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इतिहास में आज: 29 सितंबर

२७ सितम्बर २०१४

रुडोल्फ डीजल, दुनिया को डीजल इंजन देकर उद्योगों और परिवहन में क्रांति करने वाली ये शख्सियत आज के दिन 29 सितंबर 1913 को बेहद रहस्यमय ढंग से खामोश हो गई.

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तस्वीर: picture-alliance/Leemage

बेल्जियम से हार्विक (इंग्लैंड) की तरफ जाते हुए रुडोल्फ डीजल, ड्रेसडेन नाम के जहाज से अचानक लापता हो गए. 10 अक्टूबर 1913 को उत्तरी सागर में एक शव तैरता हुआ मिला. जांच में पता चला कि शव रुडोल्फ डीजल का है. उनकी मौत कैसे हुई, इस पर आज भी रहस्य बना हुआ है. आधिकारिक तौर पर कहा गया कि रुडोल्फ डीजल ने आत्महत्या की, हालांकि कई लोग इस दावे पर सवाल करते हुए उनकी हत्या की आशंका जताते हैं. लेकिन डीजल का नाम और काम आज भी जिंदा है.

हाइड्रोजन से चलने वाली कार

28 फरवरी 1892 को रुडोल्फ डीजल ने अपने 'कंप्रेशन इंग्निशन इंजन' को पेटेंट कराया. शुरुआत में ये इंजन मूंगफली के तेल या वनस्पति तेल से चलता था. बाद में रुडोल्फ ने इसमें सिलेंडर जोड़ा और फिर पेट्रोल से अलग और सस्ते दूसरे किस्म के तरल ईंधन का इस्तेमाल किया. सिलेंडर और ईंधन डालते ही इंजन ताकतवर ढंग से धकधका उठा. कम्प्रेश की गई हवा और ईंधन के साथ चलने से खूब ऊर्जा निकली. भाप के इंजन को ये बड़ी चुनौती थी. रुडोल्फ ने जोर देकर कहा कि भाप के इंजन में 90 फीसदी ऊर्जा बर्बाद हो जाती है, उनका इंजन इस बर्बादी को बहुत कम कर देता है. रुडोल्फ के आविष्कार से इंजन का नाम डीजल इंजन पड़ा और तरल ईंधन को डीजल कहा जाने लगा.

Rudolf Diesel Motor
रुडोल्फ डीजल मोटरतस्वीर: picture alliance/akg-images

1912 तक दुनिया भर में 70,000 डीजल इंजन काम करने लगे. ज्यादातर फैक्ट्रियों में जनरेटरों के तौर पर. दूसरे विश्वयुद्ध के बाद डीजल इंजन को परिवहन में आजमाया गया और फिर एक क्रांति हो गई. डीजल इंजन के जरिए ट्रकों और रेलगाड़ियों में गजब की जान आ गई. पेट्रोल की तुलना में डीजल इंजन में ज्यादा वजन खींचने की क्षमता थी. ढुलाई और उसकी रफ्तार बढ़ गई, वो किफायती भी हो गई.

कहा जाता है कि सितंबर 1913 में रुडोल्फ एक अहम दौरे पर इंग्लैंड जा रहे थे. वहां वो नए किस्म का क्रांतिकारी डीजल इंजन प्लांट लगाना चाहते थे. उनकी मुलाकात ब्रिटिश नौसेना के अधिकारियों से होने वाली थी. पनडुब्बी बनाने की तैयारी कर रही ब्रिटिश नौसेना खास किस्म के डीजल इंजन चाहती थी. हालांकि उस वक्त की सैन्य तैयारियों को देखें तो ऐसे सबूत नहीं मिलते कि ब्रिटेन को पनडुब्बी बनाने का कोई आईडिया भी रहा होगा. कुछ लोग कहते हैं कि ब्रिटिश सरकार को पेटेंट बेचने के विरोधियों ने पानी के जहाज से रुडोल्फ को फेंक दिया. एक पक्ष यह भी कहता है कि रुडोल्फ इतने दवाब में आ गए थे कि उन्होंने आत्महत्या कर ली.

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