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अंगेला मैर्केल की लोकप्रियता घटी

३० मार्च २०११

जापान के परमाणु संकट का असर जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल की लोकप्रियता पर पड़ा है. इस संकट के बाद मैर्केल ने अपनी परमाणु नीति को पूरी तरह बदल लिया लेकिन इससे उन्हें पसंद करने वाले लोगों की तादाद घट गई.

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तस्वीर: dapd

बुधवार को जारी किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक अपनी परमाणु नीति को पूरी तरह उलटने का मैर्केल को खासा नुकसान हुआ है. स्टर्न पत्रिका के लिए फोर्सा एजेंसी ने यह सर्वे किया है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि मैर्केल को चार अंकों का नुकसान हुआ है और अब उनकी लोकप्रियता खिसक कर 55 फीसदी पर आ गई है. यानी अब वह अपने प्रतिद्वंद्वी सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर से भी एक फीसदी पीछे हो गई हैं. 2009 के चुनावों में मैर्केल ने श्टाइनमायर को हराया था.

इससे पहले के सर्वेक्षणों में मैर्केल लोकप्रियता के मामले में अपनी ही सरकार में मंत्री रहे कार्ल थियोडोर त्सु गुटेनबर्ग से पिछड़ती रही हैं. रक्षा मंत्री रहे गुटेनबर्ग को पिछले महीने इस्तीफा देना पड़ा क्योंकि उन पर अपनी पीएचडी के लिए नकल करने के आरोप लगे.

जापान का नुकसान

जर्मनी में परमाणु ऊर्जा को लेकर लंबी बहस चल रही है. जापान के भूकंप से पहले तक मैर्केल सरकार परमाणु ऊर्जा पर कोई समझौता करने को तैयार नहीं थी. पुराने पड़ चुके परमाणु बिजली घरों की उम्र भी 12 साल तक बढ़ा दी गई थी. हालांकि सरकार के इस फैसले का तीखा विरोध हुआ था. लेकिन मैर्केल ने उस विरोध को पूरी तरह दरकिनार कर दिया था.

जापान में परमाणु संकट आने के बाद से मैर्केल अपनी इस नीति पर ढीली पड़ गईं. पहले उन्होंने परमाणु बिजली घरों की उम्र बढ़ाने की योजना रोकी और फिर अपनी नीति को पूरी तरह उलटते हुए कहा कि परमाणु ऊर्जा से जितनी जल्दी छुटकारा मिल जाए, उतना अच्छा.

इस बात का संदेश कुछ यूं गया कि जर्मनी के दो राज्यों में होने वाले चुनावों से पहले मैर्केल ने ऐसा किया है. इससे उनकी अपनी पार्टी के सदस्य भी नाराज हुए. उन पर वोटों की खातिर अपनी नीतियों से समझौता करने का आरोप लगा.

विपक्ष को इसका फायदा हुआ और दक्षिण पश्चिमी राज्य बाडेन वुर्टेमबर्ग में उनकी पार्टी सीडीयू चुनाव हार गई. सीडीयू लगभग छह दशक से इस राज्य में सत्ता में थी और पहली बार ग्रीन पार्टी और एसडीपी के गठबंधन ने उससे सत्ता छीन ली.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः ए कुमार

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