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क्या फिर शुरू हो रही है हथियार होड़

१ फ़रवरी २०१९

रूस अमेरिका विवाद नए दौर में प्रवेश कर रहा है. अल्टीमेटम की अवधि बीतने के बाद अमेरिका ऐतिहासिक आईएनएफ संधि से बाहर निकलने की घोषणा करेगा. अमेरिका ने नाटो साथियों को इसकी जानकारी दे दी है.

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Deutschland Pershing-II Rakten - USA will INF-Vertrag aufkündigen
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Melchert

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार अमेरिका शुक्रवार को जमीन से मार करने वाली परमाणु मिसाइलों पर 1987 में हुए समझौते से बाहर निकलने की घोषणा करेगा. अमेरिका ने गुरुवार को पश्चिमी सैनिक सहबंध नाटो के अपने साथियों को इसकी सूचना दे दी है, जो घोषणा के फौरन बाद अपने एक बयान के साथ अमेरिकी कदम का समर्थन करेगा.

आइएनएफ संधि से बाहर निकलने के अमेरिकी फैसले की वजह रूस का नया क्रूस मिलाइल 9M729 है. अमेरिका का मानना है कि रूस का नया रॉकेट आईएनएफ संधि का हनन करता है. अमेरिका ने रूस के नए मिसाइल को नष्ट करने के लिए 60 दिनों का अल्टिमेटम दिया था, जो शनिवार को पूरा हो रहा है. लेकिन रूस ने पिछले हफ्तों में बार बार ये साफ कर दिया है कि वह अमेरिकी आरोपों को निराधार मानता है और अपनी मिसाइल को नष्ट करने को तैयार नहीं है.

रूसी सूचनाओं के अनुसार 9M729 मिसाइल की मारक क्षमता अधिकतम 480 किलोमीटर है और इसके साथ वह मध्य दूरी के मिसाइलों की श्रेणी में नहीं आता है. इसके विपरीत अमेरिका का कहना है कि वह कम से कम 2600 किलोमीटर तक मार कर सकता है. अगर ये क्षमता सही है तो रूसी मिसाइल यूरोप की सभी राजधानियों को अपनी जद में ले सकता है.

Sowjetunion 1988 US-Präsident Ronald Reagan & Präsident Michail Gorbatschow
तस्वीर: picture-alliance/dpa/AFP

आईएनएफ संधि

शीतयुद्ध के चरम पर 1987 में अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संध ने मध्य दूरी के परमाणु हथियारों के ऊपर आईएनएफ (इंटरमीडिएट रेंज न्यूक्लिीयर फोर्सेस) संधि की थी. ये संधि दोनों पक्षों को जमीन से मार करने वाली 500 से 5500 किलोमीटर की दूरी वाले बैलिस्टिक और क्रूस मिलाइल के इस्तेमाल से रोकती है. इसके साथ ही इन मिसाइलों के उत्पादन और परीक्षण पर भी रोक है.

यूरोप के लिए इस संधि के समाप्त होने का बड़ा महत्व है क्योंकि इसके साथ यूरोप में परमाणु शस्त्रीकरण की बहस शुरू हो सकती है. जर्मन शांतिकार्यकर्ताओं को लगता है कि संधि के तीस साल बाद जर्मनी में भी शस्त्र होड़ शुरू हो सकती है. सैनिक सूत्रों का मानना है कि ऐसा करके ही सामरिक शक्ति संतुलन और भाविष्य में दुश्मनों का भयादोहन संभव है. नाटो के महासचिन अब तक इस सवाल से बचते रहे हैं कि क्या अमेरिकी फैसले का मतलब यूरोप में और ज्यादा अमेरिकी परमाणु हथियारों की तैनाती होगा. उनका कहना है कि इस पर कुछ कहने का समय अभी नहीं आया है.

आखिरी मौका

संधि को बचाने के लिए अभी भी करीब छह महीने का समय है. यह समय संधि से बाहर निकलने के नोटिस का है. हालांकि कोई इस बात की उम्मीद नहीं कर रहा है कि अस विवाद में रूस कोई रियायत देगा या झुकेगा. दूसरी ओर आलोचकों का यह भी कहना है कि अमेरिका की आईएनएफ को उसके मौजूदा रूप में जारी रखने की कोई दिलचस्पी नहीं है. इसकी वजह ये है कि शीत युद्ध के दौरान हुई ये संधि अमेरिका और रूस को तो बांधती है लेकिन तेजी से महाशक्ति बन रहे चीन को नहीं, जिसके पास इस बीच करीब 2000 बैलिस्टिक मिसाइल हैं.

यह साफ नहीं है कि अमेरिकी कितनी जल्दी मध्य दूरी की नई मिसाइल पद्धति विकसित और तैनात कर सकता है. लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि संधि से बाहर निकलने की नियोजित घोषणा से लगता है कि इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा. एजेंसी रिपोर्टों के अनुसार अमेरिका इस बात की घोषणा करेगा कि वह अब इस संधि से बंधा महसूस नहीं करता. इसके बाद के छह महीने रूस के लिए आखिरी अल्टिमेटम होंगे.

एमजे/आईबी (डीपीए)

The fear of nuclear weapons