1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

अंगेला मैर्केल की चांसलरी कायम रहेगी

इनेस पोल
८ दिसम्बर २०१८

जर्मनी की सबसे बड़ी पार्टी ने चांसलर मैर्केल के करीबी सहयोगी आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर को अपना अगला नेता चुना है. डीडब्ल्यू की मुख्य संपादक इनेस पोल का मानना है कि इस वक्त पार्टी को ऐसे शख्स की जरूरत है जो उसे झकझोर दे.

https://p.dw.com/p/39iDz
Deutschland CDU-Parteitag in Hamburg Kramp-Karrenbauer und Merkel
तस्वीर: Reuters/K. Pfaffenbach

जर्मन पार्टी में नेतृत्व के चुनाव को लेकर जर्मनी से बाहर आमतौर पर ना के बराबर ही दिलचस्पी रहती है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है. हाल के दिनों में द न्यूयॉर्क टाइम्स जैसे अखबारों ने भी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक यूनियन (सीडीयू) के पार्टी कॉन्फ्रेंस को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज एच डब्ल्यू बुश के अंतिम संस्कार की तुलना में ज्यादा प्रमुखता दी है.

दुनिया भर की नजरें

दुनिया भर के टीवी स्टेशनों ने सीडीयू के अगले नेता चुने जाने पर ब्रेकिंग न्यूज प्रसारित किया और इन सबकी उत्सुकता की वजह है का एक ही नाम है अंगेला मैर्केल.

बहुत से लोगों के लिए जर्मन चांसलर दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक हस्ती हैं. ऐसी दुनिया में जहां रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन, अमेरिकी राष्ट्रपित डॉनल्ड ट्रंप और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोवान की मर्दानगी निरंतर उत्पात मचाए हुए है.

ज्यादातर लोग मैर्केल को विवेकी मानते हैं, खासतौर से ऐसे वक्त में जब राष्ट्रवाद खतरनाक रूप से उभर रहा है और समाज में विभाजन बढ़ रहा है, तब वो संतुलन की आखिरी उम्मीद हैं.

हालांकि अपने ही देश में मैर्केल की आभा फीकी पड़ गई है. राज्यों के चुनाव में सीडीयू को एक के बाद एक लगातार हार देखनी पड़ी है और पार्टी के भीतर आलोचकों की आवाज इतनी तेज हो गई कि मैर्केल के पास पार्टी के नेतृत्व को छोड़ने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बच गया था.

अक्टूबर के आखिर में जब मैर्केल ने नेतृत्व छोड़ने की घोषणा की तो उनका उत्तराधिकारी बनने की जंग शुरू हुई. उनके कार्यकाल में अभी ढाई साल से ज्यादा समय बचा है लेकिन यह साफ था कि अगर उनके मुखर विरोधी को शीर्ष पद के लिए पार्टी ने चुन लिया तो मैर्केल के लिए सरकार चलाना मुश्किल हो जाएगा.

देर से लिया गया बदला

अठारह साल पहले मैर्केल ने जिस शख्स को राजनीति से बाहर कर दिया था, वह कुल 1001 में महज 35 वोटों से अपना बहुप्रतीक्षित बदला लेने में नाकाम हो गया. फ्रीडरिष मैर्त्स लंबे समय से मैर्केल के आलोचक रहे है. पार्टी में वो सारे लोग जिनका मैर्केल ने अपने लंबे करियर में अनादर किया, रास्ता रोका या फिर जिन्हें राजनीतिक रूप से शून्य कर दिया, उनके समर्थन से आखिरी वक्त में मैर्त्स को अपने लिए एक मौका नजर आया था.

Ines Pohl Kommentarbild App
डीडब्ल्यू की मुख्य संपादक इनेस पोलतस्वीर: DW/P. Böll

शुक्रवार को असमंजस भरे लंबे दिन की शुरुआत मैर्केल के बेहद भावुक भाषण से हुई थी और अंत एक बेहद नजदीकी मुकाबले के नतीजे से हुआ. विजेता रही आनेग्रेट क्रांप कारेनबावर. आखिर में अंगेला मैर्केल के पसंदीदा उम्मीदवार पर मुहर लगाने के बाद पार्टी कांफ्रेंस ने इस बात के लिए भी वोट दिया कि चांसलर अपना कार्यकाल पूरा करेंगी. शर्त सिर्फ यह है कि गठबंधन में शामिल जूनियर सहयोगी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी रिश्ता तोड़ कर बाहर ना हो जाए.

शांति रखिए और आगे बढ़िए
 

बर्लिन की विदेश नीति भरोसेमंद बनी रहेगी और यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में स्थिरता कायम रहेगी, सरकार की बड़ी नीतियों में भी शायद ही कोई बदलाव होगा.

घरेलू मामलों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या क्रांप कारेनबावर पार्टी की आत्मा पर लगे जख्मों को दूर करने में सफल होती हैं. इसके अलावा उन्हें पार्टी के अलग अलग धड़ों को एकजुट करने और ना सिर्फ सीडीयू बल्कि जर्मनी को झकझोरने की जरूरत भी होगी जिसका बड़ी बेचैनी से इंतजार है. यह हलचल बेहद जरूरी है क्योंकि चांसलर के अगले चुनाव में देश, मैर्केल के 16 साल के शासन की थकान का अनुभव नहीं करना चाहेगा.

सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या क्रांप कारेनबावर अपने उस्ताद और पूर्ववर्ती की छाया से बाहर निकलने में सफल हो सकेंगी, क्या वो अंतरराष्ट्रीय अनुभव बटोरने के साथ ही यह भी सीख सकेंगी कि अपने पैरों पर कैसे खड़ा होना है. चांसलर के चुनाव में एक मजबूत उम्मीदवार बनने के लिए इन सबकी जरूरत होगी.

यह सारे सवाल भविष्य के लिए हैं.

फिलहाल तो सीडीयू के लिए शीर्ष पर एक नहीं बल्कि दो दो महिलाएं हैं.

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें