अपना घर छोड़ना पड़ा है. आखिर हैती में संकट की वजह क्या है, जानिए.
पोर्ट ओ प्रिंस में गैंगवार
राजधानी में पिछले दो हफ्तों से जारी गैंगवार की वजह से करीब साढ़े आठ हजार महिलाओं और बच्चों को अपना घर छोड़ सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है. संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के मुताबिक पोर्ट ओ प्रिंस में इलाकों के कब्जे को लेकर छिड़ी लड़ाई के कारण सैकड़ों परिवारों को जला दिए या नष्ट किए गए घरों को छोड़ना पड़ा है.
संघर्ष के साथ जी रहे लोग
जिन लोगों ने अपना घर छोड़ दिया है वे अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं, जहां मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. शिविरों में साफ पानी, खाना और कंबल का संकट है. संयुक्त राष्ट्र की बाल एजेंसी के लिए हैती के प्रतिनिधि ब्रूनो माएस के मुताबिक, ''लड़ाई में हजारों बच्चे और महिलाएं फंस गई हैं.''
नौ महीने, 14,000 विस्थापन
यूएन की इस रिपोर्ट के मुताबिक पोर्ट ओ प्रिंस में जारी हिंसा की वजह से नौ महीनों में 14,000 के करीब लोग विस्थापित हुए हैं. छोटे बच्चों के साथ परिवार को जमीन पर सोना पड़ रहा है. उनके साथ कुछ जरूरी सामान ही है.
2018 से 12 नरसंहार
हैती के राष्ट्रीय मानवाधिकार रक्षा नेटवर्क के निदेशक पियरे एस्पेरोयोंस के मुताबिक हथियारबंद गिरोह देश के लगभग 60 प्रतिशत हिस्से को नियंत्रित करते हैं. क्षेत्र में 2018 के बाद से 12 नरसंहारों की सूचना मिली है. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह विशेष रूप से हिंसा में सबसे हालिया उछाल के बारे में चिंतित हैं.
हर दिन बिगड़ती स्थिति
इलाके से हर रोज हिंसा की रिपोर्ट्स आ रही हैं. गैंग्स काफी शक्तिशाली हैं और वे हिंसक वारदात को अंजाम दे रहे हैं. एस्पेरोयोंस के मुताबिक आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ने वाली है.
पुलिस भी बेबस
पिछले हफ्ते हैती राष्ट्रीय पुलिस के महानिदेशक ने लोगों से हथियारबंद गिरोहों के खिलाफ एकजुट होने की अपील की थी. उन्होंने कहा था, ''सभी क्षेत्रों के सहयोग का समय आ गया है.''
कोरोना महामारी के बीच हिंसा से बढ़ी चिंता
हैती कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इस नई चुनौती से जूझ रहा है. अधिकारियों का कहना है कि लोग चिकित्सा सहायता के लिए अपने घरों से इस डर से बाहर नहीं जा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे गोलीबारी के शिकार हो जाएंगे.