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कीटनाशक के बदले रोबोट मारेगा खरपतवार

Priya Esselborn२५ मई २०१२

कभी पानी की कमी, कभी बाढ़ और तो कभी कीटनाशक. फसल उगाने से पहले किसानों को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है. लेकिन जर्मनी के वैज्ञानिक ऐसा रोबोट बना रहे हैं जो खरपतवार को लेजर से समाप्त कर देगा.

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तस्वीर: picture alliance/Godong

कीटनाशकों की जगह पर लाइबनित्ज यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ऐसा विकल्प खोजने में लगे हैं जो रोबोट ड्रोन और लेजर किरणों की मदद से खरपतवार को खत्म कर देगा. चिकवीड, डैंडिलियोन और शेफर्ड पर्स ऐसी खरपतवार हैं जो खेती के विकास के समय से ही मध्य यूरोप के किसानों को परेशान कर रही हैं. परंपरागत रूप से इन्हें कीटनाशक डाल कर खत्म किया जाता है जो जहरीला होता है. इसके जमीन और पानी में फैलने की आशंका होती है. इसीलिए वैज्ञानिक इसका विकल्प तलाश रहे हैं. जर्मनी के हनोवर शहर के लेजर केन्द्र में इस बार में प्रयोग चल रहा है. इससे जुड़े वैज्ञानिक क्रिस्टियान मार्क्स कहते हैं, "हमारा मकसद खरपतवार को नष्ट करने का ऐसा तरीका ढूंढ़ निकालना है जो पर्यावरण के ज्यादा अनुकूल हो. कीटनाशक के प्रयोग में खतरे भी कम नहीं."

लेजर किरणों की सहायता से खरपतवार को नियंत्रित करने वाला कार्यक्रम थॉमस राथ और हेइन हाफरकांप की देखरेख में चलाया जा रहा है.

जर्मनी में करीब 16 लाख लीटर कीटनाशक का इस्तेमाल हर साल किया जाता है.  जैविक खेती में खरपतवार को या तो हाथ से उखाड़कर खत्म किया जाता है या फिर कीटनाशक का इस्तेमाल कर उसका सफाया किया जाता है. ये पर्यावरण के लिए अच्छा भी है लेकिन बड़े पैमाने पर ऐसा करना संभव नहीं.  उधर, लेजर संचालित रोबोट में भी एक समस्या है. ये समस्या है सटीक सेंसर विकसित करने की. प्रयोग से पहले ऐसा सेंसर विकसित करना जरूरी है जो खरपतवार और फसल को सही तरीक से समझ सके. और लेजर वहीं चलाए जहां उसकी जरूरत है. वैसे, कीटनाशक का इस्तेमाल खेती में सबसे ज्यादा प्रचलित और मान्य तरीका है. इस कार्यक्रम को जर्मन रिसर्च फाउंडेशन की ओर से भी सहायता दी जा रही है. इस परियोजना से जुड़े मार्क्स कहते हैं कि ये लेजर किसी फसल को नुकसान न करे तभी ठीक है. अभी तक के प्रयोगों से पता चला है कि लेजर बीम खरपतवार के पैदा होने के केन्द्र पर हमला करती है. प्रयोग से ये भी पता चला है कि जो लेजर बीम कमजोर होती हैं वो पौधे की विकास में सहायता करती हैं. मार्क्स का कहना है, "खेत को पूरी तरह से खरपतवार से मुक्त होने की जरूरत नहीं है. फसल को दो या तीन हफ्ते का समय मिलना चाहिए और उसके बाद खरपतवार का सफाया होना चाहिए."

Japan Atomkastastrophe Verstrahlte Nahrung
तस्वीर: AP

रोबोट या ड्रोन में  एक कैमरा लगा होगा जो फसल की तस्वीर खींचेगा और फिर खरपतवार को उससे अलग करेगा. इसके बाद सॉफ्टवेयर द्वारा निर्देशित लेजर की सहायता से उसे नष्ट करेगा. हालांकि अभी प्रयोग को ग्रीन हाउस में ही प्रयोग में लाया जा रहा है लेकिन कृषि उद्योग से जुड़े लोगों ने इसमें दिलचस्पी दिखानी शुरु कर दी है.

शोधकर्ताओं का मानना है कि बड़े खेतों में इसकी सफलता की संभावना कम ही है क्योंकि तब रोबोट को ट्रैक्टर पर रखना होगा और उस स्थिति में हिलने से उसकी मारक क्षमता प्रभावित होगी. एक दूसरी संभावना ये है कि रोबोट और ड्रोन को खेत के ऊपर उड़ने के लिए छोड़ दिया जाए. और फिर लेजर के जरिए खरपतवार को समाप्त किया जाए.  इस परियोजना पर जर्मन रेलवे ने भी दिलचस्पी लेनी शुरू कर दी है. रेलवे का तीस फीसदी हिस्सा संरक्षित जल क्षेत्र से गुजरता है जहां कीटनाशकों का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. शोधकर्ताओं के मुताबिक इसे बाजार में आने में कम से कम पांच साल और लगेंगे. हालांकि खुले खेतों में इसका प्रयोग शुरू किया जा चुका है.

रिपोर्टः आंद्रेयास स्टेन जीमोन्स, सारा स्टेफन (वीडी)

संपादनः आभा मोंढे

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