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रूस पर रुख को लेकर यूरोपीय आयोग प्रमुख ने भारत को चेताया

चारु कार्तिकेय
२६ अप्रैल २०२२

यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फोन डेय लायन ने भारत यात्रा के दौरान मोदी सरकार को रूस के प्रति उसके रुख को लेकर आगाह किया किया है. उन्होंने कहा कि रूस और चीन की मित्रता की कोई सीमा नहीं है.

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EU-Kommissionspräsidentin von der Leyen in Indien
तस्वीर: dpa/picture alliance

उर्सुला फोन डेय लायन भारत की दो दिवसीय यात्रा के पहले दिन भारतीय विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित सम्मेलन रायसीना डायलॉग में बोल रही थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की.

फोन डेय लायन ने बूचा में हुई हत्याओं को "अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन" बताया और आगे कहा कि यूक्रेन में जो हो रहा है उसका असर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी पड़ेगा क्योंकि "यूरोप की तरह हिंद-प्रशांत के लिए भी यह जरूरी है कि सीमाओं का आदर किया जाए और प्रभुत्व के क्षेत्रों को नकारा जाए."

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रूस-चीन दोस्ती

भारत को इशारों में समझाते हुए उन्होंने चेताया की रूस को समर्थन देने से भारत को चीन के साथ अपने रिश्ते संभालने में दिक्कत हो सकती है. उन्होंने बताया कि रूस और चीन ने इसी साल फरवरी में घोषणा की थी कि उनकी दोस्ती की कोई सीमा नहीं है और किसी भी क्षेत्र में सहयोग वर्जित नहीं है.

यह बताते हुए कि इसके ठीक बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया, उन्होंने सवाल उठाया कि अब इन दोनों देशों ने जो "नए अंतरराष्ट्रीय संबंधों" का आह्वान किया है, उससे हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?

फोन डेय लायन ने जोर देकर कहा कि पूरी दुनिया में शांति और सुरक्षा के जो मूल सिद्धांत हैं वो एशिया में भी और यूरोप में भी दांव पर लगे हैं.

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भारत से समर्थन की अपील

लेकिन इसके साथ ही उन्होंने मामले के कूटनीतिक समाधान की जरूरत को भी रेखांकित किया और कहा कि रूस के खिलाफ यूरोप के प्रतिबंधों का यही उद्देश्य है कि लंबी अवधि में इनकी मदद से एक ऐसा कूटनीतिक समाधान हासिल किया जा सके जिससे स्थायी रूप से शांति की स्थापना की जा सके.

उर्सुला फोन डेय लायन
पोलैंड में यूक्रेन के समर्थन में आयोजित एक सम्मेलन में भाग लेतीं उर्सुला फोन डेय लायनतस्वीर: JANEK SKARZYNSKI/AFP

इशारों में ही इन प्रतिबंधों को समर्थन देने के लिए भारत से अपील करते हुए उन्होंने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सदस्यों से अनुनय करते हैं कि वो लंबी चलने वाली शांति के लिए हमारी कोशिशों का समर्थन करें."

यूरोपीय देश, ब्रिटेन और अमेरिका यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही भारत के रूस के प्रति रुख को लेकर निराशा व्यक्त करते आए हैं. भारत ने युद्ध और हिंसा की निंदा तो की है लेकिन रूस की निंदा नहीं की है.

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संयुक्त राष्ट्र में भी पश्चिमी देशों द्वारा लाए गए रूस की आलोचना वाले प्रस्तावों पर मतदान से भारत ने बार बार खुद को दूर रखा है. माना जा रहा है कि फोन डेय लायन की भारत यात्रा का उद्देश्य भी भारत को अपने रुख को बदलने के लिए मनाने की कोशिश करना है.