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केरल में भारी बारिश ने ली 27 जानें

चारु कार्तिकेय
१८ अक्टूबर २०२१

केरल के कई हिस्सों में लगातार हो रही बारिश की वजह से भारी नुकसान हुआ है. कम से कम 27 लोगों के शव बरामद हुए हैं, 21 और लोग लापता हैं और कई लोगों ने अपना सब कुछ गंवा दिया है.

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तस्वीर: APPU S. NARAYANAN/AFP//Getty Images

पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश के बाद कोट्टायम और इडुक्की जैसे जिलों में कई जगह भूस्खलन हुआ जिसमें कई लोगों के मारे जाने की खबर है. मीडिया में आई अलग अलग खबरों में 21-27 लोगों के शव बरामद किए जाने के बारे में बताया गया है.

इसके अलावा कम से कम 21 और लोगों के लापता होने की खबर है. कई लोगों के घर बह गए. कई लोग अपनी गाड़ियों के साथ बह गए. कोट्टायम और इडुक्की के अलावा कन्नूर, पलक्कड़, कोल्लम, पथनमथिट्टा, आलपुर्रा जैसे जिले भी भारी बारिश से प्रभावित हैं.

राज्य सरकार का दावा है कि 4,713 लोगों को बचाया भी गया है और राज्य में खोले गए 156 राहत शिविरों में ले जाया गया है. सभी प्रभावित जिलों में राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मी, राज्य आपदा कर्मी, सेना, नौसेना और वायुसेना के कर्मी राहत और बचाव के काम में लगे हुए हैं.

स्थिति अभी भी नाजुक

राज्य सरकार ने मरने वालों के परिवार के लिए चार लाख रुपए के मुआवजे की घोषणा भी की है. बारिश अभी भी लगातार हो रही है जिसकी वजह से राज्य के सभी बांध और जलाशय भी भर गए हैं. पूरे राज्य में चेतावनी जारी कर दी गई है.

Indien Kerala | Überschwemmungen und Erdrutsche durch heftige Regenfälle
कोट्टयम में राहत कार्य में शामिल नौसेना के एक हेलीकॉप्टर से बाढ़ का दृश्यतस्वीर: Indian Navy/AP/picture alliance

मौसम विभाग ने कहा है कि शनिवार 16 अक्टूबर को केरल के पास दक्षिणपूर्वी अरब सागर में कम दबाव का क्षेत्र बन गया था. अब यह क्षेत्र उतना गंभीर नहीं दिख रहा है, लेकिन अभी भी इसकी वजह से और कुछ दिनों तक तटीय कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में बारिश हो सकती है.

संवेदनशील प्रांत

केरल में अक्सर मानसून के दौरान इस तरह के हालात बन जाते हैं. 2018 में राज्य में भारी बारिश के बाद भयंकर बाढ़ आई थी जिसे लगभग 100 सालों में सबसे बुरी बाढ़ बताया गया था. कम से कम 480 लोग मारे गए थे, कई लापता हो गए थे और करीब 10 लाख लोगों को बचाया गया था.

केरल समेत पूरे पश्चिमी घाट के इलाके को पारिस्थितिक रूप से अति संवेदनशील माना जाता है और यहां जंगलों की कटाई और सड़कों और इमारतों के निर्माण के दुष्प्रभाव को लेकर कई विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं. लेकिन बार बार बारिश की वजह से इस तरह के हालात उत्पन्न हो जाने की वजह से जानकारों का मानना है कि इन सभी बिंदुओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

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