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क्या पैसा लाएगा उत्तर और दक्षिण कोरिया को करीब?

जूलियान रायल, टोक्यो से
१७ जुलाई २०१८

उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया का टकराव दुनिया जानती है. टकरावों के बीच अब भी एक क्षेत्र है जो दोनों देशों के रिश्ते बहाल कर सकता है. विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों देशों के बीच संबंध बहाली की शुरुआत कारोबार कर सकता है.   

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Wenzel

उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच बने विशेष आर्थिक क्षेत्र (स्पेशल इकोनॉमिक जोन) को दोबारा खोले जाने पर चर्चा होने लगी है. यह जोन दक्षिण कोरिया ने साल 2016 में अस्थायी रूप से बंद कर दी थी. हाल में ही दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून-जे-इन ने उत्तर कोरिया के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए जिस कमेटी को नियुक्त किया था उसने उत्तर कोरिया के विशेष आर्थिक क्षेत्रों का दौरा किया. अगर दोनों मुल्कों के बीच सहमति बनती है तो दक्षिण कोरियाई कंपनियों के लिए उत्तर कोरिया में कारोबार आसान होगा.

दक्षिण कोरिया की रणनीति उत्तर के साथ आर्थिक सहयोग बढ़ाने की नजर आ रही है, जिसका मकसद उत्तर कोरिया को परमाणु हथियारों से दूर रखना भी है. कमेटी ने रासोन क्षेत्र का भी दौरा किया. जिसे 1992 में उत्तर कोरिया के सुदूर पूर्वोत्तर किनारे पर बनाया गया था. यह क्षेत्र रूस की सीमा से लगता है. दक्षिण कोरियाई अधिकारियों ने कारोबारी संभावनाओं को तलाशने के लिए उत्तर कोरियाई और रूसी अधिकारियों से चर्चा की.

दक्षिण कोरिया, उत्तर की सीमाओं को लाभ उठा कर अपने आर्थिक हित साधना चाहता है. विशेषज्ञ मान रहे हैं कि अगर दोनों देशों के बीच सहमति बनती भी है तो संभव है कि वह काइसोंग औद्योगिक क्षेत्र के लिए बनेगी. ब्रिटेन और जापान में दक्षिण कोरिया के राजदूत रह चुके राह-जोंग इल मानते हैं कि सब कुछ संयुक्त राष्ट्र और अमेरिकी प्रतिबंधों पर निर्भर करता है. उन्होंने कहा, "दक्षिण कोरिया की सरकार तैयारी कर रही और काइसोंग क्षेत्र को खोले जाने के लिए जमीन बना रही है." 

रिश्तों में सुधार

राह ने कहा, "हम काफी सारे बदलाव देख रहे हैं. सर्वे किए जा रहे हैं, संभावनाएं तलाशी जा रही है ताकि सीमाओं को जोड़ने वाली सड़कों और रेल नेटवर्क पर भी काम हो सके. ये कदम उत्तर कोरिया पर अप्रत्यक्ष दबाव बना सकते है." राह मानते हैं कि जैसे दोनों देशों के संबंधों में सुधार नजर आएगा संभव है कि प्रतिबंधों में कमी आएगी और फिर औद्योगिक क्षेत्र भी खुल जाएंगे.

दोनों देशों के बीच कोरियन मिलिटैराइज्ड जोन (डीएमजे) जमीन की एक पट्टी है जो कोरियाई प्रायद्वीप को बांटती है. इसी सीमा के पास साल 2002 में एक बिजनेस पार्क तैयार किया गया था. जिसमें 123 दक्षिणी कोरियाई कंपनी के विनिर्माण केंद्रों को स्थापित करने की योजना थी. माना जा रहा था इस पार्क में उत्तर कोरियाई लोगों को भी सस्ती मजदूरी मिल जाए. इसे अब दोबारा खोले जाने के आसार हैं.

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जानकार मानते हैं कि कारोबार के इतर यह पार्क दोनों देशों के बीच पुल का काम कर सकता है. उत्तर और दक्षिण कोरिया के आम लोग एक दूसरे के करीब आ सकते हैं. लेकिन काइसोंग का क्षेत्र राजनीतिक गहमागहमी के लिहाज से अच्छा नहीं है. साल 2013 में दोनों देशों के बीच तनाव के माहौल में उत्तर कोरिया ने दक्षिण कोरिया की पहुंच को ट्रेड जोन वाले क्षेत्र में सीमित कर दिया था.

इसके बाद साल 2016 में जब खबरें आईं कि उत्तर कोरिया ने हाइड्रोजन बम का परीक्षण किया है तो दक्षिण कोरिया ने तभी उस साइट को अस्थायी रूप से बंद कर दिया. जवाबी कार्रवाई में उत्तर कोरिया ने सभी दक्षिणी कोरियाई कर्मचारियों को निष्कासित कर दिया और कंपनी की संपत्तियों को जब्त कर लिया.

कारोबारी हित

दक्षिण कोरिया का कारोबारी तबका इस जोन को जल्द से जल्द खोले जाने के पक्ष में हैं. इनमें से कईयों की परिसंपत्तियां उत्तर कोरिया में है. विश्लेषक मानते हैं कि काइसोंग ऐसी है जो दोनों देशों को जल्द से जल्द एक दूसरे के करीब ला सकता है. राह मानते हैं कि आर्थिक रूप से दोनों देशों को इससे फायदा होगा और कोरियाई प्रायद्वीप के लिए शांति लाने वाला कदम होगा.

सियोल के एशिया इंस्टीट्यूट के प्रमुख इमानुएल पेस्टराइश मानते हैं कि कोई भी बदलाव या चमत्कार इतनी जल्दी नहीं हो सकते. इमानुएल कहते हैं, "इस वक्त दक्षिण कोरियाई लोगों की धारणा में बदलाव आ रहा है. अब लोग मानने लगे हैं कि बेहतर आर्थिक संबंध ही अच्छे रिश्तों की शुरुआत कर सकते हैं."

उन्होंने कहा, "मैं किसी जादू कि उम्मीद नहीं कर रहा हूं, लेकिन अच्छी बात है कि दोनों पक्ष अब सकारात्मक रूप से इस मुद्दे को ले रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं."