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आनंद में आनंद

अनवर जे अशरफ़, बॉन१ नवम्बर २००८

दो दिन के अंदर विश्वनाथन आनंद दो बिलकुल अलग अलग मूड में नज़र आए. बुधवार को हाथ मिलाते, मुस्कुराते, हंसते और आराम से बतियाते आनंद को देख कर लगा ही नहीं कि दो दिन पहले वह कितने तनाव में थे.

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विश्वनाथन आनंद वर्ल्ड चैंपियन बनने के बाद आनंद में हैतस्वीर: AP

तीन घंटे तक बाज़ी चलने के बाद हॉल में थोड़ी सुस्ती छा गई थी. मैं भी ऊंघने लगा था लेकिन अचानक तालियों की गड़गड़ाहट से हॉल गूंज उठा. मेरे साथ बैठे सचिन ने बताया कि बाज़ी ड्रॉ हो गई है यानी आनंद फिर से विश्व चैंपियन बन गए हैं.

जैसे ही बाज़ी ड्रॉ हुई, हम सब पत्रकार तेज़ी से विशी की तरफ़ लपके. लेकिन हॉल में एलान हुआ कि दोनों खिलाड़ी 10 मिनट का आराम करेंगे. वहां हॉल के अंदर 10 मिनट काटना हम पत्रकारों के लिए ज़रा मुश्किल लग रहा था. हल्के पीले रंग के स्वेटर और पतलून में बाज़ी खेल रहे विश्वनाथन आनंद हर मैच की तरह इस बार भी अपने आरामदायक पोशाक में बैठे थे. लेकिन इसके बाद औपचारिक कार्यक्रम के लिए सूट पहनना ज़रूरी था, तो शायद 10 मिनट का ब्रेक भी ज़रूरी था.

हॉल में सूट में लौटे विश्वनाथन आनंद बिलकुल ख़ुश और आराम में दिख रहे थे. भारतीय पत्रकारों ने भी इस मौक़े की पूरी तैयारी कर रखी थी. द हिन्दू के राकेश राव, हिन्दुस्तान के श्रीकांत के अलावा मेरे साथ सचिन गौड़ भी थे. हमने बाक़ायदा विश्वनाथन आनंद का मुंह मीठा किया और उन्होंने भी हमारे साथ मिठाई बांटने में कोई कोताही नहीं बरती. एक कोने में हंसती मुस्कुराती आनंद की पत्नी अरुणा की ख़ुशी भी दूनी होती जा रही थी.

Deutschland Bonn WM Schach 6. Partie Wladimir Kramnik gegen Viswanathan Anand
बाज़ी के दौरान दोनो खिलाड़ियों ने अक्सर अपने कान पकड़ेतस्वीर: AP

दो दिन पहले हार के बाद जहां विशी बिना किसी से बात किए कार में बैठ कर निकल गए थे, वहीं लगातार दूसरी बार विश्व कप ख़िताब जीतने के बाद वह हर मिलने वाले से हाथ मिला रहे थे. उन्हें ऑटोग्राफ़ दे रहे थे और किसी को तस्वीर खींचने से मना नहीं कर रहे थे. शतरंज के सबसे बड़े खिलाड़ियों में शामिल विश्वनाथन आनंद की यह सादगी बॉन के कुंस्टम्यूज़िम में मौजूद हर आदमी को भा गया. किसी को यक़ीन ही नहीं हो रहा था कि शतरंज का वर्ल्ड चैंपियन इस तरह उनके साथ घुल मिल गया है.

दो दिन पहले 10वीं बाज़ी में हार के दौरान जब मैंने विशी से बात की और उनसे छोटे से इंटरव्यू की गुज़ारिश की थी, तो उन्होंने एक तरह से साफ़ कह दिया था कि आज नहीं. लेकिन बुधवार को 11वीं बाज़ी ड्रॉ करने के बाद ख़िताबी जीत के साथ जब हम उनके पास पहुंचे तो वह बड़ी ख़ुशी से राज़ी हो गए और पूरा वक्त दिया. बीच बीच में पत्नी के सेलफ़ोन पर घंटी बजती रही और अरुणा उन्हें मोबाइल थमाती रहीं. भारत के टेलीविज़न चैनलों में फ़ोनो करने की होड़ लगी थी और हमसे बातचीत करते हुए भी आनंद को बीच बीच में भारतीय टेलीविज़न चैनलों पर बात करनी पड़ी.

पूरे टूर्नामेंट के दौरान बरसों से शतरंज कवर कर रहे पत्रकार राकेश रावजी से बात हो रही थी. उन्होंने मुझे बताया था कि किस तरह आनंद शांत स्वभाव और मिलनसार हैं. हालांकि उनके तेज़ तर्रार खेल को देखते हुए यह मानना मुश्किल लग रहा था. लेकिन विशी ने जिस तरह पूरी तसल्ली से बातचीत की, राकेशजी की बात सही लगी.इस मुलाक़ात में यह भी जानने को मिल गया कि विश्वनाथन आनंद बेहतरीन जर्मन बोलते हैं, हालांकि हिन्दी बोल पाना उनके लिए अब भी मुश्किल है.