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आईटी सेवाओं मे भारत पिछड़ रहा है

२५ सितम्बर २००९

अपने कंप्यूटर जानकारों के दुनिया भर में निर्यात पर गर्व करने वाला भारत आइटी सेवाओं में पिछड़ रहा है. कारण है उसकी तोतारटंत शिक्षा प्रणाली.

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तस्वीर: DW

कारोबारी परामर्श देने वाली कंपनी मेकिंज़ी के एक ताज़े अध्ययन का कहना है कि कंप्यूटर इंजीनियरिग की डिग्री वाला केवल हर चौथा भारतीय ही किसी विदेशी कंपनी में काम करने लायक होता है. यह कमी स्वयं भारत की आईटी सेवाओं के विस्तार की राह का भी रोड़ा बनती जा रही है. इस पर टिप्णी करते हुए आर्थिक दैनिक हांडेल्सब्लाट ने लिखाः

"यूरोप, एशिया और लैटिन अमेरिका में आइटी सेवाएं देने वालों के बीच प्रतियोगिता बढ़ रही है. भारतीय आईटी कंपनियों को बाज़ार में रहना है तो अपनी दिशा बदलनी होगी. यदि वे अपनी वर्तमान अगुआई बनाये रखना चाहती हैं, तो उन्हें पश्चिमी कंपनियों के डेटा-ढेर को सस्ते में निपटाने के बदले उच्चकोटि की विशेषज्ञता वाली सेवाएँ देनी होंगी. लेकिन भारत की रटने-रटाने वाली शिक्षा प्रणाली इस लायक प्रतिभाएँ पैदा नहीं कर सकती.

भारतीय स्नातकों में निजी पहल, टीम-भावना और प्रायः आवश्यक भाषा-ज्ञान तक नहीं होता. अंतरराष्ट्रीय कंपनियां इसी कारण कॉलेजों से निकले स्नातकों के बदले दो से चार साल काम करने के अनुभवी लोगों की मांग करने लगी हैं."

तिब्बतियों के धर्मगुरू दलाई लामा आगामी आगामी नवंबर में अरुणाचल प्रदेश की यात्रा करने वाले हैं. चीन इस पर अभी से नाक-भौं सिकोड़ रहा है. साथ ही बर्लिन के वामपंथी दैनिक नोएस डोएचलांड को भी भारतीय मीडिया का रुख अच्छा नहीं लग रहा है. पत्र ने लिखाः

Deutschland Tibet Dalai Lama in Frankfurt
तस्वीर: AP

"समाचार पत्रों के लेखों और टेलीविज़न रिपोर्टों में चीनी सैनिक कार्रवाई, बल्कि भारत को खंडित करने के लिए पाकिस्तानी सांठगांठ के साथ हमले तक की, गुहार लगाई जा रही है. दिल्ली और पेचिंग वैसे तो बड़े साफ़-साफ़ शब्दों में तनावशैथिल्य की बातें करते हैं, क्योंकि वह उनके आर्थिक लक्ष्यों को पाने और आपसी व्यापार को बढ़ाने की शर्त है, ... तब भी भारत में कुछ ऐसी शक्तियां सक्रिय हैं, जो भारत-चीन संबंधों की सहनशक्ति को परखना चाहती हैं. इतनी सफलता तो उनको मिल ही गयी है कि एक स्थायी संसंदीय समिति चीन के कथित अतिक्रमणों की छानबीन करेगी."

सबसे बड़ा सौर संयंत्र

भारत 10 अरब डॉलर की लागत से अपने यहां संसार के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र के निर्माण के लिए आगामी जनवरी से निविदाएँ आमंत्रित करेगा. यह संयंत्र गुजरात में बनेगा. दैनिक फ्रांकफ़ुर्टर अल्गेमाइने त्साइटुंग का कहना है कि चीन की तरह भारत भी इसका आगामी कोपेनहागन जलवायु सम्मेलन में अपनी छवि सुधारने के लिए उपयोग करेगाः

"यह महापरियोजना भारत के ऊर्जा-संतुलन की स्थिति सुधारेगी. भारत और चीन को अक्सर सुनना पड़ता है कि प्रदूषणकारी गैसों का उनका उत्सर्जन बढ़ता जा रहा है. औद्योगीकरण का इस में हिस्सा तो है ही, ईंधन के तौर पर कोयले का इस्तेमाल भी इसका एक कारण है. परामर्शदाता कंपनी मेकिंज़ी के सलाहकारों ने हाल ही में हिसाब लगाया है कि सबसे अधिक ऊर्जा खपाने वालों में भारत 2030 तक संसार का तीसरा सबसे बड़ा देश बन जायेगा. तब उसे 90 प्रतिशत तेल और 40 प्रतिशत कोयला बाहर से मंगाना पड़ेगा. परमाणु, सौर और पन बिजलीघरों के निर्माण में पैसा लगा कर और ऊर्जा के कुशल उपयोग द्वारा वह तेल-आयात का बिल 24 अरब डॉलर तक घटा सकता है."

तालिबान अब भी अनजान

फ्रांकफ़ुर्टर अल्गेमाइने त्साइटुंग ने एक अन्य रिपोर्ट में लिखा कि अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के राजनैतिक मंच पर अपने उदय के डेढ़ दशक बाद भी तालिबान एक अबूझ पहेली बने हुए हैं:

"एक जन-आन्दोलन के तौर पर तालिबान शुरू से ही एक पाक-अफ़ग़ान चमत्कार थे, जिसके पीछे काफ़ी हद तक कबीलाई समनता छिपी हुई थी. उनके लड़ाके पाकिस्तान में कुरान पढ़ाने वाले मदरसों और वहां रहने वाले अफ़ग़ान शरणार्थियों के बीच से आते थे. जैसा कि भुट्टो ने एक समय माना भी कि अमेरिकी पैसे से उन्हें सैनिक प्रशिक्षण भी दिया गया.... समय के साथ अफ़ग़ानिस्तान में वे एक स्थानीय से क्षेत्रीय शक्ति में बदल गये."

संकलन- अना लेमान / राम यादव

संपादन- प्रिया एसेलबॉर्न