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अयोध्याः हाई कोर्ट का फैसला गुरुवार को

२८ सितम्बर २०१०

राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद मिल्कियत विवाद में इलाहाबाद हाई कोर्ट गुरुवार को अपना फैसला सुनाएगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व नौकरशाह रमेश चंद त्रिपाठी की याचिका खारिज कर दी और हाई कोर्ट के फैसले पर रोक को हटा दिया.

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फैसले के मद्देनजर कड़ी सुरक्षातस्वीर: UNI

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रजिस्ट्रार सुबोध सहाय ने बताया, "फैसला 30 सितंबर दोपहर साढे तीन बजे सुनाया जाएगा." इस फैसले से सुरक्षा चिंताएं बढ़ सकती हैं. वह भी खासकर ऐसे सयम में जब दिल्ली में रविवार से कॉमनवेल्थ खेल शुरू होने जा रहे हैं.

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला टालने की पूर्व नौकरशाह रमेश चंद त्रिपाठी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वह वक्त के खिलाफ दौड़ रहे हैं. बेंच के एक जज जस्टिस आफताब आलम ने कहा, "आप समय के खिलाफ दौड़ रहे हैं क्योंकि आप बहुत देर से जागे हैं. आपको यह बातें तब कहनी चाहिए थीं जब मामला हाई कोर्ट में था." अदालत ने यह बात त्रिपाठी के वकील मुकुल रोहतगी की इस दलील के जवाब में कही कि विवाद को बातचीत से सुलझाया जाना चाहिए.

कानूनी कार्यवाही के दौरान रोहतगी ने कहा कि मध्यस्थता कानून का हिस्सा नहीं है. जस्टिस आफताब आलम ने कहा कि मामले से जुड़े सभी पक्ष इस बात पर तो सहमत हैं ही कि हाई कोर्ट का फैसला आना चाहिए.

बीजेपी ने अयोध्या पर फैसला टालने की मांग करने वाली याचिका को खारिज किए जाने का स्वागत किया है. पार्टी प्रवक्ता निर्मला सीतारामन ने कहा, "हम निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसला का स्वागत करते हैं. पार्टी अपना रुख पहले ही साफ कर चुकी है कि वह इस मामले में और कानूनी विलंब नहीं चाहती है. सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ कर दिया है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला आना चाहिए."

23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा दी थी. पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट का फैसला 24 सितंबर को आना था. त्रिपाठी 60 साल से चल रहे इस विवाद का हल अदालत से बाहर बातचीत के जरिए चाहते हैं. लेकिन मामले से जुड़े दो अहम पक्षकार सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने अपने शपथ पत्र में कहा है कि मामलों को आपसी समझबूझ से हल करने की कोई संभावना नहीं है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम