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अभिव्यक्ति की लड़ाई चलती रहेगीः असीम

१२ सितम्बर २०१२

कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी बुधवार को मुंबई की आर्थर रोड जेल से रिहा हो गए. असीम को चार दिन तक हिरासत में रखने के दौरान भारत में अभिव्यक्ति की आजादी के पैरोकारों ने जम कर हो हल्ला मचाया.

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तस्वीर: AP

रिहा होने के बाद असीम त्रिवेदी ने आर्थर रोड जेल के बाहर उनके समर्थन में मौजूद लोगों से कहा,"हालांकि मैं आजाद हो गया हूं लेकिन लड़ाई जारी रहेगी. जब कभी भी कानूनी अधिकारों का उल्लंघन होगा, हमारी लड़ाई चलेगी." त्रिवेदी को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार का मजाक उड़ाने वाले कार्टून बनाने के लिए गिरफ्तार किया गया था. उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक दिन पहले 5000 रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया. त्रिवेदी के वकील विजय हिरेमथ ने एक दिन पहले उनके खिलाफ आरोप वापस लेने की उम्मीद जताई.

स्वतंत्र कार्टूनिस्ट और भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन कर रहे त्रिवेदी की गिरफ्तारी ने सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा और भड़काया. सरकार पर साम्राज्यवादी दौर के देशद्रोह कानूनों का इस्तेमाल विरोधियों के खिलाफ करने का आरोप लगा. मानवाधिकार संगठन ह्यूमन राइट्स वॉच भी बुधवार को सरकार का विरोध करने वालों में शामिल हो गया और आरोपों को "राजनीति से प्रेरित" बताते हुए उन्हें वापस लेने की मांग की.

ह्यूमन राइट्स वॉच की दक्षिण एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली ने कहा है, "कार्टूनिस्ट को उसके चुभने वाले व्यंग्य के लिए गिरफ्तार करना लोकतंत्र नहीं तानाशाही की निशानी है." असीम त्रिवेदी को एक वकील की शिकायत पर देशद्रोह, सूचना तकनीक और भारत के राष्ट्रध्वज और संविधान की रक्षा से जुड़े कानूनों तहत गिरफ्तार किया गया. त्रिवेदी की वेबसाइट पर कई कार्टून मौजूद हैं. इनमें एक में राष्ट्रीय प्रतीक के शेरों की जगह खून के प्यासे भेड़िये बना दिए गए हैं, एक दूसरे कार्टून में संसद को एक बड़े से शौचालय के कटोरे के रूप में दिखाया गया. "भारत माता का सामूहिक बलात्कार" नाम के एक कार्टून में भारत के राष्ट्रध्वज में लिपटी एक महिला नेताओं और नौकरशाहो के हाथों खींची जाती दिख रही है और सिंगों वाला एक जानवर जिसका नाम भ्रष्टाचार है उस पर हमला करने की तैयारी में है.

सोमवार को मुंबई की एक अदालत ने असीम त्रिवेदी को 24 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में रखने का आदेश दिया था. मीडिया अधिकारों के लिए बात करने वाले गुट रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स और कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट (सीपीजे) ने भी त्रिवेदी को रिहा करने और सारे आरोपों को वापस लेने की मांग की है. त्रिवेदी की गिरफ्तारी से कुछ ही दिन पहले भारत में 300 से ज्यादा वेसाइटों, सोशल नेटवर्क के पन्नो, ट्वीटर अकाउंट और दूसरी ऑनलाइन चीजों पर रोक लगाई गई. यह रोक अफवाह फैलने से रोकने के नाम पर लगाई गई.

हाल के दिनों में देशद्रोह के आरोपों का सबसे चर्चित मामला बिनायक सेना का था जिन्हें 2010 में माओवादी विद्रोहियों की कथित मदद के आरोप में आजीवन कारावास की सजा दी गई. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्हें जमानत मिली. भारत ने पिछले दिनों अपने नेताओं की आलोचना पर बड़ी तीखी प्रतिक्रिया जताई है. वॉशिंगटन पोस्ट में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना पर पूरा सत्ता पक्ष प्रतिक्रिया जताने निकल पड़ा.

एनआर/एएम (एपी, एएफपी)