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इस्राएल फ़लिस्तीन पर जमी चौकड़ी

१९ मार्च २०१०

मध्यपूर्व चौकड़ी ने शुक्रवार को मॉस्को में हो रही बैठक के दौरान इस्राएल और फ़लिस्तीन के मुद्दे को पूरी तरह सुलझाने पर ज़ोर दिया. जल्द हल की भी उम्मीद.

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तस्वीर: AP

रूस में चल रही मध्यपूर्वी शांति वार्ता के दौरान इस्राएल और फ़लिस्तीन का मुद्दा गर्म रहा. दो सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने तो ये भी उम्मीद जताई कि इस्राएल और फ़लिस्तीन के बीच चल रही अप्रत्यक्ष वार्ता का भी कोई समाधान जल्द ही निकलेगा.

क्वार्टेट के सदस्यों का कहना है कि इस्राएल का येरूशलम में बस्तियां बनाना ग़लत है. साथ ही उन्होंने इस्राएल को फ़लिस्तीन के साथ अपने मतभेद ख़त्म करने के लिए दो साल की समय सीमा निर्धारित करने की भी सलाह दी है. हाल ही में इस्राएल के 1600 नई बस्तियां बनाने के ऐलान ने फ़लिस्तीन को शांति वार्ता रोकने पर मजबूर कर दिया था. साथ ही इस्राएल के इस फ़ैसले से अमेरिका के साथ उसके पुराने संबंधों में भी खटास आती देखी गयी. हालांकि पहले राष्ट्रपति ओबामा और फिर अब क्लिंटन ने दोनों देशों के रिश्तों को गहरा और बेहद मज़बूत करार दिया है. "हमारे संबंध अभी भी पहले जैसे गहरे और मज़बूत हैं और हमें विश्वास है कि शांति वार्ता की शुरुआत इस्राएल और फ़लिस्तीन दोनों के ही हित में है. इसलिए हम जल्द ही उनकी शुरुआत की कामनी भी करते हैं."

बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र सचिव बान की मून ने बताया कि क्वार्टेट ने कड़ा रुख़ अपनाते हुए इस्राएल को तुरंत ही बस्तियों का काम रोकने को कहा है. साथ ही उन्होंने ये भी उम्मीद जताई कि इस्राएल मार्च 2001 से इस क्षेत्र में बनाई सभी रिहाईशी बस्तियां ढहा देगा. "पूर्वी येरूशलम को अंतर्राष्ट्रीय तौर पर मान्यता प्राप्त नहीं है और ये लंबे समय से पूरे मध्यपूर्व के लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है. हमने आज इस मुद्दे पर बातचीत की. साथ ही येरूशलम में नई बस्तियां बनाने की इस्राएल की कोशिश की कड़ी निंदा भी की गयी."

जहां एक ओर फ़लिस्तीन ने चौकड़ी के निर्णय का स्वागत किया वहीं इस्राएली सरकार के प्रतिनिधि किसी भी तरह की बयानबाज़ी दूर रहे. मध्यपूर्वी चौकड़ी 2002 में बनायी गयी थी ताकि इस्राएल और फ़लिस्तीन के मुद्दे को अमेरिकी और यूरोपीय मध्यस्थता और मदद से जल्द सुलझाया जा सके.

रिपोर्टः एजेंसियां/तनुश्री सचदेव

संपादनः उज्ज्वल भट्टाचार्य