1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कार्बन डाई ऑक्साइड फ्री मालगाड़ी

२९ सितम्बर २०१०

दुनिया के सभी देश कार्बन डाई ऑक्साईड के उत्सर्जन को काबू में करने के लिए काम कर रहे हैं. कई तरह के प्रोजेक्टस सामने आ रहे हैं. भारत में कोयले के बाद अब भी कई मालगाड़ियां और ट्रेने डीजल से चलती हैं.

https://p.dw.com/p/PPKJ
तस्वीर: AP

हो सकता है भारत में निकट भविष्य में कार्बन डाई ऑक्साईड फ्री मालगाड़ियां और ट्रेने शुरू हो जाएं.

जलवायु परिवर्तन से मुकाबले और वायु प्रदूषण को कम करने की पहल जर्मन रेल डॉयचे बान ने की है. वह बना रही है कार्बन डाई ऑक्साइड फ्री मालगाड़ी. मतलब CO2 निकलेगी ही नहीं. वैकल्पिक ऊर्जा से चलने वाली ये मालगाड़ी माल ले जाने को तैयार है. डॉयचे बान की इस हरी भरी पेशकश का फायदा यहां की बड़ी कार कंपनी ऑडी उठाने वाली है. उसने इस इको जर्मन मालगाड़ी को पहला ठेका भी दे दिया है.

Deutsche Bahn ICE Klimaanlage Hitze Hitzewelle Sommer Sonne
तस्वीर: AP

जर्मन रेल के मालवाहन उपक्रम शेंकर रेल का दावा है कि इको प्लस नाम की नई मालगाड़ी ऑडी की 160 कारों को एक शहर से दूसरे शहरों में ले जाएगी. वह भी बिना जहरीली गैसों के उत्सर्जन के. बर्लिन में डॉयचे बान के पर्यावरण केंद्र के कॉन्सटेंटीन फोग्ट बताते हैं, " अगस्त 2010 से जर्मन रेल की 625 इको प्लस ट्रेनें दक्षिणी जर्मनी के इंगोलश्टाड से उत्तर के एम्डन तक जा रही हैं. हर दिन तीन ट्रेन."

ऑडी कार कंपनी का कहना है कि इको फ्रेन्डली मालगाड़ियों का इस्तमाल करके वो भी जहरीली गैसों के उत्सर्जन को कम करने में एक तरह से मदद कर रहा है. क्योंकि उसकी गाड़ियां एक जगह बनती हैं और दुनिया के कई हिस्सों में भेजी जाती हैं.

पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाने वाली ट्रेनों के लिए जर्मन रेल ऊर्जा जर्मनी के पनबिजली घरों से ले रही है. डॉयचे बान के एक अन्य उपक्रम डीबी एनर्जी ये ऊर्जा या तो खरीदती है या खुद बनाती है. फोग्न के शब्दों में, "हालांकि ग्रीनपीस पर्यावरण संगठन का कहना है कि ये ऊर्जा इओन कंपनी से ली जा रही है और पुराने पनबिजली घरों से भी. जर्मनी में ग्रीन पार्टी के सासंद विनफ्रीड हैरमान कहते हैं कि जर्मनी को ज्यादा ऊर्जा पवन ऊर्जा संयंत्रों से लेनी चाहिए. उसे सिर्फ पनबिजली घरों पर अटके नहीं रहना चाहिए. जर्मन रेल के इको प्लस कार्यक्रम के तहत वैकल्पिक ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण के लिए भी बोनस दिया जाएगा. पर्यावरण कार्यक्रम में अतिरिक्त फायदे का 10 फीसदी पवन ऊर्जा और सोलर पार्क्स के लिए रख दिया जाएगा."

इन कोशिशों के बावजूद पर्यावरण के लिए लड़ने वाली संस्थाओं का कहना है कि जब तक डॉयचे बान यानी जर्मन रेल की पैंतालीस फीसदी ऊर्जा कोयले से बनती है तब तक वह पर्यावरण के लिए नुकसानदायक ही रहेगी. और इको प्लस जैसा कार्यक्रम सिर्फ एक प्रतीक ही बना रहेगा. क्या आने वाले समय में सभी मालगाड़ियां इस तरह वैकल्पिक ऊर्जा से चलाई जाएंगी या फिर ये हमेशा एक छोटे से हिस्से में चलता रहेगा ये अभी तय नहीं है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/आभा एम

संपादन: एस गौड़