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भारत में 3,000 पहुंची बाघों की संख्या

ऋषभ कुमार शर्मा
२९ जुलाई २०१९

भारत में इंसानों और बाघों के बीच टकराव की खबरें बेहद आम है. इन टकरावों में दोनों को ही जान का नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन भारत में बाघों की संख्या लगातार बढ़ते हुए 2,967 हो गई है. 10 साल पहले यह संख्या 1,411 रह गई थी.

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तस्वीर: picture-alliance/empics/G. Fuller

29 जुलाई को विश्व बाघ दिवस पर भारत सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक भारत में बाघों की संख्या 2,967 हो गई है. 2008 में संख्या 1,411 रह गई थी. बाघों की संख्या में हुई वृद्धि को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक सफलता बताया है. भारत हर चार साल में बाघों की संख्या की गणना करता है. 2014 में हुई पिछली बाघगणना के मुताबिक भारत में 2,226 बाघ थे. 2018 की बाघगणना में इसमें लगभग 30 प्रतिशत वृद्धि दर्ज हुई है.   

बाघ भारत का राष्ट्रीय पशु है. भारत में बाघ के संरक्षण के लिए नियम बने हुए हैं. 1970 के बाद से इंसानों और बाघों के बीच में टकराव के मामले आम होने लगे. इसके चलते बाघों की संख्या कम होती चली गई. इस गिरावट को रोकने के लिए सरकार ने बाघ के शिकार को अपराध बना दिया. बाघगणना के आंकड़ों को जारी करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा कि लगभग 3,000 बाघों के साथ भारत बाघों के लिए सबसे सुरक्षित ठिकानों में से एक बन गया है. इनकी सुरक्षा में लगे हुए सभी लोग इस वृद्धि के लिए प्रशंसा के पात्र हैं. उन्होंने कहा कि नौ साल पहले रूस के सैंट पीटर्सबर्ग में तय किया गया था कि 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना करना है लेकिन भारत ने यह लक्ष्य चार साल पहले ही पूरा कर लिया है. साथ ही उन्होंने बताया कि भारत में 2014 में 692 बाघ सुरक्षित इलाके थे जो 2018 में 860 हो गए. साथ ही बाघ संरक्षण के लिए 2014 में 43 इलाके थे जो 2018 में 100 हो गए हैं.

वन्यजीव सुरक्षा सोसाइटी के प्रमुख बेलिंडा राइट ने कहा कि यह बहुत गर्व करने  वाली बात है. भारत ने समय से पहले अपना लक्ष्य पूरा कर लिया है. लेकिन अभी रास्ता बहुत लंबा है. बाघों का दूरगामी भविष्य भी भारत को सुरक्षित करना होगा क्योंकि बाघों और इंसानी टकरावों के मामले आज भी बहुत आम हैं. जनसंख्या में वृद्धि इसका बड़ा कारण है.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/STR

भारत में होने जानवरों और इंसानों के बीच का टकराव बेहद आम है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक रोज एक इंसान हाथी या बाघ के हमले में अपनी जान गंवाता है. भारत में बाघ और हाथी का शिकार सबसे ज्यादा किया जाता है. इनकी हड्डियों और दांतों का इस्तेमाल दवाई बनाने में किया जाता है. बाघ की खाल की तस्करी भी की जाती है. साथ ही जंगलों से निकल रहीं रेल की पटरियों पर भी जानवरों की मौत हो जाती है.

2008 से बढ़ने लगे बाघ

2008 में हुई बाघगणना में पता चला कि भारत में बस 1,411 बाघ बचे हैं. सरकार ने इसके लिए अभियान चलाना शुरू हुआ. 2010 में ये संख्या बढ़कर 1,706 हो गई थी. 2014 में हुई गणना में ये 2,226 और 2018 में 2,967 हो गई है. फिलहाल भारत में मध्य प्रदेश में 526, कर्नाटक में 524 और उत्तराखंड में 442 बाघ हैं. 1970 में भारत में 1800 बाघ बचे थे जिसके बाद जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में बाघ संरक्षण अभियान चलाया था. भारत में दुनिया के 70 प्रतिशत से भी ज्यादा बाघ रहते हैं.

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में 3,900 बाघ हैं. पिछले दशकों में दुनियाभर के 95 प्रतिशत बाघ गायब हो चुके हैं. इसकी वजहें उनके रहने की जगह ना बचना और इंसानों के साथ लगातार हो रही मुठभेड़ें शामिल हैं. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड ने बाघों को बचाने के लिए 13 टाइगर रेंज कंट्री बनाईं. रूस के सैंट पीटर्सबर्ग में 2009 में विश्व बाघ सम्मेलन हुआ. इसमें तय किया गया कि 29 जुलाई को हर साल विश्व बाघ दिवस मनाया जाएगा. हर चार साल में बाघों की गणना की जाएगी. साथ ही 2022 तक बाघों की संख्या को दोगुना किया जाएगा.

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2017 में असम में आई बाढ़ से काजीरंगा में मरा एक बाघ.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/U. Saikia

हालांकि इंसान और बाघों के बीच टकराव अभी भी जारी है. पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में एक बाघिन को गांव में घुसने के चलते पीट-पीटकर मार दिया गया था जिसका वीडियो खासा वायरल हुआ था. सुंदरबन में आई बाढ़ के बाद आसपास के इंसानी इलाकों में जानवर घुस गए थे. इनमें बड़ी संख्या में बंगाल टाइगर थे. हालांकि वहां हिंसा की कोई खबर सामने नहीं आई थी.

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