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उत्तर कोरिया ने आईसीबीएम ही दागा: अमेरिका

५ जुलाई २०१७

अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने इस बात की पुष्टि की है कि उत्तर कोरिया ने इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का ही परीक्षण किया. इस परीक्षण से क्षेत्र में फिर से तनाव बढ़ गया है.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/KCNA

टिलरसन ने एक बयान जारी कर कहा है, "अमेरिका उत्तर कोरिया के इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल परीक्षण की कड़ी निंदा करता है. आईसीबीएम का परीक्षण अमरीका, इलाके में हमारे सहयोगी और दुनिया के लिए खतरे को और बढ़ाएगा."

इस मामले में अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के अनुरोध पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बुधवार को बैठक बुलायी जा सकती है. टिलरसन ने ये भी कहा है, "वैश्विक खतरे को रोकने के लिए वैश्विक कार्रवाई जरूरी है. कोई भी देश जो उत्तर कोरियाई कामगारों को बुलाता है, उसे आर्थिक या सैन्य सहायता देता है या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पूरी तरह से पालन करने में नाकाम रहता है वह एक खतरनाक सत्ता को मदद और उकसावा दे रहा है."

चीन उत्तर कोरिया का सबसे नजदीकी सहयोगी है. उत्तर कोरिया का यह परीक्षण ऐसे समय में सामने आया जब चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग मॉस्को के दौरे पर थे. मॉस्को के बाद वे जर्मनी पहुंचे हैं जहां उनकी मुलाकात राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर और चांसलर अंगेला मैर्केल से हो रही है. इसके बाद वे शुक्रवार से हैम्बर्ग में हो रहे जी20 शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.

उधर अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के परीक्षण पर ट्वीट कर वहां के नेता किम जोंग उन पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा है कि क्या इस आदमी के पास और कुछ करने को नहीं है. साथ ही उन्होंने चीन से उत्तर कोरिया पर और दबाव डालने को कहा है ताकि यह पूरा विवाद हमेशा के लिए खत्म हो सके.

अमेरिकी सेना ने शुरुआती आकलन में उत्तर कोरिया के परीक्षण को इंटरमीडिएट रेंज की मिसाइल माना था. बाद में इसके दो चरणों वाली आईबीएम होने की पुष्टि की गई. आईसीबीएम का परीक्षण उत्तर कोरिया के लिए एक बड़ी कामयाबी का संकेत है लेकिन इसके साथ ही इसकी वजह से अमेरिका और उसके सहयोगियों में तनाव बढ़ने की आशंका है. इस बीच अमेरिका और दक्षिण कोरिया के सैनिकों ने सटीकता के साथ निशाना लगाने वाली मिसाइलों का अभ्यास किया जिनमें आर्मी टैक्टिकल मिसाइल सिस्टम और ह्यूनमू मिसाइल-द्वितीय को शामिल किया गया.

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन यूं तो उत्तर कोरिया के साथ बातचीत का समर्थन करते हैं लेकिन उस पर दबाव बनाने के लिए प्रतिबंध लगाने की वकालत भी करते हैं. उनका कहना है कि उत्तर कोरिया के खिलाफ कड़े कदम उठाने होंगे, सिर्फ "बयान जारी कर देने भर से काम नहीं चलेगा".

वहीं दक्षिण कोरिया में कम्बाइंड फोर्सेस के कमांडर अमेरिकी जनरल विंसेंट ब्रूक्स ने कहा कि साझा तौर पर सैन्य अभ्यास से पता चलता है कि "हमारे गठबंधन के राष्ट्रीय नेताओं की तरफ से आदेश मिलने पर हम अपनी पसंद बदलने में सक्षम हैं." उन्होंने कहा, "आत्मसंयम, जो हमारी पसंद है, वहीं युद्धविराम और युद्ध को एक दूसरे से अलग करते हैं."

एनआर/एके (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)