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समाज

महामारी में भी रक्षा खर्च की होड़

२६ अप्रैल २०२१

सिपरी के मुताबिक कोरोनो वायरस महामारी के बावजूद कुल वैश्विक सैन्य खर्च पिछले साल लगभग 2 खरब डॉलर तक बढ़ गया.

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तस्वीर: Ben Bloker/US Air Force/dpa/picture alliance

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) के मुताबिक कोरोनो वायरस महामारी के बावजूद कुल वैश्विक सैन्य खर्च बढ़ कर पिछले साल लगभग दो खरब डॉलर तक पहुंच गया. शोध संस्थान का कहना है कि 2020 में 2019 के मुकाबले 2.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. पिछले साल सैन्य खर्च पर देशों ने 1,981 अरब डॉलर खर्च किए. 2020 में पांच सबसे ज्यादा सैन्य खर्च करने वाले देशों में अमेरिका, चीन, भारत, रूस और ब्रिटेन शामिल हैं.

इन देशों ने कुल सैन्य खर्च का 62 फीसदी खर्च किया है. इस बीच, चीन द्वारा सैन्य खर्च में लगातार 26वें साल वृद्धि दर्ज की गई. सिपरी के शस्त्र और सैन्य व्यय कार्यक्रम के रिसर्चर डिएगो लोपेस द सिल्वा के मुताबिक, "हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि साल 2020 में महामारी का महत्वपूर्ण प्रभाव सैन्य खर्च पर नहीं पड़ा." वे आगे कहते हैं, "यह देखने लायक होगा कि क्या देश महामारी के दूसरे साल भी इस तरह से सैन्य खर्च को बनाए रखते हैं."

वैश्विक रक्षा खर्च बढ़ने के बावजूद कुछ देश- जैसे चिली और दक्षिण कोरिया ने सैन्य खर्च के लिए रखे पैसे का इस्तेमाल महामारी प्रतिक्रिया प्रयासों के लिए किया. संस्थान के मुताबिक अन्य देश जिनमें ब्राजील और रूस शामिल हैं-2020 के लिए अपने प्रारंभिक सैन्य बजट पर काफी कम खर्च किया. सिपरी के मुताबिक रक्षा खर्च में अमेरिका अग्रणी है. अमेरिकी सैन्य खर्च अनुमानित 778 अरब डॉलर तक पहुंच गया, इसमें 2019 की तुलना में 4.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. 2020 में अमेरिका ने कुल सैन्य खर्च का 39 प्रतिशत हिस्सा खर्च किया. अमेरिका ने लगातार तीसरे साल सैन्य खर्च पर बढ़ोतरी जारी रखी है. इसके पहले, सात साल तक अमेरिका के सैन्य खर्च में गिरावट देखी गई थी. रक्षा पर खर्च करने वाला दूसरा सबसे बड़ा देश चीन है. अनुमान है कि चीन ने साल 2020 में 252 अरब डॉलर रक्षा पर खर्च करे.

सिपरी की गणना के मुताबिक रूस ने 61.7 अरब डॉलर, ब्रिटेन ने 59.2 अरब डॉलर और सऊदी अरब ने 57.5 अरब डॉलर खर्च किए. सैन्य खर्च के मामले में जर्मनी सातवें नंबर पर है. जर्मनी ने रक्षा पर खर्च को 5.2 फीसदी बढ़ाकर 52.8 अरब डॉलर किया. सिपरी के शोधकर्ता अलेक्जांड्रा मार्कश्टाइनर के मुताबिक, "पिछले कुछ सालों से हम यह चलन देख रहे हैं कि जर्मनी सैन्य खर्च बढ़ा रहा है. हमारे आंकड़ों के मुताबिक जर्मनी ने 2014 के बाद से सैन्य खर्च बढ़ाना शुरू किया है." सिपरी के मुताबिक पिछले साल नाटो के सभी सदस्यों पर सैन्य बोझ बढ़ा है. परिणामस्वरूप, नाटो के 12 सदस्यों ने अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत या उससे अधिक खर्च रक्षा पर किया. 2019 में सिर्फ नौ सदस्यों का खर्च लक्ष्य के भीतर था.

एए/आईबी (डीपीए)

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