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कारोबार से लेकर आतंकवाद जैसे कई मुद्दों पर होगी बात

२५ जून २०१९

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल में पहली बार भारत पहुंच रहे अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो की यात्रा कूटनीतिक और कारोबारी लिहाज से अहम मानी जा रही है. पोम्पेयो 25 से 27 जून तक भारत के दौरे पर रहेंगे.

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USA 2019 Trafficking in Persons report | Mike Pompeo, Außenminister in Washington
तस्वीर: Reuters/Y. Gripas

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पेयो 25 जून को भारत पहुंच रहे हैं. अपने भारत दौरे के दौरान वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मुलाकात करेंगे. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस दौरे की जानकारी देते हुए कहा, "चुनाव के बाद भारत-अमेरिका के बीच यह पहली उच्चस्तरीय बातचीत होगी."

कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों पक्षों के बीच ईरान के साथ बढ़ती अमेरिकी तनातनी और चीन के साथ अमेरिकी ट्रेड वार पर चर्चा होगी. कारोबारी जंग के बीच संभव है कि दोनों देश घरेलू उत्पादन पर जोर देंगे, और भारत मेक इन इंडिया के लिए नए निवेशकों को खुला न्यौता दे सकता है.  इसके साथ ही अमेरिका द्वारा हाल ही में खत्म हुए भारत के 'जनरलाइजड सिस्टम ऑफ प्रेफ्रेंस' (जीएसपी) पर भी बातचीत हो सकती है. कारोबार से इतर आतंकवाद और रूस के मिसाइल सिस्टम की खरीद जैसे विषयों पर भी चर्चा होने की संभावना जताई जा रही है.

अमेरिकी विदेश मंत्री की भारत यात्रा के खिलाफ वाम दल समर्थित समूह विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं. प्रदर्शनकारी अमेरिका की मध्यपूर्वी देशों पर अपनाई गई नीतियों का विरोध कर रहे हैं. पोम्पेयो मध्य पूर्व में अपने पुरानी साथी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से होते हुए भारत पहुंच रहे हैं. पोम्पेयो ने दोनों देशों के साथ मिलकर समुद्री निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने पर जोर दिया. ईरान-अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर यह मुलाकार अहम कही जा रही थी. माना जा रहा है कि अमेरिका विदेश मंत्री की यात्राओं का मकसद ईरान के खिलाफ एक वैश्वविक गठबंधन तैयार करना भी है. 

दिल्ली में बैनर, पोस्टरों के साथ इकट्ठे हुए प्रदर्शनकारी, "नो वॉर ऑन ईरान" मतलब ईरान में कोई युद्ध नहीं के नारे लगा रहे हैं. साथ ही अमेरिका को पीछे हटने जैसे बातें कह रहे हैं. प्रदर्शनकारी यहां तक कह रहे हैं कि भारत सरकार को अमेरिकी दबाव में ईरान के साथ तेल कारोबार बंद नहीं करना चाहिए था. एक प्रदर्शनकारी अरुण कुमार ने कहा, "अमेरिका और भारत के बीच अभी मालिक और नौकर जैसा संबंध है. इसका हम विरोध करते हैं और बराबरी का रिश्ता चाहते हैं." वहीं कुछ प्रदर्शनकारियों ने क्यूबा और वेनेजुएला जैसे मुल्कों को लेकर अपनाई जा रही अमेरिकी नीतियों को गलत बताते हुए अमेरिका को "साम्राज्यवादी" करार दिया.

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एए/आरपी (एएफपी, एपी)