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क्या स्मार्टफोन बनाने से होगा मेक इन इंडिया

२५ अक्टूबर २०१८

स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी लावा भारत के बढ़ते फोन बाजार में ज्यादा बड़ा नाम नहीं है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया कार्यक्रम की सफलता दिखाने के लिए उसका नाम इस्तेमाल हो सकता है.

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Smartphone Hersteller Lava Indien
तस्वीर: Reuters/A. Fadnavis

कुछ साल पहले तक लावा चीन से सस्ते फोन का आयात करती थी. अब कंपनी ने दिल्ली के पास दो फैक्ट्रियां लगाई हैं जिनमें फोन बन रहे है. इन फैक्ट्रियों में 3500 लोग काम करते हैं और कंपनी जल्द ही इनका विस्तार करने की तैयारी में है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करोड़ों लोगों को नौकरी देने का जो सपना दिखाया था वह ज्यादातर मोर्चों पर टूट चुका है, लेकिन स्मार्टफोन बनाने के मामले में तस्वीर का पहलू थोड़ा अलग है. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था स्मार्टफोन की दुनिया में एक बड़े केंद्र के रूप में उभर रही है. लावा जैसी देसी कंपनियों के साथ ही सैमसंग, ओप्पो और शाओमी जैसी अंतरराष्ट्रीय दिग्गज कंपनियां भी भारत में बड़ी तेजी से विस्तार कर रही हैं. पिछले चार सालों में मोबाइल फोन बनाने के 120 से ज्यादा केंद्रों ने कम से कम 450,000 नौकरियां पैदा की हैं. ये आंकड़े इंडियन सेल्यूलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के हैं. इसका श्रेय मेक इन इंडिया कार्यक्रम को भी है क्योंकि आयातित उपकरणों और मोबाइल फोन के पार्ट्स पर अलग अलग फेज में सख्त ड्यूटी ने इसमें कुछ भूमिका निभाई है.

संभावनाएं अपार

इस तेजी के दम पर भारत अब दुनिया में मोबाइल फोन बनाने का दूसरा सबसे बड़ा केंद्र है. भारत के पास इस में अभी और आगे जाने की संभावनाएं हैं क्योंकि शीर्ष पर मौजूद चीन में एक तरफ जहां खर्च बढ़ रहा है वहीं दूसरी तरफ कारोबारी तनाव के कारण भी मुश्किलें आ रही हैं. चीन की स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी वन प्लस के भारत प्रमुख विकास अग्रवाल कहते हैं, "भारत के पास ग्लोबल सप्लाई चेन में एक बड़ा खिलाड़ी बनने का मौका है क्योंकि हमारे पास एक बहुत मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था है." इसके साथ ही उन्होने यह भी कहा कि बहुमूल्य उपकरणों के निर्माण के साथ ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट को अभी और ज्यादा प्रोत्साहित करने की जरूरत है, "लेकिन कम से कम एक अच्छी शुरूआत तो हो गई है."

Smartphone Hersteller Lava Indien
तस्वीर: Reuters/A. Fadnavis

भारत में इस उद्योग की झलक दिखती है दिल्ली से सटे नोएडा में, लावा कंपनी ने अपनी फैक्ट्री यहीं लगाई है. कभी तकनीकी कंपनियों की आउटसोर्सिंग का बड़ा केंद्र रहे नोएडा में अब उन कंपनियों की भरमार हो गई है जो मोबाइल चार्जर, हेडफोन से लेकर ऊंचे दर्जे के स्मार्टफोन बना रही हैं. लावा कंपनी में मैन्यूफैक्चरिंग के प्रमुख संजीव अग्रवाल कहते हैं कि स्थानीय निर्माण से कम लागत में उच्च स्तर के उपकरण बनाना मुमकिन हो गया है जिन्हें 10 हजार रुपये तक की कीमत में बेचा जा सकता है. लावा के बनाए फोन का डिजाइन अब भी चीन में ही तैयार होता है लेकिन कंपनी यह काम भी अगले कुछ सालों में भारत लाना चाहती है. संजीव का कहना है कि स्थानीय स्तर पर बनाने से तुरंत नई खोज की ज्यादा गुंजाइश रहती है साथ ही कीमतों में टैक्स का बोझ नहीं पड़ता.

