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उत्तराखंड में तेंदुए को जिंदा जलाया

२४ मार्च २०११

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में ग्रामीणों ने एक तेंदुए को जिंदा जला दिया. वन विभाग के अधिकारी पिजरे में कैद तेंदुए को सुरक्षित जगह ले जा रहे थे लेकिन रास्ते में अचानक कुछ लोगों ने पिंजरे में पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी.

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तस्वीर: AP

वन विभाग के अधिकारी और पुलिस मुंह ताकते ही रहे और तेंदुआ पिंजरे के भीतर जलता और तड़पता मारा गया. वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक पौड़ी गढ़वाल के रीखानिखाल में इलाके में ग्रामीणों ने एक तेंदुए को कैद किया. तेंदुआ शिकार के चक्कर में एक गौशाला में घुसा. गांव वालों को इसकी भनक लगी और उन्होंने बाहर से दरवाजा बंद कर उसे कैद कर लिया. बाद में गुलदार को वन विभाग के अधिकारियों के हवाले कर दिया गया.

बुधवार को वन विभाग के अधिकारी पुलिस के साथ मिलकर तेंदुए को पिंजरे में निकाल कर सुरक्षित जगह ले जाने लगे. इसी दौरान अचानक गांव के कुछ लोग आए. उन्होंने पिंजरे पर पेट्रोल छिड़का और आग लगा दी. वन विभाग और पुलिस के जवान मिट्टी और पानी के सहारे आग को बुझाने के टोटके करते रहे, जो नाकाम रहे. छोटे से पिंजरे में कैद तेंदुआ कराहते हुए जलता रहा और आखिरकार इंसानी दरिंदगी के शिकार बेजुबान ने दम तोड़ दिया.

अब वन विभाग मारे गए तेंदुए के शव का पोस्टमार्टम करने की बात कर रहा है. भारत में तेंदुओं की संख्या भी तेजी से घट रही है. जंगल और जंगली जानवरों के घटने से तेंदुएं इंसानी बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं. वह कुत्ते, बकरी और गाय, भैंसो के चक्कर में इंसानी बस्तियों में घुसने लगे हैं. इंसान से होते इस टकराव की कीमत तेंदुओं की अपनी जान देकर चुकानी पड़ रही है. औसतन हर महीने उत्तर भारत में एक-दो तेंदुए इंसानी गुस्से का शिकार हो रहे हैं.

भारत में तेंदुओं की गिनती कभी नहीं की गई है. लेकिन पहाड़ी राज्यों में आसानी से दिख जाने वाले तेंदुएं अब लुप्त से होने लगे हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह

संपादन: आभा एम

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