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ओबामा क्या नये किंग?

प्रिया एसेलबोर्न४ अप्रैल २००८

अमेरिकी समाज सुधारक और शांति नोबल पुरस्कार विजेता मार्टिन लूथर किंग की ठीक चालीस साल पहले, चार अप्रैल 1968 को, गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. महत्मा गांधी के अहिंसा के सिधांतों के प्रशंसक मार्टिन लूथर किंग ने, गांधीजी की ही तरह, अपने उसूलों के लिए जीवन न्यौछावर कर इतिहास रचा. अश्वेत अमरीकियो

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मार्टिन लूथर किंग को तीस बार गिरफ़्तर किया गया
मार्टिन लूथर किंग को तीस बार गिरफ़्तर किया गयातस्वीर: AP

�� को वहाँ के समाज में समान अधिकार दिलाने में उनका योगदान अपूर्व कहा जा सकता है.

"मेरा एक सपना है कि इस देश के लोग एक दिन यही कहें कि सभी लोगों के अधिकार एकसमान हैं."

ढाई लाख लोगों के सामने मार्टिन लूथर किंग का यह सबसे मशहूर भाषण था. उस वक्त मौजूद हाईनरिश ग्रोस्से किंग के भाषण को इस तरह याद करते हैं: "वे लोगों को मुग्ध कर दिया करते थें, हंसमुख भी थें. पढ़े-लिखे गोरों और ग़रीब तथा अनपढ़ अश्वेतों, दोनों को वे अपनी रौ में बहा लिया करते थे. य़ही उनकी सबसे बड़ी प्रतिभा थी."

कभी भी हिम्मत न हारने वाले किंग का नस्लवाद और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष ही आज इस बात का आधार बन सका है कि बाराक ओबामा जैसे नेता, जिनके पिता केनिया के और मॉ अमेरिका की हैं, राष्ट्रपति बनने के लिए खड़े हो सकते हैं. किंग के ज़माने में अश्वेतों का गोरों से शादी करना सख़्त मना था, रेस्तरॉ में और बसों में उन्हे अलग बैठना पड़ता था. पादरी मार्टिन लूथर किंग को तीस बार गिरफ़्तार किया गया, कई बार उनपर हमले हुए.

किंग महात्मा गांधी के बहुत बडे भक्त थें और उनके बाद वह पहले ऐसे नेता थें, जिन्होने अहिंसा के द्वारा बदलाव लाया. किंग हमेशा न्याय और शांति की स्थापना के प्रति समर्पित रहे. इसी लिए उन्होने ग़रीबी और वियतनाम युद्ध की भी आलोचना की, जैसाकि उनके साथी हाईनरिश ग्रोस्से बताते हैं: "एक दिन उन्होने कहा: मैं और चुप नहीं बैठ सकता. मैं अमेरिका में अहिंसा की बात नहीं कर सकता और न ही दूसरी तरफ़ वियतनाम में हो रही बर्बर हिंसा की अंदेखी कर सकता हूँ."

अभी तक स्पष्ट नहीं है कि जेम्स अर्ल रॉय, जिसे किंग की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था, वाकई इस हत्या के लिए ज़िम्मेदार था या इस में एफबीअई का हाथ था. किंग ने सभी लोगों को हमेशा यह एहसास दिलाने की कोशिश की कि सामने आने से, एकजुट रहकर मुश्किलों का सामना करने से वे एक दिन कामयाब हो सकते हैं. अपनी इसी शक्ति के बल पर किंग अमर बन गए और चालीस साल बाद भी वे आज की पीढ़ी के लिए आदर्श है.