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सर्दियों में मुंह से क्यों निकलती है भाप

ऋषभ कुमार शर्मा
२३ दिसम्बर २०१९

सर्दियों में हमारे मुंह से भाप निकलने लगती है. लेकिन जब हम घर के अंदर होते हैं तो भाप निकलती नहीं दिखती. क्या शरीर में पानी गर्म होता रहता है जिसकी भाप निकलती है या फिर इसके पीछे कोई और वजह है, आइए जानते हैं.

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Bangladesch Winter & Nebel in Dhaka
तस्वीर: bdnews24.com

सर्दियों के मौसम में हमारे मुंह से भाप क्यों निकलने लगती है? क्या हमारे शरीर में हमेशा भाप बनती रहती है? अगर ऐसा है तो गर्मियों में हमें भाप निकलती क्यों नहीं दिखाई देती? क्या जानवरों के मुंह से भी सर्दी में भाप निकलती है? ये सारे सवाल आपके मन में भी आते होंगे. सर्दी आते ही हर किसी के मुंह से भाप निकलती दिखाई देती है. इस भाप के पीछे की वजह बड़ी सामान्य सी होती है.

जब हम सांस लेते हैं तो हमारे शरीर में ऑक्सीजन जाती है और सांस छोड़ते हैं तो कार्बन डाई ऑक्साइड निकलती है. लेकिन यह पूरा सच नहीं है. सांस छोड़ते समय फेफड़ों से कार्बन डाई ऑक्साइड के साथ साथ नाइट्रोजन, कम मात्रा में ऑक्सीजन, आर्गन और नमी भी शामिल होती है. यह नमी शरीर में कहां से आती है? क्योंकि हमारा मुंह और फेफड़े नम रहते है. इसलिए हर सांस के साथ थोड़ी मात्रा में नमी भाप के रूप में शरीर से बाहर निकलती है. जब शरीर में नमी यानी जल की मात्रा बढ़ती है तो ये पसीने और मूत्र में निकल जाती है.

BdT mit Deutschlandbezug l Schnee und Frost am Alpenrand
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Hildenbrand

पानी तीनों अवस्थाओं में होता है. ठोस, द्रव और गैस. ठोस होने पर पानी बर्फ, द्रव होने पर जल या पानी और गैसीय अवस्था में होने पर भाप कहलाता है. बर्फ में एच2ओ के अणु मजबूती के साथ एक दूसरे से जुड़े होते हैं. द्रव अवस्था में थोड़ी कम मजबूती और गैसीय अवस्था में और भी कम मजबूती के साथ ये आपस में जुड़े होते हैं. गैसीय अवस्था में एच2ओ के अणुओं में ऊर्जा ज्यादा होती है जिससे ये गतिक अवस्था में होते हैं. मानव शरीर का औसत तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है. ऐसे में जब बाहर का तापमान कम होता है और हम सांस बाहर छोड़ते हैं तो शरीर से निकलने वाली नमी के अणु अपनी ऊर्जा तेजी से खोने लगते हैं और पास-पास आ जाते हैं. इससे भाप द्रव या ठोस अवस्था में बदलने लगती है. ये भाप छोटी-छोटी पानी की बूंदों में होती है. अगर तापमान शून्य से ज्यादा नीचे हो तो मुंह से निकलने वाली भाप बर्फ में बदलने लगती है. ऐसा अक्सर तब होता है जब तापमान सात डिग्री सेल्सियस से कम होता है.

BdT Bild des Tages | Gefrorenes Blatt
तस्वीर: AFP/D. Roland

विज्ञान के मुताबिक गैस में अणु दूर दूर, द्रव में थोड़े पास और ठोस में एकदम चिपके रहते हैं. भाप द्रव और गैस के बीच की अवस्था है. इसे द्रवित गैस कहा जा सकता है. जब बाहर के तापमान में गर्मी होती है तब नमी शरीर से बाहर निकलती है तो गैसीय अवस्था में ही रहती है. क्योंकि इसके अणुओं की गतिक ऊर्जा कम नहीं होती है और वे दूर दूर ही रहते हैं. इस वजह से ये भाप या पानी की बूंदों में नहीं बदल पाते. लेकिन जब बाहर का तापमान कम होता है तब निकलने वाले नमी और गैस अपनी गतिक ऊर्जा तेजी से खोते हैं और उसके अणु पास पास आने लगते हैं. ये अणु पास-पास आकर भाप बन जाते हैं. मुंह से भाप निकलना पूरी तरह बाहर के तापमान पर निर्भर करता है. इसलिए बंद घर के अंदर अक्सर मुंह से उतनी भाप नहीं निकलती क्योंकि अंदर का तापमान 7 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होता है.

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