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एस-400 सौदे से अमेरिका, चीन और पाक परेशान

४ अक्टूबर २०१८

अरबों डॉलर के रक्षा सौदों की उम्मीद में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरे पर हैं. पुतिन के इस भारत दौरे पर अमेरिका के साथ साथ चीन और पाकिस्तान की भवें भी तन सकती हैं.

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Russland Indien Präsident Wladimir Putin und Premierminister Narendra Modi
तस्वीर: Picture-Alliance/AP Photo/M. Swarup

राष्ट्रपति पुतिन और कई रूसी वरिष्ठ मंत्रियों की भारत यात्रा से पहले रूसी सरकार ने बताया कि इस दौरे का मुख्य एजेंडा होगा एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के लिए पांच अरब डॉलर का रक्षा समझौता. भारत अमेरिकी प्रतिबंधों का जोखिम उठाते हुए यह मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम रूस से खरीद रहा है.

अमेरिका ने अपने दुश्मन देशों को प्रतिबंधों के जरिए दंडित करने के लिए एक कानून बनाया है जिसे संक्षिप्त में काटसा कानून कहा जाता है. इन देशों के साथ सौदे करने वाले देशों पर यह कानून लागू होता है. ऐसे में भारत रूस से एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए काटसा कानून से रियायत चाहता था जिसे अमेरिका ने खारिज कर दिया है. 

भारतीय समाचार एजेंसी पीटीआई ने अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता के हवाले से लिखा है कि एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम और मिसाइल डिफेंस सिस्टम समेत हथियार प्रणाली को अपग्रेड करना खास तौर से काटसा के दायरे में आता है. पिछले महीने रूस से सुखोई सु-35 फाइटर जेट और एस-400 सिस्टम खरीदने पर चीनी सेना पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगाए थे.

लेकिन बात जब भारत की आती है तो अमेरिका खुद को मुश्किल स्थिति में पाता है क्योंकि चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका भारत के साथ नजदीकी रिश्ते कायम करना चाहता है.

पिछले महीने भारत और अमेरिका ने 2019 में संयुक्त सैन्य अभ्यास करने की घोषणा की थी और तय किया था कि संवेदनशील सैन्य जानकारियों का आदान-प्रदान किया जाएगा. भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता अमेरिका है जबकि इस मामले में पहले नंबर रूस आता है. यह नया समझौता रूस के लिए बड़ी जीत और अमेरिका के लिए झटका है.

मोदी और पुतिन करीब दो अरब डॉलर वाले चार क्रीवाक- क्लास के युद्धपोत और करीब एक अरब डॉलर वाले 200 लाइट यूटिलिटी केए-226 हेलिकॉप्टरों के सौदों को लेकर भी चर्चा कर सकते हैं. रणनीतिक मामलों के विश्लेषक आरआर सुब्रमण्यम कहते हैं, ''यह वह वक्त है जब हमने दिखाया है कि हम अमेरिका के दबाव में आने वाले नहीं है''.

विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की बढ़ती ताकत और पाकिस्तान की तरफ से संभावित खतरों को देखते हुए भारत को एस-400 सिस्टम की जरूरत है. भारतीय वायुसेना के प्रमुख बीरेंद्र सिंह धनोआ ने पिछले दिनों कहा था कि एस-400 और फ्रांस से खरीदे गए 36 राफाल फाइटर जेटों से देश की सैन्य क्षमता मजबूत होगी.

पिछले साल हिमालय के एक पठार डोकलाम पर भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध हुआ था. इसके अलावा भारत श्रीलंका जैसे अपने पड़ोसी देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव को लेकर भी चिंतित है. चीन वहां बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है.

वीसी/एके (एएफपी)

 

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