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एथलेटिक्स चैंपियनशिप और दक्षिण कोरिया की उम्मीदें

२३ अगस्त २०११

इस सप्ताह दक्षिण कोरियाई शहर देगू में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप हो रही है. यह प्रतियोगिता पहली बार एशिया की मुख्य भूमि पर हो रही है. दक्षिण कोरिया खेल राष्ट्र होने की अपनी भूमिका का विस्तार कर रहा है.

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तस्वीर: AP

फुटबॉल वर्ल्ड कप और ओलंपिक के बाद विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खेल आयोजन माना जाता है. देगू में कम से कम 200 देशों के 2000 से अधिक एथलीट अपना भाग्य आजमाएंगे. इससे पहले दक्षिण कोरिया में 1988 के सोल ओलंपिक हो चुके हैं जबकि उसने 2002 में जापान के साथ मिलकर संयुक्त रूप से फुटबॉल वर्ल्ड कप का आयोजन किया. उस समय देगू में भी मैच हुए थे.

इसके अलावा दक्षिण कोरिया ने 2003 में अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय खेलों का भी आयोजन किया. पिछले महीने दक्षिण कोरिया के पायोंगचांग को 2018 के शीतकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजक चुना गया है. देगू एशिया की मुख्य भूमि पर पहला शहर है जहां एथलेटिक्स की सबसे महत्वपूर्ण प्रतियोगिता का आयोजन हो रहा है. इससे पहले इसे दो बार जापान में आयोजित किया जा चुका है, 1991 में राजधानी टोकियो में और 2007 में ओसाका में.

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फिर मस्ती का इंतजारतस्वीर: AP

खेलों के लोकप्रिय होने की उम्मीद

दक्षिण कोरिया के लिए इस आयोजन का इसलिए भी अलग महत्व है कि उसके अपने एथलीट चोटी के कहीं भी निकट नहीं हैं. इसलिए कोई इसकी उम्मीद नहीं कर रहा है कि दौड़ने, कूदने और वजन फेंकने की स्पर्धाओं में कोई खिलाड़ी विजयमंच पर पहुंचने में कामयाब होगा लेकिन सबों को यह उम्मीद है कि लोगों का विश्व स्तर पर मनोरंजन होगा और खेल की विभिन्न विधाएं दक्षिण कोरिया में लोकप्रिय होंगी. कोरियाई टीम के मुख्य कोच मून बोंग गी बेबाकी से कहते हैं, "हमें उम्मीद है कि दस विधाओं में दस खिलाड़ी फाइनल में पहुंचेंगे."

विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के आयोजन में खिलाड़ियों से ज्यादा बड़ी भूमिका दक्षिण कोरिया की कंपनियां निभा रही हैं. इस आयोजन को दक्षिण कोरिया में लाने में देश की सबसे बड़ी कंपनियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. सैमसंग, ह्युंडाई और कोरियन एयर जैसी कंपनियां खेल की दुनिया के बड़े प्रायोजक हैं. वहां काम करने वाले कुछ अधिकारी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल संगठनों में ऊंचे पदों पर हैं. खेल के लिए प्रतिबद्धता के अलावा उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के खिलाड़ियों को मिलाने के राजनीतिक उद्देश्य के लिए भी खेलों का उपयोग किया जाता है. इसके अलावा यह दलील भी दी जाती है कि देश और इलाके में खेलों के विकास के लिए इस तरह के आयोजन जरूरी हैं.

मिसाल कायम करने का लक्ष्य

इस सबका संगम ऐसा है जिसके प्रभाव से बचना मुश्किल है. पायोंगचांग के ओलंपिक खेलों का नारा है "नए क्षितिज" और देगू की आयोजन समिति के प्रमुख किम बूम दो ने भी ब्रिस्बेन और मॉस्को को परास्त करने के बाद अपने शहर के लिए भी यही सोच रखी है. किम कहते हैं, "हम उभरते देशों में नई एथलेटिक्स संस्कृति बनाने के लिए सर्वोत्तम प्रयास करेंगे. हम एक मिसाल कायम करेंगे और इसे न सिर्फ अपने इलाके में फैलाएंगे बल्कि सारे विश्व में."

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पायोंगचांग की खुशीतस्वीर: picture alliance/dpa

विश्व एथलेटिक्स संस्था आईएएएफ के अध्यक्ष लैमीन डियाक भी कहते हैं कि कोरिया एशिया की टाइगर अर्थव्यवस्था है जो विश्व अर्थव्यवस्था के नए मोटर हैं. "विश्व की एक तिहाई आबादी वाला एशिया अपने भारी वित्तीय संसाधनों के साथ हमें और अपनी जनता को हमारे खेलों का कोरिया और पूरे इलाके में विकास करने की संभावना देता है."

देगू ऊसैन बोल्ट, येलेना इसिनबायेवा और दूसरे विश्वस्तरीय खिलाड़ियों और अन्य सितारों का स्वागत करने के लिए तैयार हो गया है. उसके स्टेडियम की क्षमता 66 हजार है लेकिन 27 अगस्त को स्टेडियम में उद्घाटन समारोह देखने की अनुमति सिर्फ 40 हजार को होगी और 4 सितंबर तक चलने वाली प्रतिस्पर्धाओं को देखने के लिए 33 हजार लोगों को स्टेडियम में प्रवेश मिलेगा.

राजधानी सोल से 300 किलोमीटर दूर स्थित देगू देश का चौथा सबसे बड़ा शहर है और उसकी आबादी 25 लाख है. वह अपने हेइंसा मंदिर के अलावा कपड़ा उद्योग और सेव की खेती के लिए जाना जाता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: ए कुमार

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