नोएडा में लावा के पड़ोस में ही सैमसंग ने भी अपना विशाल प्लांट शुरू किया है. यह दुनिया भर में सैमसंग का सबसे बड़ा प्लांट हैं. दक्षिण कोरियाई कंपनी ने बीते साल कहा था कि वह अगले तीन सालों में प्लांट के विस्तार पर 49.2 अरब रुपये खर्च करेगी. सैमसंग से कुछ ही दूरी पर चीन का ओप्पो भी एक विशाल प्लांट बनवा रही है. 

Samsumg Z1 Indien
तस्वीर: REUTERS/Adnan Abidi

चीन का विकल्प

2016 में प्रधानमंत्री मोदी ने कथित चरणबद्ध उत्पादन योजना शुरू की जिसका मकसद भारत में स्मार्टफोन के विशाल बाजार का फायदा उठा कर कंपनियों को स्थानीय रूप से फोन बनाने के लिए बढ़ावा देना है. भारत में एक अरब से ज्यादा मोबाइल ग्राहक हैं लेकिन इनमें से अभी कम से कम 38 करोड़ ऐसे हैं जिनके पास स्मार्टफोन नहीं है. योजना के तहत आयात होने वाले ना सिर्फ मोबाइल फोन बल्कि एसेसरीज यानी फोन चार्जर, बैटरी, हेडफोन और दूसरी चीजों पर भी शुल्क लगा दिया गया. इसके साथ ही मोबाइल के पार्ट्स को भी शुल्क के दायरे में लाया गया.

भारतीय बाजार में शीर्ष स्थान के लिए सैमसंग से प्रतिस्पर्धा रखने वाली कंपनी शाओमी ने दक्षिण भारत में फॉक्सकॉम के उत्पादन केंद्रों का इस्तेमाल कर अपने कई फोन बनवाए हैं. भारत के कम से कम छह केंद्रों में शाओमी के लिए फोन बनाए जा रहे हैं. कंपनी ने बताया कि वह अपने फोन के लिए पार्ट्स की सप्लाई देने वालों के भी केंद्र भारत में खुलवाना चाहती है. कंपनी की इस योजना से कम से कम 2.5 अरब डॉलर का निवेश तो भारत में आएगा ही इसके साथ 50 हजार नौकरियां भी पैदा होंगी. शाओमी के लिए सप्लाई देने वाली कंपनी होलीटेक टेक्नोलॉजी ने पहले ही अगले 3 वर्षों में 20 करोड़ डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता जता चुकी है. 2019 तक वह निर्माण शुरू कर देगी. शाओमी ने बताया कि पार्ट्स में कैमरा, टचस्क्रीन के मॉड्यूल और फिंगरप्रिंट सेंसर जैसी चीजें होंगी.

उद्योग जगत से जुड़े स्थानीय लोगों का कहना है कि भारत के लिए बड़ी उपलब्धि तब होगी जब वह मैन्यूफैक्चरिंग हब के रूप में चीन का विकल्प बन जाएगा. ज्यादातर कंपनियां मान रही हैं कि उन्हें चीन के साथ एक और देश की जरूरत है. इसे "चाइना प्लस वन" रणनीति कहा जा रहा है. उद्योग से जुड़े एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, "चीन में एक तो ट्रंप का जोखिम है इसके अलावा मुद्रा और दूसरे जोखिम भी हैं."

Smartphone Hersteller Lava Indien
तस्वीर: Reuters/A. Fadnavis

सैमसंग का कहना है कि वह नोएडा प्लांट को निर्यात के प्रमुख केंद्र के रूप में इस्तेमाल करेगी दूसरी कंपनियों की क्या योजना है यह अभी साफ नहीं है. हालांकि यह साफ है कि मोबाइल निर्माण की दुनिया में अग्रणी बनने के लिए भारत को एक अधिक स्थाई और व्यापार में मददगार नीतियों वाला देश बनना होगा. नीतियों में बार-बार बदलाव और अस्थिरता कंपनियों के लिए मुश्किलें खड़ी करती है.

भारत सरकार के तमाम दबावों के बावजूद एप्पल कंपनी अपने फोन चीन में ही बना रही है हालांकि कंपनी ने दो सस्ते फोन को जोड़ने का काम दक्षिण भारत में जरूर शुरू करवा दिया है. इसके पीछे एक बड़ी वजह ये भी है कि कंपनी के फोन बेहद महंगे हैं और उनके लिए इतना बड़ा बाजार भारत में फिलहाल नहीं है.

एनआर/आईबी (रॉयटर्स)

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