1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
समाज

क्या चीन में मिलेगी बच्चा पैदा करने की छूट?

२८ अगस्त २०१८

2016 में चीन ने वन-चाइल्ड नीति खत्म कर टू-चाइल्ड पॉलिसी को अपनाया था. सरकार को उम्मीद थी इससे देश की जनसंख्या में इजाफा होगा, लेकिन उम्मीद के मुताबिक नतीजे न मिलने के कारण कयास है कि इसमें फिर बदलाव हो सकता है.

https://p.dw.com/p/33tHT
China Peking
तस्वीर: picture-alliance/PAP/A. Warzawa

चीन की सरकार को उम्मीद थी कि जैसे ही वह अपनी दशकों पुरानी वन-चाइल्ड पॉलिसी में बदलाव करेगा, देश में बड़े परिवारों की बाढ़ आ जाएगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. कई मां-बाप अब ज्यादा बच्चे पैदा करना ही नहीं चाहते. इसी के चलते चीन एक बार फिर अब अपनी परिवार नियोजन नीति में नरमी ला सकता है. चीन के सरकारी अखबार में छपा नागरिक संहिता मसौदा इसी ओर इशारा कर रहा है, जिसके बाद अटकलें लगाई जा रही हैं कि चीन 2016 में अपनाई गई टू-चाइल्ड पॉलिसी को जल्द खत्म कर सकता है.

चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए 1979 में एक-बच्चा नीति लागू की थी. इसे साल 2016 में बदला गया, क्योंकि देश की जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा बूढ़ा हो रहा है. 2016 में इसे बदलकर दो-बच्चा नीति कर दिया गया. चीन को यह चिंताए भी सता रही हैं कि बूढ़ी होती जनसंख्या का असर अर्थव्यवस्था की गति को धीमा कर सकता है. इसके अलावा लिंगानुपात और अन्य सामाजिक समस्याएं भी यहां खड़ी हो सकती हैं. हालांकि 2016 की दो-बच्चा नीति लागू होने के बाद भी उम्मीद के मुताबिक जनसंख्या में वृद्धि नहीं हुई.

विशेषज्ञ मानते हैं अब दंपति करियर के चलते एक बच्चे को ही प्लान करने में देरी करने लगे हैं. साथ ही बच्चों के पालन-पोषण पर होने वाला खर्चा भी उनके फैसले पर असर डालता है. चीन के उत्तरपूर्वी इलाके की एक महिला कहती हैं, "कई लोग दूसरा बच्चा चाहते हैं लेकिन बड़ा मसला है वित्तीय बोझ." चीन की एक नारीवादी लेखिका लेटा हॉग फिंचर ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "यह तो साफ है कि चीन की सरकार घटती प्रजनन दर से चिंतित है. सरकार को एक बच्चा नीति में छूट देकर भी उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिल रहे हैं."

Symbolbild Weltbevölkerungstag China Ubahnstation in Beijing
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. H. Young

दो-बच्चा नीति में छूट के अतिरिक्त जिन प्रावधानों को सुझाया गया है, उनमें से एक है कूलिंग ऑफ पीरियड. इसके तहत अगर कोई दंपति तलाक चाहता है, तो दोनों पक्षों को तलाक से पहले एक महीने का कूलिंग ऑफ पीरियड दिया जाए. इस दौरान दोनों पक्षों के पास तलाक की अर्जी वापस लेने का मौका हो.

ये खबरें सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रहीं हैं. इन अटकलों को तब और हवा मिली जब सरकार की ओर से साल 2019 के लिए सुअर के चित्र वाला पोस्टल स्टैम्प जारी किया गया. इस स्टैम्प में सुअर के परिवार को उसके तीन बच्चों के साथ पूरा होता दिखाया गया है.

जब चीन में एक-बच्चा नीति लागू थी, उस दौरान अगर किसी के एक से ज्यादा बच्चे होते, तो उन्हें भारी जुर्माना देना पड़ता था. यहां तक कि कुछ महिलाओं को जबरन गर्भपात या नसबंदी से भी गुजरना होता. इन कानूनों में कुछ छूट देश के जातीय अल्पसंख्यक मसलन उइगर समुदाय और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले तिब्बतियों को मिलती थी जिनका पहला बच्चा लड़की होता.

फिलहाल यह स्थिति बदल चुकी है. अब एक बच्चे वाले जोड़े भी अतिरिक्त बच्चों के लिए आवदेन कर सकते हैं. लेकिन अब यहां के दंपति परिवारों को बड़ा करने की जल्दी में नहीं दिखते. राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक, साल 2016 में देश में तकरीबन 1.79 करोड़ बच्चों का जन्म हुआ. यह संख्या 2015 में पैदा हुए बच्चों के मुकाबले महज 13 करोड़ अधिक थी.

साल 2017 में यह आंकड़ा 1.72 करोड़ रहा, जबकि 2 करोड़ बच्चों के पैदा होने का अनुमान लगाया था. फिंचर कहती हैं कि अब देखना होगा कि चीनी सरकार कैसे किसी बदलाव को लागू करती है. फिंचर मानती हैं, "सरकार चाहे जो भी नीति लागू करे, वह महिलाओं के प्रजनन अधिकारों को नियंत्रित रखना जारी रखेगी."

एए/आईबी (एएफपी)