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क्या ताइवान के रास्ते चीन से उलझना चाहता है अमेरिका

१२ जून २०१८

कारोबारी रिश्तों पर तनातनी बाद अब एक बार फिर अमेरिका और चीन के बीच रार पैदा हो सकती है. इसका कारण है ताइवान. अमेरिका का हालिया कदम चीन को कतई रास नहीं आ रहा है. इस पर चीन के विदेश मंत्रालय ने शिकायत भी दर्ज कराई है.

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Taiwan Taipei. American Institute
तस्वीर: Getty Images/AFP/S. Yeh

अमेरिका ने ताइवान की राजधानी ताइपे में 25.6 करोड़ डॉलर की लागत से अपना एक रिप्रेजेनटेंटिव दफ्तर (प्रतिनिधि कार्यालय) खोला है. ताइवान में इस अमेरिकी सुगबुगाहट ने लाजिमी तौर पर चीन के कान खड़े कर दिए हैं. लेकिन यह पहला मौका नहीं है जब अमेरिका और ताइवान के बीच इस तरह का कदम उठाया गया है. साल 1979 के बाद से ही ताइवान में "अमेरिकन इंस्टीट्यूट इन ताइवान (एआईटी)" अप्रयत्क्ष रूप से अमेरिकी दूतावास के रूप के काम कर रहा है. लेकिन अमेरिका का नया दफ्तर लो-प्रोफाइल रहने वाले एआईटी से काफी अधिक बड़ा और विस्तृत है.

यह दफ्तर तकरीबन 6.5 हेक्टेयर के इलाके में फैला है. ताइपे में स्थित एआईटी में करीब 500 अमेरिकी और स्थानीय अधिकारी काम करते हैं. एआईटी के निदेशक किन मोय ने कहा है कि नई बिल्डिंग अमेरिका और ताइवान के बीच घनिष्ठता और सहयोग को प्रतीक है साथ ही यह रिश्तों को प्रोत्साहित करेगी. 

अमेरिका-ताइवान संबंध

अमेरिका और ताइवान के बीच औपचारिक रूप से किसी भी तरह के राजनयिक संबंध नहीं हैं. लेकिन अमेरिका और ताइवान दशको से आर्थिक, राजनीतिक स्तर पर आपसी संबंधों को साझा करते आ रहे हैं. अमेरिका, ताइवान का मजबूत वैश्विक सहयोगी है साथ ही इकलौता विदेशी हथियारों का आपूर्तिकर्ता भी. ताइवान के राष्ट्रपति साइ इंग वेन ने कहा कि यह नया कॉम्प्लेक्स दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धताओं की पुष्टि करता है.

उन्होंने कहा, "अमेरिका और ताइवान के बीच दोस्ती इसके पहले कभी भी इतनी आशाजनक नहीं रही है." वहीं अमेरिका ने भी कहा है कि यह कॉम्प्लेक्स अमेरिकी-ताइवान साझेदारी का ताकत का प्रतीक है. 

चीन ने कहा ताइवान कोई देश नहीं है

चीन का रुख

ताइवान-अमेरिका की यह निकटता चीन को खटक रही है. चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने इस मसले पर टिप्पणी करते हुए कहा है, "चीन को अमेरिका और ताइवान के इस उकसावे वाले व्यवहार पर चेतावनी देने की जरूरत थी." अखबार के संपादकीय में लिखा गया है, "मेनलैंड चाइना को ताइवान अथॉरिटी के खिलाफ अपना प्रतिरोध जारी रखना चाहिए ताकि उनकी समझ में रहे कि अमेरिका उनका भला नहीं कर सकता." चीन, ताइवान को "वन चाइना" नीति के तहत अपना हिस्सा मानता है. लेकिन ताइवान इससे इनकार करता है. साल 2016 में साइ इंग वेन का ताइवान का राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से चीन और ताइवान के बीच तल्खी और भी बढ़ी है.  

एए/ओएसजे (एपी, रॉयटर्स)