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अरविंद यानी स्पेलिंग सम्राट

३१ मई २०१३

अमेरिका में अगर स्पेलिंग प्रतियोगिता हो रही हो तो समझिए कोई भारतीय ही जीतेगा. कमाल की बात कि फ्रांसीसी और जर्मन उत्पत्ति वाले शब्दों में भी उनका कोई काट नहीं.

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तस्वीर: Reuters

भारतीय मूल के अरविंद महानकाली से जब जर्मन मूल के शब्द "क्नाइडल" की हिज्जे पूछी गई, तो उन्होंने अपनी हथेली पर अदृश्य तरीके से लिख कर एक एक अक्षर बोलना शुरू किया. के.. एन.. ए.. आई.. डी.. ई.. एल.. 13 साल के बच्चे ने जिस खूबसूरती से हिज्जे बताया, वहां जमा लोग अचंभित रह गए. क्नाइडल एक तरह का मोमो होता है, जो खास तौर पर यहूदियों में काफी लोकप्रिय है. अंग्रेजी स्पेलिंग प्रतियोगिता होने के बाद भी इसमें दूसरी भाषाओं के शब्दों को भी शामिल किया जाने लगा है.

अरविंद न्यूयॉर्क में रहता है और पिछले छह साल में यह प्रतियोगिता जीतने वाला छठा दक्षिण एशियाई मूल का किशोर है. हालांकि 2008 के बाद पहली बार किसी लड़के ने यह मुकाबला जीता, लड़की ने नहीं. आईटी एक्सपर्ट पिता और भौतिक शास्त्री मां का बेटा अरविंद 2010 में 11वें नंबर पर रहा था, 2011 और 2012 में तीसरे नंबर पर. हर बार जर्मन मूल का कोई शब्द उसके आड़े आ जाता था. हालांकि इस बार उसने पार पा लिया.

Arvind Mahankali Gewinner Spelling Bee Wettbewerb USA
तस्वीर: Reuters

आठ राष्ट्रों के 281 प्रतियोगियों के बीच जीतने के बाद अरविंद ने कहा, "जर्मन श्राप आखिरकार जर्मन वरदान साबित हुआ." इससे पहले अरविंद ने टोकोनोमा (जापान के घरों में बनाया जाने वाला खास कोना), कॉमोग्राफर (गर्म इस्त्री से कपड़े पर छपाई करने वाला) और गैलर (समानता रखने वाले लोगों का समूह) जैसे शब्दों का ठीक ठीक हिज्जे किया.

उसे 30,000 डॉलर का इनाम और 2500 डॉलर का बांड मिला है, जो वह कॉलेज की पढ़ाई में इस्तेमाल करना चाहता है, "मैं कुछ बड़ा करना चाहता हूं. देखता हूं क्या हो सकता है."

दूसरे नंबर पर भी भारतीय मूल के प्रणव शिवकुमार ने कब्जा किया. तीसरे स्थान पर श्रीराम हथवार और चौथे पर एंबर बोर्न रहीं. नेशनल स्पेलिंग बी कई दशकों से बेहद लोकप्रिय कार्यक्रम रहा है. इस साल इसका 86वीं बार आयोजन किया गया. अमेरिका और बाहर के देशों से इस बार एक करोड़ से ज्यादा बच्चों ने इसमें हिस्सा लिया.

इस बार पहली बार प्रतियोगियों को स्पेलिंग की जानकारी के साथ साथ शब्दों के मायने के आधार पर भी जांचा गया. ऐसा कंप्यूटरीकृत ट्रेनिंग को रोकने के उद्देश्य से किया गया है. सॉफ्टवेयरों की मदद से कई मां बाप अपने बच्चों को शब्दों के स्पेलिंग रटवाने लगे थे.

अरविंद के पिता श्रीनिवास महानकाली 1990 के दशक में अमेरिका आए थे. उनका कहना है कि परिवार वालों ने अरविंद का उत्साह जरूर बढ़ाया लेकिन कभी उस पर दबाव नहीं डाला, "यह अद्भुत बात है. आपसे डिक्शनरी से किसी भी शब्द के बारे में पूछा जा सकता है."

अरविंद अंग्रेजी के अलावा फर्राटेदार तेलगु भी बोल सकता है और स्कूल में स्पैनिश सीख रहा है, "मेरे पापा घर पर तेलगु कविताओं का पाठ करते हैं. वह भी आगे से पीछे और फिर उसी कविता को पीछे से आगे. हम लोग भाषाओं का बहुत सम्मान करते हैं."

एजेए/एमजे (एएफपी)

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