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क्या मायने हैं जम्मू और कश्मीर के चुनावी नतीजों के

चारु कार्तिकेय
२३ दिसम्बर २०२०

जम्मू और कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छिन जाने के बाद हुए पहले स्थानीय चुनावों के नतीजे मिले-जुले आए हैं. बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है, लेकिन गुपकार गठबंधन आगे निकल गया है.

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तस्वीर: Javed Dar/Xinhua News Agency/picture alliance

जम्मू और कश्मीर की जिला विकास परिषद (डीडीसी) की सभी 280 सीटों पर हुए चुनावों के नतीजे पूरी तरह से अभी भी नहीं आए हैं, लेकिन 244 सीटों के नतीजे आ चुके हैं. इनमें से सात पार्टियों वाले गुपकार गठबंधन ने 100 से अधिक यानी सबसे ज्यादा सीटें हासिल की हैं. हालांकि अकेले कम से कम 75 सीटें जीत कर बीजेपी सबसे बड़ा दल बन कर उभरी है.

गठबंधन की पार्टियों के प्रदर्शन को अलग अलग देखें तो बीजेपी के बाद प्रदेश में दूसरे नंबर पर नेशनल कॉन्फ्रेंस आई है, जिसने 56 सीटें जीती हैं. गठबंधन में 26 सीटों पर जीत पीडीपी के हाथ आई है. कांग्रेस पार्टी गठबंधन का हिस्सा नहीं थी. उसने 21 सीटों पर जीत दर्ज की है.

43 सीटों पर जीत हासिल करने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन भी दिलचस्प रहा है. चुनावी अखाड़े में नई पार्टी अपनी पार्टी ने 10 सीटें जीती हैं तो जेकेपीसी ने छह, सीपीआईएम ने पांच, जेकेपीएम ने तीन और जेकेपीएनपी ने दो सीटें जीती हैं.

बीजेपी की सफलता

बीजेपी ने जम्मू में तो अपना वर्चस्व स्थापित किया ही है लेकिन कश्मीर में तीन सीटें जीत कर, पार्टी ने वादी में पहली बार कोई सीट जीती है. लेकिन कश्मीर में पार्टी की सफलता यहीं तक सीमित है. पार्टी घाटी में किसी भी डीडीसी पर अपना नियंत्रण स्थापित नहीं कर पाई, जबकी जम्मू में उसने छह डीडीसी अपने अधीन कर लिए.

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गठबंधन की लगभग सभी पार्टियों के नेताओं को लंबे समय तक अस्थायी जेलों में बंद रखा गया और रिहा होने के बाद जब उन्होंने गठबंधन बनाया तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें "गैंग" कह कर संबोधित किया.तस्वीर: Danish Ismail/Reuters

गुपकार गठबंधन ने नौ परिषदों में बहुमत हासिल कर लिया जिनमें सब कश्मीर में ही हैं. दोनों इलाकों में कुल मिला कर पांच परिषदों में स्पष्ट बहुमत नहीं है, तो वहां निर्दलीय विजेताओं के समर्थन पर सबकी नजर रहेगी. बीजेपी और गठबंधन दोनों ही पक्ष अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन जानकारों का कहना है कि कुल मिला कर इन नतीजों में दोनों ही पक्षों के लिए महत्वपूर्ण संदेश है.

विपक्ष के लिए संदेश

जम्मू और कश्मीर के मतदाताओं के बीच वैचारिक विभाजन स्पष्ट नजर आ रहा है. बीजेपी जम्मू के मतदाताओं की पहली पसंद बनी हुई है लेकिन वादी के मतदाताओं को लुभा नहीं पा रही है. विपक्षी गठबंधन की जीत कई लिहाज से महत्वपूर्ण है. इसे अगस्त 2019 से वादी में ठंडी पड़ी राजनीति गतिविधियों की बहाली के रूप में देखा जा रहा है.

गठबंधन की लगभग सभी पार्टियों के नेताओं को लंबे समय तक अस्थायी जेलों में बंद रखा गया और रिहा होने के बाद जब उन्होंने गठबंधन बनाया तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें "गैंग" कह कर संबोधित किया. इसके बावजूद कश्मीर में गठबंधन का बीजेपी को पीछे कर देना इस बात का संकेत है कि जनता के बीच इन पार्टियों की लोकप्रियता बरकरार है.

हालंकि विपक्षी पार्टियों के लिए इन नतीजों में शायद यह सबक भी है कि बीजेपी कश्मीर में भले ही जीत नहीं पाई हो, लेकिन उसने वहां अपनी जमीन बनाने की शुरुआत जरूर कर दी है.

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