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समाज

दूसरी लहर और ऑक्सीजन संकट के घाव

चारु कार्तिकेय
९ जून २०२१

आगरा के एक अस्पताल पर अप्रैल में जानबूझकर ऑक्सीजन रोक कर मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ करने के आरोप लग रहे हैं. अनुमान है कि इस लापरवाही से 22 लोगों की जान चली गई. प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है.

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Indien Corona-Situation | Ghaziabad
तस्वीर: Tauseef Mustafa/AFP

उत्तर प्रदेश के आगरा के पारस अस्पताल के मालिक डॉक्टर अरिंजय जैन का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है जिसमें वो यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि 26 अप्रैल की सुबह उन्होंने जानबूझकर पांच मिनट तक अस्पताल में मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई को बंद करवा दिया था, जिसकी वजह से 22 मरीज "नीले पड़ गए थे". यह उन दिनों की बात है जब कोरोना की घातक दूसरी लहर आई हुई थी और देश के कई इलाकों की तरह आगरा भी मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा था.

वीडियो में जैन किसी से कह रहे हैं कि उन्हें जब पता चला कि इलाके में ऑक्सीजन की सप्लाई का संकट हो गया है तो उन्होंने उनके अस्पताल में भर्ती मरीजों के रिश्तेदारों से कहा कि वो अपने मरीजों के लिए ऑक्सीजन का इंतजाम खुद कर लें. इसके बावजूद जब उन लोगों ने अपने मरीजों को अस्पताल से नहीं निकाला तब डॉक्टर जैन ने कर्मचारियों से कहा कि वो पांच मिनट के लिए ऑक्सीजन बंद कर दें और देख लें कि कितने मरीज ऑक्सीजन सप्लाई में रोक को झेल पाएंगे. वीडियो में उन्हें दावा करते सुना जाता सकता है कि इसके बाद 22 मरीजों की हालत बहुत खराब हो गई और वो "नीले पड़ गए."

जिम्मेदारी किसकी?

इस बात की अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है कि उन 22 लोगों की जान बच पाई थी या नहीं. अस्पताल और जिला प्रशासन दोनों ने कहा है कि 22 लोगों की मौत नहीं हुई थी. लेकिन उस समय पारस में भर्ती कुछ मरीजों के रिश्तेदारों ने दावा किया है कि उनके मरीजों की मृत्यु 26 और 27 अप्रैल को ही हुई थी. इन आशंकाओं को देखते हुए जिला प्रशासन ने मामले में जांच के और अस्पताल को सील करने के आदेश दे दिए हैं. अस्पताल में इस समय 55 मरीज भर्ती हैं जिन्हें दूसरे अस्पतालों में भर्ती करवाने के बाद उसे सील कर दिया जाएगा.

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस वीडियो को ट्वीट किया और सवाल उठाया कि इसके लिए कौन जिम्मेदारी लेगा. इस घटना ने दूसरी लहर के दौरान मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से जन्मी भयावह स्थिति की यादें ताजा कर दी हैं. सिर्फ आगरा ही नहीं बल्कि दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा और दूसरे कई राज्यों में अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की वजह से कई जानें चली गई थीं. मई में आई एक निजी संस्था की रिपोर्ट का अनुमान था कि अप्रैल से मई के बीच देश में कम से कम 512 लोगों की मौत मेडिकल ऑक्सीजन की कमी की वजह से हुई. 

अब इन मौतों के लिए जवाबदेही तय करने की मांगें उठ रही हैं. दिल्ली के अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने मांग की है कि इस तरह के हर मामले में मृतक के परिवार को एक करोड़ रुपए हर्जाना दिया जाना चाहिए और जो इन मौतों के जिम्मेदार पाए जाएं उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाए और उचित कार्रवाई की जाए.

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