1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कोवैक्सीन को डबल्यूएचओ की मान्यता का इंतजार

२७ अक्टूबर २०२१

कोवैक्सीन पर डबल्यूएचओ का फैसला जल्द आ सकता है. इस फैसले पर लाखों लोगों की यात्राओं के फैसले टिके हुए हैं क्योंकि विभिन्न देश तभी भारतीय टीके को मान्यता देंगे, जब उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन की मान्यता मिलेगी.

https://p.dw.com/p/42E1L
तस्वीर: PIB/AFP

सुगाथन पी. आर. को काम पर लौटना है. नौ महीने से वह नौकरी पर नहीं गए हैं. दक्षिण भारत में एक गांव के रहने वाले सुगाथन सऊदी अरब में काम करते हैं लेकिन अब तक भारत में ही फंसे हैं क्योंकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की वैक्सीन कोवैक्सीन को मान्यता नहीं दी है.

सुगाथन की ही तरह करोड़ों भारतीयों ने कोवैक्सीन का टीका लगवाया था. अब जबकि सीमाएं खुल रही हैं और लोग दूर देश की यात्राएं कर पा रहे हैं, कोवैक्सीन लगवाए ये लोग फंसे हुए हैं क्योंकि इनके टीके को बहुत से देश मान्यता नहीं दे रहे हैं.

कब आएगा फैसला

57 वर्षीय सुगाथन कहते हैं, "मैं यहां कब तक खाली बैठा रह सकता हूं.” वह जनवरी में केरल आए थे. पिछले साल उनके पिता की मृत्यु हो गई थी लेकिन फ्लाइट उपलब्ध ना होने के कारण वह तब नहीं आ पाए थे. फिर जनवरी में जैसे ही उन्हें फ्लाइट मिली वह टिकट लेकर घरवालों के पास चले गए. पर तब से वहीं फंसे हैं.

सुगाथन बताते हैं, "मेरे पास सऊदी जाकर दोबारा कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने का विकल्प था. लेकिन दोबारा वैक्सीन लेने का मेरी सेहत पर क्या असर होता, इसको लेकर मैं उलझन में था.” हालांकि अब वह यह खतरा उठाने के बारे में भी सोच रहे हैं. वह कहते हैं, "अगर कोवैक्सीन को मान्यता नहीं मिलती है तो मैं वहां जाकर मान्यताप्राप्त वैक्सीन लगवाने का खतरा उठाऊंगा.”

विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोवैक्सीन पर मंगलवार को फैसला करना था. लेकिन इस वैश्विक संस्था का कहना है कि अभी प्रक्रिया जारी है. सोमवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक प्रवक्ता ने कहा कि जल्दी ही इस बारे में फैसला हो सकता है.

यूएन की मीडिया ब्रीफिंग में प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस ने पत्रकारों को बताया, "अगर सबकुछ सही रहा और समिति संतुष्ट हुई तो हम अगले 24 घंटे में इस बारे में कोई फैसला पा सकते हैं.”

क्यों नहीं मिल रही मान्यता

कोवैक्सीन को भारत बायोटेक ने बनाया है. कोवैक्सीन को भारत बायोटेक और आईसीएमआर (ICMR) ने मिलकर बनाया है. इसे जनवरी में ही भारतीय ड्रग कंट्रोलर (DCGI) ने इस्तेमाल की अनुमति दे दी थी. तबसे अब तक भारत में कोवैक्सीन की करीब 6 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं.

लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और अमेरिकी ड्रग कंट्रोलर (USFDA) से इसे इस्तेमाल के लिए अनुमति नहीं मिली है. भारत बायोटेक की अमेरिकी सहयोगी ऑक्युजेन ने इसे अमेरिका में इस्तेमाल की अनुमति दिए जाने की मांग की थी, जिसे USFDA ने नकार दिया था. दोनों ही जगहों पर वैक्सीन को अनुमति न दिए जाने की वजह कंपनी की ओर से तीसरे चरण के ट्रायल से जुड़ी पर्याप्त जानकारियां न देना बताया गया था.

हालांकि इसके बावजूद ऐसे कई देश हैं, जिनकी ड्रग कंट्रोलर एंजेंसियों ने कोवैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है. भारत के अलावा अब तक गुयाना, ईरान, मॉरीशस, मेक्सिको, नेपाल, पराग्वे, फिलीपींस, जिम्बाब्वे और एस्टोनिया में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है.

भारत के प्रधानमंत्री सहित केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल के कई मंत्रियों ने कोवैक्सीन की ही डोज ली है. इसने भी इस वैक्सीन के प्रति लोगों के विश्वास में बढ़ोतरी की है.

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें