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अमृतसर दशहरा कांड का दोषी कौन

शिवप्रसाद जोशी
२२ अक्टूबर २०१८

पंजाब के अमृतसर में दशहरा आयोजन के दौरान दो रेलों से कुचलकर मरने वालों की संख्या 60 से ज्यादा हो गई है. पचास से ज्यादा लोग घायल हैं. इस बीच हादसे पर लीपापोती और दोषारोपण जारी है.

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Indien Pendlerzug rast in Amritsar in Menschenmenge 59 Tote
तस्वीर: Reuters/M. Sharma

शुक्रवार को अमृतसर में जोड़ा फाटक के पास दशहरा उत्सव के मौके पर 300 लोग जमा थे. मीडिया खबरों के मुताबिक पुलिस ने माना कि उसने आयोजकों को एनओसी दी थी लेकिन इस शर्त पर कि वे नगर निगम और प्रदूषण विभाग से भी अनुमति लेंगे. नगर निगम ने भी पल्ला झाड़ लिया कि उससे इजाजत नहीं ली गई. मीडिया खबरों के मुताबिक पंजाब पुलिस के महानिदेशक ने कहा है कि लापरवाही की वजह से अमृतसर रेल हादसा हुआ है. ये भी पता चला है कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (रेलवे) जवाबदेही की जांच करेंगे.

इस बीच रेलवे मंत्रालय ने कहा है कि घटना में उसकी कोई चूक नहीं है. रेलवे अधिकारियों के मुताबिक उन्हें सूचित ही नहीं किया गया था. लेवल क्रासिंग पर कोई रेलवे स्टाफ नहीं रहता. और रेल अपनी निर्धारित स्पीड से ही ऐसे क्रासिंगों से गुजरती है. रेल राज्य मंत्री ने भी कहा, लोगों को पटरियों के नजदीक ऐसे आयोजन नहीं करने चाहिए. केंद्रीय मानवाधिकार आयोग ने  घटना पर सरकार और पुलिस से जवाब तलब किया है. उसका कहना है कि राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन और आयोजकों को चाहिए था कि कार्यक्रम स्थल पर पर्याप्त सुरक्षा इतंजाम कराते. आयोग ने ये भी कहा कि अगर रेलवे को नहीं बताया गया तो ये और भी बड़ी लापरवाही है.

Indien Pendlerzug rast in Amritsar in Menschenmenge 59 Tote
तस्वीर: Reuters TV

पता चला है कि स्थानीय कांग्रेस पार्षद का परिवार इस दशहरे समारोह का आयोजक था. और कार्यक्रम की मुख्य अतिथि पूर्व क्रिकेटर और पंजाब सरकार में मंत्री नवजोत सिद्धू की पत्नी और पूर्व कांग्रेस विधायक नवजोत कौर थीं. पंजाब के विपक्षी दल जहां राज्य सरकार पर हमलावर हैं वहीं पंजाब सरकार, केंद्र और रेलवे पर अनदेखी और लापरवाही का दोष मढ़ रही है. इस तरह मामले की लीपापोती के साथ साथ आरोप-प्रत्यारोप भी जारी हैं.

पंजाब सरकार ने मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए हैं. वैसे रेलवे पुलिस ने भी अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. ये भी कहा जा रहा है कि लोगों को रेलवे पटरियों पर नहीं उतरना चाहिए था. जाहिर है उत्सव के उल्लास और जागरूकता के अभाव की वजह से लोग सचेत नहीं थे और जोखिम उठाने को भी तैयार थे लेकिन ये वही नाजुक मौके होते हैं जब ऐसे सार्वजनिक समारोहों और उत्सवों में आयोजकों और पुलिस प्रशासन को सुरक्षा के इंतजाम चौतरफा और चौकस रखने होते हैं. आखिर ऐसी जगह चुनी ही क्यों गई जहां खतरे की आशंका ज्यादा थी. ज्यादा भीड़ के लालच में इस खतरे को भी अनदेखा कर दिया गया कि लोग पटरियों पर उतर सकते हैं. यह एक आपराधिक लापरवाही नजर आती है. अगर रेलवे को समय पर सूचित किया जाता तो शायद ये हादसा टल सकता था. या रेलवे के पास ऐसे इंतजाम क्यों नहीं बन पा रहे हैं कि वो किसी निर्धारित और सुरक्षित दूरी से लाइव ट्रेक पर किसी अवांछित गतिविधि को पकड़ सके. बुलेट परियोजना की गुदगुदी में ये भी देखना चाहिए.

BdTD Indien Zugunglück in Amritsar
तस्वीर: Reuters/A. Abidi

अगर सरकार और प्रशासन का कोई जिम्मेदार और वरिष्ठ व्यक्ति कार्यक्रम स्थल का पहले ही मुआयना कर देता तो भी शायद बात बन सकती थी. जैसा कि कहा जा रहा है कि अनुमति और सूचनाएं आधी अधूरी थीं, तो ये चिंता का विषय है कि आखिर आम लोगों को किस तरह से दर्शक और भीड़ की तरह जमा किया जा रहा है. पटरियों की ओर जाने वाले रास्ते बंद होने चाहिए थे, आयोजकों की ओर से वॉलंटियर और पुलिस की ओर से दस्ते तैनात रहने चाहिए थे जो लोगों को उस तरफ का रुख करने से रोकते. हालांकि ये बात गले नहीं उतरती कि इतना बड़ा आयोजन हो रहा हो, रेलवे ट्रैक के पास किया जा रहा हो और रोजाना की ट्रेनों के इलाके से गुजरने के समय ही पुतला दहन किया जा रहा हो. क्योंकि ऐसा तो है नहीं कि वे ट्रेनें उसी दिन अप्रत्याशित तौर पर उन्हीं पटरियों पर मौत बनकर दौड़ती आईं जो लोगों से भरी थी.

असल में ऐसा कोई भी कार्यक्रम अब बहुत ज्यादा सोचविचार कर या बुनियादी बातों का ध्यान न रखकर बस इसलिए निपटा दिया जाता है कि समाज और राजनीति के हलकों में वर्चस्व और छाप बन जाए, थोड़ा रसूख और दबदबा बढ़ जाए या ऐसा होता है अपनी ताकत आजमाने के लिए, शक्ति प्रदर्शन की तरह. आम लोग नही जानते कि वे पुतला दहन देखने तो आ रहे हैं लेकिन वे दरअसल एक बड़ा जोखिम भी उठा रहे हैं. इस तरह सत्ता संस्कृति जनता की कथित सहभागिता तो चाहती है लेकिन बस भीड़ भर की, उसकी जागरूकता से उसका कोई लेनादेना नहीं होता. जबकि भारत में कई जगहों पर धर्मस्थलों की यात्राओं, धार्मिक-सांस्कृतिक समारोहों और राजनीतिक रैलियों में भगदड़, अफरातफरी और अराजकता की भीषण घटनाएं होती रही हैं. अमृतसर का हादसा सीधे सीधे भगदड़ नहीं थी. ट्रेनें लोगों को कुचलती गईं और लोग बदहवास होकर जान बचाने के लिए जहां सूझा वहां भागे, इसलिए भी बड़ी संख्या में लोग घायल हुए. 

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