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समाज

महिलाएं पुरुषों से ज्यादा पढ़ी लिखी, पर वेतन कम

७ अक्टूबर २०१७

विकसित देशों में महिलाएं पुरुषों के मुकाबले ज्यादा शिक्षित हैं, लेकिन उन्हें वेतन पुरुषों से कम मिलता है. साथ ही राजनीति और बड़ी कंपनियों में नेतृत्व के स्तर पर भी उनकी हिस्सेदारी कम है.

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Gruppe junger Menschen im Buero in Startposition fuer ein Rennen
तस्वीर: picture alliance/blickwinkel/McPHOTO

पेरिस स्थित थिंक टैंक ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनोमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) का कहना है कि कनाडा, जापान और नॉर्वे से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक युवा महिलाएं पुरुषों के मुकाबले औसतन 15 प्रतिशत कम कमाती हैं जबकि वे पुरुषों से ज्यादा पढ़ी लिखी हैं.

ओईसीडी का कहना है कि पिछले एक दशक के दौरान कामकाजी माता पिताओं के लिए बेहतर नीतियों, वेतन में अंतर को पाटने और पारदर्शिता बढ़ाने और वरिष्ठ पदों पर महिलाओं को लाने की कोशिशों के बावजूद वेतन में अंतर लगातार बना हुआ है. ओईसीडी के महासचिव एंजेल गुरिया ने एक बयान में कहा, "लैंगिक असमानता को पाटने की दिशा में हर देश की अपनी बाधाएं हैं. हालात को बदलने के लिए हमें रूढियों, नजरियों और व्यवहार को मद्देनजर रखते हुए सरकारी नीतियों में बड़े बदलाव करने होंगे."

ओईसीडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि बच्चों के जन्म के कारण महिलाओं के करियर में अकसर एक ठहराव आ जाता है. इसके अलावा उनके दफ्तरों में भेदभाव भी होता है. इन सब कारणों की वजह से वह पुरुषों जितना नहीं कमा पाती हैं.

कार्यस्थल से जुड़े मुद्दों के अलावा बच्चों की परवरिश में माता पिता की असमान जिम्मेदारियों, राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व ना होने और महिलाओं को लेकर दकियानूसी सोच भी लैंगिंक असमानता को खत्म करने की राह में रोड़ा हैं. लेकिन जिन देशों में ओईसीडी ने सर्वे किया, सभी जगह महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकना सबसे बड़ी प्राथमिकता पाया गया.

गुरिया कहते हैं, "इन असामनताओं को काफी पहले ही दूर कर लिया जाना चाहिए था. कोई वजह नहीं है कि सामाजिक, आर्थिक और राजनीति क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों से पीछे रहें." वह कहते हैं, "घर, काम और सार्वजनिक जीवन में महिला और पुरुषों का पूरा पूरा योगदान रहे, इसके लिए लैंगिक समानता बहुत जरूरी है. इससे समाज का भी भला होगा और अर्थव्यवस्थाओं का भी."

रिपोर्ट कहती है कि अगर 2025 तक महिला और पुरुषों के वेतन में अंतर को 25 फीसदी भी कम कर लिया जाता है तो ओईसीडी के 35 सदस्य देशों में आर्थिक विकास की संभावनाएं बहुत बेहतर होंगी. थिंकटैंक के मुताबिक अगर महिला और पुरुष उद्यमियों की संख्या बराबर होती तो वैश्विक जीडीपी में 2 प्रतिशत बढोत्तरी की उम्मीद की जा सकती है जो 1.5 ट्रिलियन डॉलर के आसपास होगी. गुरिया कहते हैं, "हमें लैंगिक समानता को हकीकत में तब्दील करना होगा."

एके/आईबी (रॉयटर्स)