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समाज

आगे बढ़ते भारत का बचपन भूखा है

१२ अक्टूबर २०१८

संसार की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर भारत का बचपन भूखा है. पांच साल से कम उम्र के यहां 20 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं.

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Indien elegant gekleidete indische Familie mit Kind
तस्वीर: picture-alliance/dpa/blickwinkel/K. Wothe

यह मात्र संयोग ही है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स उसी हफ्ते आया है जबकि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत को दक्षिण एशिया में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था बताया है. यह रिपोर्ट इस चमचमाते भारत की कलई उतार देती है. 2018 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 119 देशों की सूची में भारत को 103 नंबर पर रखा गया है. भारत उन देशों के साथ है जहां यह समस्या "गंभीर" स्थिति में पहुंच चुकी है. पिछले साल से तुलना करें तो भारत तीन पायदान नीचे गया है.

8 अक्टूबर को शुरू हुए सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा कि निवेश की ताकत और विशाल निजी उपभोग की बदौलत भारत 2018-19 में 7.3 फीसदी की दर से विकास करेगा. इधर ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट तैयार करने वाली एजेंसी कंसर्न वर्ल्डवाइड एंड वेल्टहुंगरहिल्फे का कहना है कि जंग में तबाह सूडान इकलौती ऐसी जगह है, जहां कुपोषण के कारण बच्चों का वजन और लंबाई कम होती जा रही है.

रिपोर्ट में कहा गया है भारत ने शिशु मृत्यु दर के मामले में सुधार किया है. साल 2000 में यह 9.3 फीसदी था जो 2018 में घट कर 4.3 फीसदी पर आ गया है. इसके साथ ही चाइल्ड स्टंटिंग के मामले में भी स्थिति पहले से बेहतर हुई है. साल 2000 के 54.2 फीसदी की तुलना में अब यह 38.4 फीसदी हो गयी है. चाइल्ड स्टंटिंग का मतलब है कुपोषण की वजह से बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास में कमी.

Flash-Galerie Indien Mutter und Kind
फाइलतस्वीर: AP

इसी तरह चाइल्ड वेस्टिंग यानी कुपोषण के कारण बच्चे की लंबाई और वजन में कमी की दर, जो 2000 में 17.1 फीसदी थी वह अब बढ़ कर 20 फीसदी हो गई है. इस मामले में जंग से पीड़ित सूडान अकेला देश है जिसकी स्थिति भारत से भी खराब है. चाइल्ड वेस्टिंग की दर सूडान में 28 फीसदी है. चाइल्ड वेस्टिंग पूरे दक्षिण एशिया में बहुत ज्यादा है. रिपोर्ट में इसे "सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए आपातकाल" की स्थिति बताते हुए शिशुओं और स्तनपान पर विशेष ध्यान देने की मांग की गई है.

कंसर्न वर्ल्डवाइड एंड वेल्टहुंगरहिल्फे संयुक्त राष्ट्र और इसी तरह के दूसरे संगठनों के जुटाए आंकड़ों की मदद से यह इंडेक्स जारी करती है.

एनआर/ओएसजे (एपी)

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