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समाज

कम जीते हैं देर से सोने वाले

१२ अप्रैल २०१८

अगर आप लंबा जीना चाहते हैं और मानसिक तनाव से दूर रहना चाहते हैं, तो अच्छा होगा अगर आप रात में जल्दी बिस्तर में घुस जाएं और सुबह खूब काम करें.

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Symbolbild schlafen
तस्वीर: Colourbox/Monkey Business Images

एक रिसर्च के मुताबिक जो लोग देर रात तक जागते हैं उनमें सुबह जल्दी जागने वालों की तुलना में मरने की आंशका 10 फीसदी अधिक होती है. जो लोग देर रात तक स्वयं को बिस्तर से दूर रखते हैं और अमूमन जिनकी आदत देर रात सोकर, देर से उठने की होती है, वे जल्दी उठने वालों की तुलना में कम जीते हैं. ब्रिटेन में 4.30 लाख लोगों पर की गई एक रिसर्च यह पाया गया है. इंग्लैंड की सरे यूनिवर्सिटी के रिसर्चर और रिपोर्ट के सह-लेखक मैल्कम वैन शेंटज कहते हैं कि यह लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ा मसला है और इसे अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

शिकागो की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के रिसर्चर और रिपोर्ट के सह-लेखक क्रिस्टन कुनटसन ने कहा, "रात में जागने वालों में शारीरिक समस्याएं भी अधिक होती हैं". इस शोध में रिसर्चरों ने 38 से 73 तक की उम्र के करीब साढ़े चार लाख लोगों को शामिल किया.

शोध में शामिल तकरीबन 27 फीसदी लोगों ने स्वयं को पूरी तरह से सुबह काम करने वाला व्यक्ति बताया, 35 फीसदी ने स्वयं को काफी काम सुबह तो कुछ काम शाम में करने वाला बताया. इसके अलावा 28 फीसदी स्वयं को शाम में ज्यादा और सुबह कम काम करने वाला मानते हैं, तो वहीं 9 फीसदी लोग पूरी तरह से स्वयं को शाम में काम करने वाला बताते हैं. शोध में इन लोगों के वजन, धूम्रपान की आदत, सामाजिक-आर्थिक स्थिति को भी सूचीबद्ध किया गया. साढ़े छह साल के दौरान इनमें हुई मौतों का विवरण तैयार किया गया. इस दौरान कुल 10,500 मौतें सामने आईं.

रिसर्चरों ने देखा कि जो समूह रात को जागता है, उसमें मृत्यु की आशंका, सुबह उठने वाले समूह से 10 फीसदी अधिक है. इसके साथ ही देर रात तक जागने वाले समूह के लोग डायबिटीज, पेट और सांस की तकलीफ, मनोवैज्ञानिक विकार, कम नींद की समस्या से ग्रस्त होते हैं. साथ ही ये लोग धूम्रपान, शराब, कॉफी और अवैध ड्रग्स का सेवन भी अधिक करते हैं.

शोध के मुताबिक इन लोगों में मौत का जोखिम इसलिए भी अधिक होता है क्योंकि देर से सोकर उठने की वजह से इनकी बॉयलाजिकल क्लॉक अपने आसपास के वातावरण से मेल नहीं खाती. रिसर्चरों की टीम का दावा है कि गलत समय पर खाना, शारीरिक गतिविधियां कम करना, अच्छे से नहीं सोना, पर्याप्त व्यायाम नहीं करना आदि के चलते लोगों को मानसिक तनाव हो सकता है. रिसर्चरों ने देर रात तक जागने वालों के लिए खास प्रकार के इलाज की बात भी कही है.

एए/आईबी (एएफपी)