ना साबुन ना हैंड सैनेटाइजर, शरणार्थियों की नई मुसीबत
२५ मार्च २०२०सीरियाई शरणार्थी मोहम्मद अल-बख्स पूरी कोशिश कर रहे हैं कि उनका परिवार कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा रहे. वह अपने राहत शिविर को स्वच्छ रखने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन पर्याप्त मात्रा में साबुन ना होना या पैसे की कमी के कारण वे हैंड सैनेटाइजर और फेस मास्क खरीदने में असमर्थ हैं. उत्तरी लेबनान में एक राहत शिविर में रहने वाले अल-बख्श कहते हैं, "उन्होंने हमारे साथ एक जागरूकता सत्र का आयोजन किया और प्रत्येक को एक-एक साबुन दिया लेकिन यह पर्याप्त नहीं है." वे उन सहायताकर्मियों का जिक्र कर रहे हैं जिन्होंने पिछले दिनों राहत कैंपों का दौरा किया और कोरोना से बचाव को लेकर बातें बताईं. अल-बख्श आठ साल पहले सीरिया के होम्स से बीवी और बच्चों के साथ लेबनान आए थे. वह कहते हैं, "हमने अपने कैंपों के लिए उनसे डिसिन्फेक्टन्ट, हैंड सैनेटाइजर मांगा, क्योंकि हमारा समूह बड़ा है."
लेबनान में भी कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और देश में कम से कम चार लोगों की मौत इस महामारी के कारण हो चुकी है. राहत की बात यह है कि शरणार्थी शिविर में अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है. लेबनान में सीरियाई शरणार्थियों की आबादी करीब दस लाख है. लेबनान की सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली इस महामारी से निपटने की कोशिश कर रही है. सीरियाई और फिलिस्तीनी दोनों ही शरणार्थियों के कैंपों में वायरस फैलने की आशंका को लेकर सरकार चिंतित है. लेबनान के स्वास्थ्य मंत्री हमाद हसन का कहना है कि शरणार्थियों के स्वास्थ्य की देखभाल सरकार और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों की साझा जिम्मेदारी है. साथ ही वह कहते हैं कि इस संकट पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया धीमी थी.
उन्होंने कहा, "योजनाएं बनाने, फील्ड अस्पताल के निर्माण या फिर स्वास्थ्य मंत्रालय की सहायता करने के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ-साथ यूएन एजेंसियों ने थोड़ी देरी कर दी."
वहीं शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर ने कहा कि शरणार्थी समुदायों में कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए उसने बहुत पहले से ही प्रयास शुरू कर दिए थे. उसका कहना है कि जागरूकता अभियान और स्वच्छता सामग्री का वितरण कार्यक्रम जारी है और जरूरत के हिसाब से अस्पताल में मरीजों की भर्ती की संख्या को बढ़ाने के लिए तैयारी की जा रही है. लेबनान में यूएनएचसीआर की प्रवक्ता लिजा अबु खालिद कहती हैं, "हम दिन रात काम कर रहे हैं. हम सभी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं जिनमें मौजूदा अस्पतालों में सुविधा बढ़ाना हो या फिर फील्ड अस्पतालों को बनाना हो. इसकी संभावना अधिक है कि दोनों के होने से ज्यादा लाभ होगा." कोरोना वायरस के पहले लेबनान वित्तीय और आर्थिक संकट से जूझ रहा था. सरकार अपनी सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को सुधारने के लिए विदेशी मदद की अपील कर रही है. लेबनान में सालों से शरणार्थी कैंपों में रह रहे गरीब लोगों के लिए कोरोना वायरस एक नई मुसीबत बन कर आया है.
एए/सीके (रॉयटर्स)
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