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ओलंपिक में अफगान महिला का मुक्का

२३ मई २०१२

महिला मुक्केबाजी में ओलंपिक में अफगानिस्तान का प्रतिनिधित्व करने की वजह से सदाफ रहीमी चर्चा में आईं. लेकिन अब शक हो रहा है कि वह ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले पाएंगी. रिंग के अंदर उनकी सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो गया है.

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18 साल की फ्लाइवेट वर्ग की रहीमी को लंदन ओलंपिक के लिए वाइल्ड कार्ड इंट्री मिला. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि सबसे पहले सुरक्षा को ध्यान में रखा जाएगा. चीन में पोलैंड की सांड्रा द्राबिक के खिलाफ मुकाबले को एक मिनट और 26 सेकंड में ही रोक दिया गया.

तालिबान ने 2001 से पहले अपने शासनकाल में अफगानिस्तान में महिलाओं के खेल पर पाबंदी लगा दी थी. ऐसे में जब लंदन ओलंपिक में किसी वाइल्ड कार्ड इंट्री की बात हुई, तो सहसा रहीमी का नाम सामने आ गया. लेकिन रिंग में उतरने के बाद कुछ और तस्वीर सामने आ रही है. चीन में विश्व चैंपियनशिप खेलते हुए रहीमी का कहना है, "मेरे मुकाबले बहुत कड़े रहे क्योंकि मेरी प्रतिद्वंद्वी बेहद मजबूत हैं. निश्चित तौर पर ओलंपिक में खेलना मेरे लिए सपने जैसा है और मैं अपने देश के लिए संघर्ष करना चाहूंगी लेकिन मैं इंतजार कर रही हूं कि आयोजक क्या कहते हैं."

उन्होंने कहा कि अगर सिर्फ अनुभव न होने पर उन्हें ओलंपिक नहीं खेलने दिया जाएगा तो उन्हें बहुत दुख होगा. रहीमी ने नाम पेश किए जाने के बाद ब्रिटेन में लगातार मुक्केबाजी का अभ्यास किया है. वह जब चीन में खेलने पहुंचीं, तो खास तौर पर हिजाब पहन कर कुछ महिलाएं उनका हौसला बढ़ाने वहां जमा हुईं. उनका कहना है, "यह बात साफ है कि मेरे और दूसरे बॉक्सरों के बीच बड़ा अंतर है. लेकिन अगर कोई इस मुकाबले को देखने आता है तो हमें इससे काफी प्रोत्साहन मिलता है. यहां रहते हुए अफगानिस्तान का झंडा लहराना बड़ी बात है. अगर कोई और अफगानिस्तान से होता है, तो वह भी बड़ी बात है."

अफगानिस्तान की महिला मुक्केबाज इस्लामी धर्म के मुताबिक ही बॉक्सिंग की ड्रेस भी पहनती हैं. वे हेलमेट के नीचे कपड़े के छोटे से टुकड़े से अपना सिर ढंकती हैं और हाथों और पैरों में पूरी लंबाई वाले कपड़े पहनती हैं. रहीमी के कोच और अफगानिस्तान बॉक्सिंग फेडरेशन के महासचिव हिदायतुल्लाह मोहमंद का कहना है कि सिर्फ विश्व चैंपियनशिप में हिस्सा लेना भी बड़ी बात बन चुकी है.

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अंतरराष्ट्रीय बॉक्सिंग संगठन का कहना है कि अफगानिस्तान और अफ्रीका जैसे दूसरे देशों से उभर रही बॉक्सिंग प्रतिभाओं को ज्यादा ट्रेनिंग दी जाएगी. हालांकि इस मामले में विवाद भी पैदा हो गया है. आयरलैंड की टॉप बॉक्सर केटी टेलर ने वाइल्ड कार्ड सिस्टम का विरोध किया है और कहा कि ओलंपिक जैसे मुकाबलों में सिर्फ सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों को ही जगह मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा, "हमें उम्मीद है कि जब वाइल्ड कार्ड दिया जाएगा, तो आयोजक सही फैसला करेंगे. हम महिला मुक्केबाजी में सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को देखना चाहते हैं."

एजेए/एमजे (एएफपी)

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