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क्या सोनिया गांधी वाकई क्वात्रोची से मिली थीं?

ऋषभ कुमार शर्मा
१३ मार्च २०१९

चुनावी मौसम में पार्टियां अपने प्रचार के लिए सोशल मीडिया का खूब इस्तेमाल कर रही हैं. ऐसे में, फेक न्यूज भी धड़ल्ले से फैलाई जा रही है. चलिए जानते हैं सोशल मीडिया पर चल रही सोनिया गांधी की एक तस्वीर का सच.

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Screenshot Twitter Account Tosh_Tiwari
तस्वीर: Twitter/Tosh_Tiwari

ट्विटर पर @Tosh_Tiwari नाम के ट्विटर हैंडल से एक फोटो शेयर किया गया. इस फोटो में यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी एक महिला और एक पुरुष के साथ दिखाई दे रही हैं. इस फोटो के साथ इन्होंने लिखा है- "कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कृपया 140 करोड़ भारतीयों को बताइए कि ये आदमी आपकी मां (यूपीए की सुपर पीएम) के साथ क्या कर रहा है. साथ में यह भी बताइए कि आपके पिताजी ने इस इटैलियन ब्रोकर क्वात्रोची को बोफोर्स खरीदने के लिए क्यों इस्तेमाल किया?  बोफोर्स सौदे में 64 करोड़ की दलाली किसने खाई?"

@Tosh_Tiwari के हैंडल पर लिखी बायो के मुताबिक नरेंद्र मोदी उन्हें फॉलो करते हैं लेकिन उनकी फॉलोवर्स की लिस्ट में नरेंद्र मोदी नहीं हैं. रेल मंत्री पीयूष गोयल सहित कई सारे सेलेब्रिटी इन्हें फॉलो जरूर करते हैं. इनके हैंडल पर कई सारे आपत्तिजनक ट्वीट्स हैं.

इस तस्वीर की सच्चाई क्या है?

इस फोटो की सच्चाई पता करने के लिए इसे गूगल रिवर्स इमेज सर्च पर सर्च किया गया. इस फोटो से मिलता-जुलता फोटो हमें दी ट्रिब्यून अखबार के ऑनलाइन एडिशन पर मिली. इस फोटो के कैप्शन में लिखा था कि इटली के प्रधानमंत्री रोमानो प्रोडी और उनकी पत्नी फ्लाविया फ्रानजोनी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से नई दिल्ली में उनके आवास पर गुरुवार को मिले. यह फोटो मुकेश अग्रवाल ने क्लिक किया. यह फोटो 15 फरवरी, 2007 को खींची गई थी. रोमानो प्रोडी 2007 में 10 से 15 फरवरी तक भारत के दौरे पर थे. फोटो वेबसाइट गेटी इमेजेज पर भी इस मौके की तस्वीरें मौजूद हैं. इन तस्वीरों को यहां पर क्लिक कर देखा जा सकता है.

क्या मिला हमारी पड़ताल में?

हमारी पड़ताल में @Tosh_Tiwari का दावा गलत निकला. यह तस्वीर सोनिया गांधी और क्वात्रोची की न होकर सोनिया गांधी और इटली के तत्कालीन प्रधानमंत्री रोमानो प्रोडी और उनकी पत्नी फ्लाविया फ्रानजोनी की हैं.

क्वात्रोची हैं कौन?

ओत्तावियो क्वात्रोची पर भारत सरकार और स्वीडन की कंपनी बोफोर्स एबी के बीच हुई हवित्जर तोपों की खरीद में बिचौलिये का काम करने का आरोप लगा था. उन्हें राजीव गांधी का करीबी बताया जाता था. लेकिन बोफोर्स स्कैम में नाम आने के बाद वो भारत से भाग गए और कभी जांच एजेंसियों के हाथ नहीं आए. 2013 में मिलान में उनकी मौत हो गई.

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