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इंसान जैसा रोबोट बनाने की तैयारी

१६ अक्टूबर २००९

जर्मनी में एक ऐसा रोबोट बनाने की कोशिश हो रही है जो मनुष्य की तरह दिखेगा, चलेगा फिरेगा और बात भी करेगा. काम ज़रा मुश्किल है पर जर्मनी की बीलेफ़ेल्ड यूनिवर्सिटी में ज़ोर शोर से कोशिशें जारी हैं.

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टोक्यो में इसी साल मार्च में लड़की की शक्ल वाला एक रोबोट पेश किया गयातस्वीर: AP

मानव शरीर और काम करने का उसका तरीक़ा वैज्ञानिकों के लिए बड़ी चुनौती है. जर्मनी में बीलेफ़ेल्ड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक एक आदर्श रोबोट बनाने की कोशिश में हैं. तक़रीबन मानव की तरह दिखने और काम करने वाला यह आदर्श रोबोट अभी कोरी कल्पना ही है, क्योंकि मानव शरीर की नकल करना आसान नहीं. लेकिन बीलेफ़ेल्ड के वैज्ञानिक जोड़ तोड़ में लगे हैं. वहां एक विभाग है जो यांत्रिक हाथ की सिर्फ़ पकड़ की क्षमता पर काम कर रहा है.

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हाथ भी मिलाएगा रोबोटतस्वीर: dpa

इस प्रोजेक्ट से जुड़े फ़्लोरियान श्मिट कहते हैं, "यह एक न्यूमैटिक यानी वायवीय रोबोट है जिसे वायु के दबाव से चलाया जाता है. आप जो आवाज़ सुन रहे हैं, वह एकल वाल्व की आवाज़ है. ये वाल्व सिर्फ़ दो स्थितियां जानते हैं. या तो बंद रहते हैं या खुले. और यह हाथ कृत्रिम मांसपेशी से लैस है. विशेष चाप पैदा करने के लिए यहां वाल्व के खुलने के समय का नियमन ज़रूरी है. जो आवाज़ आप सुन रहे हैं, वह वाल्व के खुलने और बंद होने की आवाज़ है."

फ़्लोरियान श्मिट अपने लैपटॉप के सामने बैठे हैं और वाल्व के खुलने बंद होने की प्रक्रिया को संचालित कर रहे हैं. कमरे की छत में फिट विशाल आकार की बांह हिलती- डुलती है. एक प्रयोग में रोबोट का हाथ एक सेब उठाता है. यह काम वह इस सावधानी से करता है कि सेब को कोई नुकसान न पहुंचे. श्मिट कहते हैं, "हम प्लास्टिक के फल का भी उपयोग करते हैं क्योंकि वह आसानी से नष्ट नहीं होता और लंबे समय तक चलता है."

जब हाथ किसी सेब को पकड़ता और उठाता है, तो हम सोचते हैं कि यह कोई ख़ास बात नहीं है. लेकिन विशेषज्ञ कुछ और कहते हैं. हेल्गे रिटर न्यूरोइंफ़ॉर्मैटिक्स के प्रोफ़ेसर हैं और बीलेफ़ेल्ड में रोबोट शोध के जनक समान हैं. वे असली चुनौती हाथ को संचालित करने वाली विभिन्न प्रक्रियाओं के तालमेल को मानते हैं. वह कहते हैं, "हमारे बहुत से सहज व्यवहार, जैसे मेरा क़लम उठाना और उसे बिना ध्यान दिए अंगुलियों के बीच घुमाना, रोबोट के लिए सहज नहीं है, उसके बहुत से सीपीयू काम कर रहे होंगे. लेकिन वह अब भी ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि वर्तमान रोबोट के हाथों की गतिशीलता और उसमें लगे सेंसर इस क्षमता को अभी संभव नहीं बनाते."

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जापान की एक कंपनी ने तो कुत्ते जैसा रोबोट भी बनाया है जिससे बच्चे खेल सकते हैंतस्वीर: AP

मानवीय हाथ, बांह, और सबसे बढ़कर उनका एक साथ सक्रिय होना, शोधकर्ताओं के लिए पहेली की तरह है. बहुत मुश्किल से उसे रोबोट पर लागू किया जा सकता है. लेकिन बीलेफ़ेल्ड के यांत्रिक हाथ बहुत विकसित अवस्था में हैं, जैसा फ़्लोरियान श्मिट गर्व से बताते हैं, "ये लंदन की शैडो कंपनी के हाथ हैं, मनुष्य के हाथों जैसे हैं और बाज़ार में मिलते हैं. इसका मतलब है कि इनमें मानवीय हाथों जैसी हिलाने डुलाने की क्षमता है, उतने ही जोड़ हैं, इसलिए वे वह सब कुछ कर सकते हैं जो मानवीय हाथ भी करता है. उदाहरण के लिए उंगली के उपरी हिस्से में सेंसर लगा है, जो लगाई गई ताक़त के बदलने पर प्रतिक्रिया करता है. इस बात की परीक्षा की जा सकती है कि किसी चीज़ को पकड़ने के लिए कितनी ताक़त चाहिए."

फ़्लोरियान श्मिट का कहना है कि सैद्धांतिक रूप से रोबोट के हाथ भी वह सब कुछ कर सकते हैं जो मनुष्य करता है. तकनीकी ढंग से तो मालिश भी संभव है. समस्या नियंत्रण और हरकत के समन्वय में है. वह कहते हैं, "यहां 24 जोड़ हैं और उन सब को संचालित करना अपेक्षाकृत जटिल काम है. इसलिए हम उन तरीक़ों के बारे में शोध करते हैं कि वे किस तरह के उदाहरणों से अलगोरिद्म या कलन विधि सीख सकते हैं, ताकि बाद में नई हरकतें भी कर सकें."

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संगीत के सुर भी उससे अनजान नहीं होंगेतस्वीर: AP

रोबोट की बाहों और हाथों का संचालन उच्चस्तरीय गणित का मामला है. आज हम जो कुछ देखते हैं, उसके पीछे कलन और अवलोकन की लंबी प्रक्रिया है. कुछ पकड़ने की रोबोट के हाथ की हरकत कुछ ठहर-ठहर कर होती-सी लगती है. फ़्लोरियान श्मिट कहते हैं कि गत्यात्मकता फिलहाल लक्ष्य नहीं है. मतलब ये कि बीलेफ़ेल्ड का विशालकाय रोबोट हाथ आने वाले दिनों में भी सेब को उठाएगा और पकड़ कर रखेगा, उसे उछालना अभी सपना ही रहेगा.

रिपोर्टः डीडब्ल्यू/राम यादव

संपादनः ए कुमार