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कोई प्रलय नहीं आएगा 2012 में!

८ दिसम्बर २००९

हॉलीवुड फ़िल्म 2012 हाल ही में रिलीज़ हुई है. जिसमें दिखाया गया है कि 21 दिसंबर 2012 को एक ग्रह आएगा. पृथ्वी से टकरायेगा. प्रलय आ जायेगा. दुनिया तहस-नहस हो जायेगी. हम सब मारे जायेंगे.... ग्रह का नाम होगा नीबीरू.

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तस्वीर: Picture-Alliance /dpa

नीबीरू काफ़ी समय से चर्चा में है. उसे प्लानेट एक्स भी कहा जाता है. भारत में भी विशेषकर निजी टेलीविज़न चैनल उसका ख़ूब ढोल पीट रहे हैं. कहते हैं कि 21 दिसंबर 2012 को महाप्रलय आने वाला है. दुनिया नष्ट होने वाली है. माया सभ्यता के लोग इस की भविष्यवाणी कर गये हैं. उनका कैलेंडर इसी तारीख़ के साथ समाप्त हो जाता है.

तथ्य यह है कि अमेरिकी महाद्वीप पर माया सभ्यता स्वयं भी कब की लुप्त हो चुकी है. उस के कैलेंडर के अंत को विश्व का अंत भला क्यों मान लिया जाये? तथ्य यह भी है कि महाप्रलय और विश्व के अंत की भविष्यवाणियां पहले भी अनेक हो चुकी हैं. पृथ्वी चार अरब वर्षों से अपनी जगह पर है. न प्रलय आया और न विश्व नष्ट हुआ. यह सब समय-समय पर सनसनी और आतंक फैला कर पैसा बनाने वालों की कारस्तानी है. अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा के वरिष्ठ अंतरिक्ष वैज्ञानिक डेविड मॉरिसन कहते हैं कि नीबीरू नाम के किसी ग्रह का कहीं कोई अस्तित्व ही नहीं हैः

"सबसे सीधी बात यह है कि नीबीरू का कोई अस्तित्व ही नहीं है. यह पूछने के बदले कि उस के बारे में इतना शोर पैदा कैसे हुआ, खगोलविदों से यह पूछें कि वे क्या जानते हैं? नीबीरू या प्लानेट एक्स जैसी कोई चीज़ दिसंबर 2012 में यदि सौर मंडल के भीतर आने वाली होती, तो दुनिया भर के पेशेवर और शौकिया खगोलविद दशकों से उस पर नज़र रखे रहे होते. अब तक तो वह नंगी आंखों से भी दिखने लगा होता. लेकिन, उसका कोई अता-पता नहीं है."

नीबीरू मूल रूप में अमेरिका के विस्कॉन्सिन में रहने वाली नैन्सी लीडर नाम की एक महिला के दिमाग़ की उपज है. उस का कहना है कि उस के मस्तिष्क में एक प्रतिरोपण है, जिसके ज़रिये वह ज़ेटा रेटीकुली नाम की एक ग्रहप्रणाली के लोगों के साथ संपर्क में रहती है. 1995 में ज़ेटा रेटीकुली वालों ने उसे मनुष्य जाति को आगाह करने के लिए कहा कि मई 2003 में एक विशाल पिंड सौरमंडल में से गुज़रेगा. वह पृथ्वी के ध्रुवों को इस तरह बदल देगा कि मानव जाति का लगभग अंत हो जायेगा. नैन्सी लीडर ने 1995 में ज़ेटा टॉक्स नाम से एक इंटरनेट वेबसाइट बनायी और अपने कपोलकल्पित प्रलय का प्रचार करने लगी.

40 Jahre Mondlandung
तस्वीर: AP

2003 में कुछ नहीं हुआ. कहा गया कि 2010 के आस-पास ज़रूर प्रलय आयेगा. अब 2010 भी ड्योढ़ी पर खड़ा है. नीबीरू का कहीं नाम-निशान नहीं है. इसलिए माया सभ्यता के कैलेंडर की आड़ लेकर 21 दिसंबर 2012 को नया प्रलय दिवस घोषित कर दिया गया है. नीबीरू के आने के साथ यह भी जोड़ दिया गया है कि हमारा सूर्य आकाशगंगा के मध्य में सरक कर कई आकाशीय पिंडों की सीध में आ जायेगा, जो कि हमारे लिए महा-अनिष्टकारी होगा. नासा के डेविड मॉरिसन इस डर को भी निराधार बताते हैं:

"पृथ्वी पर से देखने पर सूर्य हर साल दिसंबर में आकाशगंगा के बीच की ओर जाता दिखता है. लेकिन, इसका कोई मतलब नहीं है. यदि आप को दिसंबर 2009 को लेकर कोई चिंता नहीं है, तो दिसंबर 2012 को लेकर भी कोई चिंता नहीं करें."

Schwarzes Loch beschießt Galaxie
तस्वीर: AP

अंतरिक्ष पर चौतरफ़ा नज़र रखना अमेरिकी अंतरिक्ष अधिकरण नासा का एक प्रमुख काम है. उसके रिसर्च सेंटर की ओर से डेविड मॉरिस ने एक वीडियो संदेश में प्रलय की सारी संभावनाओं का खंडन करते हुए कहा कि कई आकाशीय पिंडों का एकसीध में आना भी कोई अनहोनी बात नहीं है. यह जिज्ञासा का विषय हो सकता है, लेकिन किसी सच्ची वैज्ञानिक दिलचस्पी का विषय नहीं हैः

"पृथ्वी के ध्रुवों को लेकर भी चिंता फैलाई जा रही है कि वे बदल जायेंगे, पर कोई नहीं कहता कि यह होगा कैसे. यदि बात पृथ्वी की घूर्णन-धुरी वाले ध्रुवों की है, तो ऐसा कोई परिवर्तन न तो कभी हुआ है और न होगा. हां, पृथ्वी के चुंबकीय ध्रुव ज़रूर हर कुछ लाख वर्षों पर अपनी जगह बदल देते हैं. लेकिन, उस के भी 2012 में होने के कोई प्रमाण नहीं हैं और न उस से कोई नुकसान हो सकता है. कुछ लोग इस के साथ सौर सक्रियता और सौर ज्वालाओं के बढ़ जाने को जोड़ कर देखते हैं. सौर सक्रियता का चक्र हर 11 वर्ष पर अपने चरम पर होता है. कभी कभी उस से पृथ्वी पर कुछ नुकसान भी होता है, पर कोई सच्चा नुकसान नहीं होता. अगली अधिकतम सौर सक्रियता 2013 में आने वाली है, न कि 2012 में, और वह भी अब तक के औसत से कम उग्र होगी."

यानी 2012 का सारा हौवा बकवास है, झूठ है. अपने एक वक्तव्य में नासा ने कहा है कि इस समय एक ही लघुग्रह है, एरिस, जो सौरमंडल की बाहरी सीमा के पास की कुइपियर बेल्ट में पड़ता है और आज से 147 साल बाद 2257 में पृथ्वी के कुछ निकट आयेगा, तब भी उससे छह अरब चालीस करोड़ किलोमीटर दूर से निकल जायेगा. कोई प्रलय नहीं आ रहा है, 2012 जैसी चाहे जितनी फ़िल्में बनें.

रिपोर्ट- राम यादव

संपादक- महेश झा