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कंप्यूटर के दिमाग से पर्यावरण का नुकसान कैसे रुके

१७ जुलाई २०१८

कंप्यूटर और स्मार्टफोन के दिमाग यानि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने जिंदगी को आसान तो बनाया है, लेकिन अब इसके खतरों की चर्चा शुरू हो चुकी है. तकनीक के विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे पर्यावरण को नुकसान पहुंच सकता है.

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Robots Ausstellung, Science Museum in London
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Grant

हमें कोई भी जानकारी चाहिए होती तो झट से अपना स्मार्टफोन निकालकर चेक करने लगते हैं. अमेजॉन के अलेक्सा और ऐपल के सिरी की मदद से घर और बाहर के काम आसानी से निपटाए जा रहे हैं. लेकिन इन सबका खामियाजा धरती को उठाना पड़ रहा है.   

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में पर्यावरण अभियान की अगुवाई करने वाले जाह्दा स्वानबोरोह के मुताबिक, किसी भी नए आविष्कार के साथ हमें उसके जोखिम और दुष्परिणामों को ठीक करने की जरूरत है.

संरक्षणवादी यह चेतावनी दे चुके हैं कि ई-प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग से कच्चे माल का इस्तेमाल तेजी से बढ़ेगा. इलेक्ट्रिक कार और स्मार्टफोन में इस्तेमाल होने वाली बैटरी को बनाने के लिए निकेल, कोबाल्ट या ग्रेफाईट का खनन बढ़ा है. चीन, भारत, कनाडा में ये धातु अधिक मात्रा में पाए जाते हैं जहां खनन से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा है. दुनियाभर में ई-वेस्ट की कुल मात्रा बढ़ती जा रही है वहीं, सामानों की पैकेजिंग और डिलिवरी के लिए प्लास्टिक का उत्पादन भी बढ़ा है.

मशीन से सीखती मशीन

स्वानबोरोह कहते हैं कि नए इको-फ्रेंडली डिवाइस को बनाना एक विकल्प हो सकता है. शोधकर्ता कच्चे माल के नए विकल्प के बारे में पता लगा रहे हैं जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले मटीरियल पर निर्भरता कम हो सके. मसलन, मेटल ऑक्साइड से सोलर सेल की दक्षता बढ़ाई जा सकी है और सौर ऊर्चा को संजोया जा सकता है. ओपन क्वांटम मटीरियल डेटाबेस से ऊर्जा की जरूरतों और चुनौतियों के बारे में पता लगाया जा सकता है.

बढ़ती आबादी के साथ बिजली की खपत बढ़ी है. नवीन ऊर्जा के लिए पूरी दुनिया में काम चल रहा है, लेकिन अब भी पुराने ईंधन पर निर्भरता कम नहीं हुई है. तकनीक के विकास में बिजली की बड़ी भूमिका है. अमेरिका में बिजली की खपत का 2 फीसदी हिस्सा डेटाबेस के इस्तेमाल में चला जाता है. ऊर्जा की खपत पर नजर रखने के लिए गूगल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की सहायता ले रहा है जिससे एनर्जी की दक्षता बढ़ाई जा सके. गूगल के सीनियर कम्यूनिकेशन मैनेजर राल्फ ब्रिमर कहते हैं, "गूगल ने हमेशा नवीन ऊर्जा को इस्तेमाल करना चाहा है. 2007 में हमने कार्बन ऑफसेट प्रोग्राम शुरू किया जिसमें पेड़ लगाए गए और पवन चक्कियों या सौर ऊर्जा पर जोर दिया. हमें यकीन है कि इस साल हम पूरी तरह नवीन ऊर्जा को इस्तेमाल करना शुरू कर देंगे."

यूरोपियन कमीशन के वाइस प्रेसिडेंट एंड्रुस एनसिप बताते हैं कि भाप के इंजन और बिजली ने जिस तरह कभी फायदा पहुंचाया था, वैसे ही अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने लोगों की जिंदगी बदली है. अब इसे प्रगतिशील और टिकाऊ बनाने पर काम करने की जरूरत है.ॉ

शाय माइनेके/वीसी

इंसान और रोबोट में फर्क करना मुश्किल होने लगा है

 

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